दुर्गा की पूजा
कन्या की भ्रूण हत्या
दोगलापन.
रात का दर्द
समझा है किसने
देखी है ओस?
न जाने कब
फिसली थी उँगली
यादें ही बचीं
विकृत मन
देखे केवल देह
बालिका में भी.
कन्या की भ्रूण हत्या
दोगलापन.
रात का दर्द
समझा है किसने
देखी है ओस?
न जाने कब
फिसली थी उँगली
यादें ही बचीं
विकृत मन
देखे केवल देह
बालिका में भी.
नयन उठे,
बेरुखी थी आँखों में,
बरस गये
:- कैलाश शर्मा
बहुत ही बेहतरीन हाइकू की रचना.
जवाब देंहटाएंसीधा सपाट संदेश..
जवाब देंहटाएंबहुत खूब हाइकू |
जवाब देंहटाएंकभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
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बहुत ही अच्छी प्रस्तुति
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