सभी साहित्य रसिकों का सादर अभिवादन
दिवाली पर्व का असर टिप्पणियों पर भी दिखने लगा है, लोगबाग काफ़ी मशरुफ़ हैं - कुछ मित्र घर-दफ़्तर के काम में और कुछ मेरे जैसे फेसबुकिया तामझाम में:)। का करें भाई ये फेसबुकिया भूत हमें भी बहुत नचा चुका है बल्कि पूरी तरह से छोड़ा तो अब भी नहीं है।
इस पोस्ट के बाद जो तीन और पोस्ट आनी हैं उन में हैं संजय मिश्रा 'हबीब', ऋता शेखर मधु और सत्यनारायण सिंह। इन के अलावा यदि मुझसे किसी के दोहे छूट रहे हों तो बताने की कृपा करें, चूँकि इस आयोजन के तुरन्त बाद दिवाली स्पेशल पोस्ट पर काम शुरू हो जायेगा।
भाई अरुण निगम के मार्फ़त दुर्ग छत्तीसगढ़ निवासी उमाशंकर मिश्रा जी पहली बार मंच से जुड़ रहे हैं। आप का सहृदय स्वागत है उमाशंकर जी। आइये पढ़ते हैं आप के भेजे दोहों को-
उमाशंकर मिश्रा |
ठेस / टीस
जिन की ख़ातिर मैं मरा, मिले उन्हीं से शूल
चन्दन अपने पास रख, मुझ को दिये बबूल
आश्चर्य
संसद में पारित हुई, कुछ ऐसी तरक़ीब
हास्य-व्यंग्य
इम्तहान की कापियाँ, गैया गई चबाय
गुरुजी गोबर देखकर, नम्बर रहे बनाय
सीख
दूध फटा तो सुख मना, भूल बिदेसन चाय
फ़ौरन छेना छान कर, रसगुल्ले बनवाय
उमाशंकर जी के सीख वाले दोहे में मुझे विरोधाभास के दर्शन भी हो रहे हैं, आप लोग देख कर कनफर्म करें तो। इन के कुछ दोहे न छाप पाने का मुझे दुख है पर उमा जी आप की टिप्पणियाँ पढ़ कर प्रसन्न होंगे इस बात का विश्वास भी है। तो हौसला बढ़ाइए उमा जी का और तराशिए अपने दोहे दिवाली पोस्ट के लिए, हम फिर से हाजिर होंगे अगली पोस्ट के साथ।
आप लोगों की अनुमति मिल गई तो एक दोहा मैं भी प्रस्तुत करना चाहता हूँ दिवाली स्पेशल पोस्ट में। आठ-दस घिस मारे हैं परंतु ठीक-ठाक एक ही हो सका है ......
एक बात और साझा करनी थी आप लोगों से - मुंबई से श्री नरहरि अमरोहवी जी ने एक अल्बम निकाली है जिस में मुंबई के अधिकांश शायर / कवि / गीतकारों को शामिल किया है। ख़ाकसार को भी इस योग्य समझा गया। अल्बम का अपना वाला हिस्सा यूट्यूब पर अपलोड किया है, क्या आप इस बेसुरे को तहत में सुनना चाहेंगे, क्या बोला हाँ? तो लो झेलो
!जय माँ शारदे!
सभी दोहे अच्छे हैं...
जवाब देंहटाएंहास्य-व्यंग्य वाला सटीक...मुझे बहुत अच्छा लगा|
उमाशंकर मिश्रा जी को सादर बधाई|
आपका प्रयास प्रशंसनीय है।
जवाब देंहटाएंसभी दोहे उत्तम है । विषेश कर कापियां गैया चर गई
जवाब देंहटाएंएक दोहा सूझ गया -
नेता रहे गरीब सब जन गण बने अमीर
संसद में जा भर गई भिखमंगों की भीर
(इसे कटूक्ति, हास्य, व्यंग, य आश्चर्य कहेंगे )
acche dohe hain ....
