समय के साथ चलना पड़ रहा है
सो अब सूरज को ढलना पड़ रहा है
पहाड़ों को पिघलना पड़ रहा है
उन्हें जब खल रही है सादगी भी
हमें लहजा बदलना पड़ रहा है
लगाई जा रही है तुमको मेंहदी
हमें हाथों को मलना पड़ रहा है
बढ़ी है सिसकियों की भूख इतनी
एक-इक आँसू निगलना पड़ रहा है

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