हम समझ
पाये नहीं पहला हिसाब
वक़्त ले कर आ गया अगली किताब
वक़्त ले कर आ गया अगली किताब
उन दिनों कुछ अनमना सा था रहीम
मूड कुछ-कुछ राम का भी था ख़राब
मूड कुछ-कुछ राम का भी था ख़राब
लाल जू कहिये तो अब क्या हाल हैं
और कैसा है हमारा इनक़लाब
और कैसा है हमारा इनक़लाब
दोस्त ये दुनिया सँवरती क्यों नहीं
अब तो घर-घर घुस चुका है इनक़लाब
अब तो घर-घर घुस चुका है इनक़लाब
सिर्फ़ सहराओं1 को ही क्या कोसना
हायवे पर भी झमकते हैं सराब2
1 मरुस्थलों 2 मृगतृष्णा
हायवे पर भी झमकते हैं सराब2
1 मरुस्थलों 2 मृगतृष्णा
कह रहे हैं कुछ मुसाफ़िर प्लेन के
कर दिया बरसात ने मौसम ख़राब
कर दिया बरसात ने मौसम ख़राब
अब तो बच्चे-बच्चे को मालूम है
किस तरह भारत में घुसते हैं कसाब
किस तरह भारत में घुसते हैं कसाब
हाँ इसी धरती पे जन्नत थी ‘नवीन’
सोचिये किस ने किया खाना-ख़राब
सोचिये किस ने किया खाना-ख़राब
नवीन सी चतुर्वेदी
बहरे रमल मुसद्दस सालिम
फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन
फ़ाइलातुन
2122 2122 2122
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