जवाब देंहटाएं---अति सुन्दर व सटीक भाव वाले दोहे हैं... सभी भाव एक दम पुष्ट एवं सटीक सम्प्रेषण व अर्थ-प्रतीति युक्त हैं ...बधाई...खासकर गुरूजी वाला दोहा तो अति-उत्तम लगा ..
जवाब देंहटाएं---
-जिन की ख़ातिर मैं मरा, मिले उन्हीं से शूल = १३-१२ मात्राएँ ...
हाँ सीख वाला दोहा में मुझे भे भाव-विरोधाभास एवं कुछ कुछ व्यंग्य के भी दर्शन होरहे हैं ...
जवाब देंहटाएंतुम ही 4 मात्रा
जवाब देंहटाएंतुम्हीं 3 मात्रा
म और ह संयुक्ताक्षर
उन ही 4 मात्रा
उन्हीं 3 मात्रा
न और ह संयुक्ताक्षर
आदरणीय नवीन जी आभार
जवाब देंहटाएंधन्यवाद के साथ हैं,आभारी श्रीमान
दोहों से तर चासनी,मीठ लगे सम्मान
आदरणीया ॠता शेखर मधु जी सादर आभार
जवाब देंहटाएंआदरणीय देवेन्द्र जी आपकी प्रशंसा से उत्साह बढ़ा है
आपका आभार
आदरणीय कमल जी सादर आभार
नेता रहे गरीब सब जन गण बने अमीर
संसद में जा भर गई भिखमंगों की भीर
बहुत खूब है
डॉ.निशा जी आपका आभारी हूँ
डॉ.श्याम जी गुप्त जी आपकी प्रतिक्रिया से मन उत्साहित हुवा ह्रदय से आभार
बहुत शानदार दोहे ।
जवाब देंहटाएंउमाशंकर मिश्र जी, आनंद आया आपके दोहों को पढ़कर।
जवाब देंहटाएंअच्छा लिखते हैं आप।
ठाले बैठे मंच पर , स्वागत मेरे भ्रात |
जवाब देंहटाएंसुंदर दोहों में कही,विविध रंग की बात ||
ठेस / टीस
जवाब देंहटाएंजिन की ख़ातिर मैं मरा, मिले उन्हीं से शूल
चन्दन अपने पास रख, मुझ को दिये बबूल
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अपने ही देते रहे,मन को गहरी चोट |
रिश्तों पर भारी हुए ,सोना,चाँदी नोट ||
आश्चर्य
जवाब देंहटाएंसंसद में पारित हुई, कुछ ऐसी तरक़ीब
दौलत अपनी बाँट के, नेता हुए ग़रीब
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अपना सबकुछ बाँट कर,जन-सेवा का काम !
अब भी सपने देखते , तुम्हें बचाये राम !!
हास्य-व्यंग्य
जवाब देंहटाएंइम्तहान की कापियाँ, गैया गई चबाय
गुरुजी गोबर देखकर, नम्बर रहे बनाय
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सुंदर देशज हास्य पर ,लियो बधाई मित्र |
हँसी अधर पर आ गई,खींचा खाँटी चित्र ||
सीख
जवाब देंहटाएंदूध फटा तो सुख मना, भूल बिदेसन चाय
फ़ौरन छेना छान कर, रसगुल्ले बनवाय
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दुख कपूर बन जात है,अच्छा अच्छा सोच |
सुख की राह तलाशने, हो निर्णय में लोच ||
नवीन जी की गज़ल पर...........
जवाब देंहटाएंभाव-प्रवण आवाज है,क्यों होते गमगीन
गज़ल हृदय को छू गई,आदरणीय नवीन ||
-- मेरे विचार से मात्रा-नियमानुसार ..संयुक्ताक्षर से पहले वाला लघु दीर्घ माना जाता है ...एवं संयुक्ताक्षर स्वयं अपने स्वरूपानुसार... अतः...
