विष्णु की विराटता में शारदे कौ वास है - नवीन चतुर्वेदी


अग्नि-वर्ण धातु धार, हृदय प्रसन्न होंय,

स्वर्ण की विविधता में शारदे कौ वास है ।

 

सत्य, शान्ति, शील, धैर्य मातु शारदे की दैन,

प्रति एक शुचिता में शारदे कौ वास है ।

 

पाहन सों चक्र, चक्रवातन सों विश्व बन्यौ,

नित्य की नवीनता में शारदे कौ वास है ॥

 

कल्पना विहीन विश्व कैसें विसतार पातो,

विष्णु की विराटता में शारदे कौ वास है ।।

 

नवीन सी. चतुर्वेदी

 

सरस्वती वन्दना, घनाक्षरी छन्द

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