नये
साल की धूप
===========
आँखों
के गमलों में
गेंदे
आने को हैं
नये
साल की धूप तनिक
तुम
लेते आना.. .
ये
आये तब
प्रीत
पलों में जब करवट है
धुआँ
भरा है अहसासों में
गुम
आहट है
फिर
भी देखो
एक
झिझकती कोशिश तो की !
भले
अधिक मत खुलना
तुम, पर
कुछ
सुन जाना.. .
नये
साल की धूप तनिक
तुम
लेते आना.. .
संवादों
में--
यहाँ-वहाँ
की ;
मौसम ; नारे..
निभते
हैं
टेबुल-मैनर
में रिश्ते सारे
रौशनदानी
कहाँ
कभी एसी-कमरों में ?
बिजली
गुल है,
खिड़की-पल्ले
तनिक हटाना.. .
नये
साल की धूप तनिक
तुम
लेते आना.. .
अच्छा
कहना
बुरी
तुम्हें क्या बात लगी थी
अपने
हिस्से
बोलो
फिर क्यों ओस जमी थी ?
आँखों
को तुम
और
मुखर कर नम कर देना
इसी
बहाने होंठ हिलें तो
सब
कह जाना..
नये
साल की धूप तनिक
तुम
लेते आना.. .
*********
--
सौरभ पाण्डेय, नैनी, इलाहाबाद
वाह, बहुत ख़ूब
जवाब देंहटाएं---वाह...सुन्दर.... ..अच्छी कामना है...
जवाब देंहटाएंनए साल में नयी धूप यदि-
किसी बहाने से मिल जाए |
मिटें केक्टस पुष्प खिल उठें,
जन मन खिल खिल जाए|
वाह ! बहुत सुन्दर :-)
जवाब देंहटाएं