जवाब देंहटाएंउन्हीं= २+२ =४ मात्रा(=मूल शब्द उनही=१+१+२=४)
तुम्हीं(= मूल शब्द तुमही) = २+२ = ४ मात्रा
---किसी भी भांति लिखें ४ मात्राएँ ही रहेंगी |
आप लोगों की अनुमति मिल गई तो एक दोहा मैं भी प्रस्तुत करना चाहता हूँ दिवाली स्पेशल पोस्ट में।
जवाब देंहटाएंदिवाली स्पेशल पोस्ट में तो करें ही साथ में विनम्र अनुरोध है( बाध्यता नहीं)- अभी के आयोजन की समाप्ति भी अपने चमत्कृत करने वाले दोहों के साथ ही करें...सोरठे तो शानदार थे!
वैसे वादन व गायन में ..ह को दबा कर पढ़ा जाता है अतः मात्रा संयोजन होजाता है ...
जवाब देंहटाएंभाई उमाशंकर जी ----आपको चार टिप्पणियाँ डिलीट करनी पडी..??? शायद सिर्फ मेरा अनुमान ही है कि शायद पहले कुछ तल्ख़ टिप्पणियाँ थी भावावेग में ...
जवाब देंहटाएं---- शांतिपूर्वक पुनर्विचार अच्छी बात है एवं अच्छा गुण भी है...
तल्ख़ टिप्पणियों से नहीं,डरें आप श्रीमान|
सोच-समझ,शुचिज्ञान का,रखिये समुचित मान| ........
क्रम - 'क' और 'र' एक दूसरे में समा कर संयुक्ताक्षर हो गए मात्रा योग 1
जवाब देंहटाएंक्र 1 + म 1 = 2 मात्रा
विक्रम - 'र' का साथ छोड़ कर 'क', 'वि' से मिल गया
विक 2 + र 1 + म 1 = 4 मात्रा
हालाँकि यहाँ 'र' और 'म' की मात्रा गणना अलग विद्वान अलग रीति से कर सकते हैं परंतु मात्रा योग 4 ही रहेगा
यकृत - 'क' और 'र' संयुक्ताक्षर
य 1 + कृ 1 + त 1 = 3 मात्रा
ज्ञान - 'ग' और 'य' संयुक्ताक्षर
ज्ञा 2 + न 1 = 3 मात्रा
विज्ञान - 'य' का साथ छोड़ कर 'ग', 'वि' से जुड़ गया
विग [1+1] 2 + या 2 + न 1 = 5 मात्रा
मेरे मुँह से बोलते वक़्त "वि + ज्ञान" न निकल कर "विग्यान" ही निकलता है, अन्य मित्र भी एक बार उच्चारण कर के कनफर्म कर लें, हालाँकि ये लिखते वक़्त विज्ञान ही लिखा जाता है
शुचिज्ञान - शुचि को अलग शब्द समझते हुये 'ग', 'य' से जुड़ा रहा
शु 1 + चि 1 + ज्ञा 2 + न 1 = 5 मात्रा
अब पहले ऊपर वाले शब्दों का उच्चारण करें और फिर नीचे वाले शब्दों को भी बोलते हुये पढ़ें
तुम + ही
तु + म्हीं - 'म' और 'ह' संयुक्ताक्षर
उन + ही
उ + न्हीं - 'न' और 'ह' संयुक्ताक्षर
टिप्पणियों को रोका नहीं जा रहा, परंतु भावी संदर्भों हेतु स्पष्टीकरण आवश्यक है
Keep working, nice post! This was the information I had to know.
जवाब देंहटाएंकरवाचौथ की हार्दिक मंगलकामनाओं के साथ आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार (03-11-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
उमाशंकरजी, सचमुच सभी दोहे अच्छे है....
जवाब देंहटाएंइतने अच्छे दोहों के प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत बधाई.
उमाशंकर जी के चारों दोहे बहुत शानदार हैं। शिल्प भाव हर स्तर पर सटीक दोहे हैं। बहुत बहुत बधाई उमाशंकर जी को इन शानदार दोहों के लिए
जवाब देंहटाएंआदरणीया संगीता स्वरुप जी आपका आभारी हूँ
जवाब देंहटाएंआदरणीय यशवंत माथुर जी आपकी इन इनायतों
के लिए(लिंक देने ) हार्दिक आभार
आदरणीय महेंद्र वर्मा जी आपका धन्यवाद
आदरणीय डॉ. श्याम गुप्त जी आपकी संभावना,या शायद के लिए भी हार्दिक आभार
आदरणीय- की बोर्ड की कृपा से मुझे दो बार अपनी प्रतिक्रिया हटानी पड़ी
आदरणीय गुमनाम,अंजान जो भी हैं आपका भी आभार
आदरणीय डॉ. रूप चन्द्र शास्त्री जी आपका ह्रदय से आभार चर्चा मंच में
सम्मलित करने हेतु बहुत बहुत धन्यवाद
आदरणीय सत्यनारायण सिंह जी उत्साह वर्धन हेतु ह्रदय से धन्यवाद
आदरणीय धर्मेन्द्र जी आपकी प्रतिक्रिया मेरे लिए अमूल्य है आपका आभार
भ्राता अरुण आपके दोहे दर दोहे में सुन्दर प्रतिक्रिया ने मन मोह लिया
भ्राता की जयकार है, तुरत दिया परिणाम
प्रतिक्रिया विस्तृत मिली,मन को हुवा गुमान
मन को हुवा गुमान, देख ऐसा विशलेषन
लागा स्वर्ण समान, मिला हो पदमविभूषन
सज अरुण किरणों से, दमकता दोहा जाता
न हो कोई गुमान, लगे रहबर से भ्राता
सुन्दर दोहे
जवाब देंहटाएंसुंदर भाव... एक नजर इधर भी http://www.kuldeepkikavita.blogspot.com
जवाब देंहटाएंसभी दोहे अच्छे हैं ,
जवाब देंहटाएंइम्तहान की कापियाँ, गैया गई चबाय
गुरुजी गोबर देखकर, नम्बर रहे बनाय |
विशेष रूप से पसंद आया |
उमाशंकर जी को बहुत बधाई |
एक बात और , पहली बार इस ब्लॉग पर आया हूँ , आपका लिखने का तरीका भी बहुत रुचिकर लगा |
सादर
बहुत खूब ..जानदार
जवाब देंहटाएंबढ़िया दोहे..
जवाब देंहटाएंसार्थक प्रस्तुति ...
सुंदर रचनाएं ..
जवाब देंहटाएंबढिया लिखते हैं आप
दोहों के साथ टिप्पणियों का होना भी उसकी खूबसूरती बढ़ा रहा है। उमाशंकर जी को बधाई, खासकर व्यंग्य वाले दोहे ने तो मन जीत लिया।
जवाब देंहटाएंआदरणीय ओंकार जी हार्दिक आभार
जवाब देंहटाएंआदरणीय कुलदीप सिंह जी सादर आभार
प्रिय आकाश जी आपकी सहृदयता भरे प्रेम से अभिभूत हूँ
आभार
आदरणीया सुमन कपूर मीत जी आपकी प्रतिक्रिया ने बंदे की रचना को जानदार कर अभय कर दिया है
आदरणीया कविता जी आपकी सार्थकता ने दोहों को सार्थक कर दिया सादर आभार
आदरणीया संगीता जी आपके उदगार ने गद गद किया है आपका हार्दिक आभार
आदरणीय प्रतुल वशिष्ट जी
मन के जीते जीत है, सुन्दर ये उदगार
दोहों पर है हो रहा, वर्षा प्रतुल का प्यार
ह्रदय से आपका आभार