अगर
अपना समझते हो तो फिर नखरे दिखाओ मत
ये
कलियुग है, इसे द्वापर समझ कर भाव
खाओ मत
हम
इनसाँ हैं, मुसीबत में - बहुत कुछ
भूल जाते हैं
अगर
इस दिल में रहना है तो फिर ये दिल दुखाओ मत
न
ख़ुद मिलते हो, ना मिलने की सूरत ही
बनाते हो
जो इन
आँखों में रहना है तो फिर आँखें चुराओ मत
भला
किसने दिया है आप को ये नाम 'दुःखभंजन'
सलामत
रखना है ये नाम तो दुखड़े बढ़ाओ मत
मुआफ़ी
चाहता हूँ, पर मुझे ये बात कहने दो
तुम
अपने भक्तों के दिल को दुखा कर मुस्कुराओ मत
:- नवीन सी. चतुर्वेदी
बहरे
हजज मुसम्मन सालिम
मुफ़ाईलुन
मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन
1222 1222 1222 1222
क्या बात वाह!
जवाब देंहटाएंवाह, बहुत ख़ूब
जवाब देंहटाएंदीनदयाल
जवाब देंहटाएंकृपा करो दयालु
कृपानिधान
आपकी यह पोस्ट आज के (२६ अगस्त, २०१३) ब्लॉग बुलेटिन - आया आया फटफटिया बुलेटिन आया पर प्रस्तुत की जा रही है | बधाई
जवाब देंहटाएंये इंसा ही स्वयं के कर्म से कष्टों में पड़ता है |
जवाब देंहटाएंदोष भगवान पर लेकिन सदा वह अपने मढ़ता है|
मुआफ़ी चाहता हूँ, पर मुझे सच बात कहने दो,
मुस्कुराना स्वयं भूले उसे तो मुस्कुराने दो |
ये कलियुग है, इसे द्वापर समझ कर भाव खाओ मत
:)
जियो भैया ! कन्हैया कू उलहने घेर' दे डारे
बिरज के बाल कू मथुरा के मौजी ! ...यूं डराओ मत
-राजेन्द्र स्वर्णकार
नवीन जी
मेरी ख़ास पसंद की बह्र में लिखी आपकी यह ग़ज़ल बहुत अच्छी लगी...
हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !
वाह . बहुत उम्दा,सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति.जन्माष्टमी की बहुत बहुत शुभकामनायें-
जवाब देंहटाएंकभी यहाँ भी पधारें
http://saxenamadanmohan.blogspot.in/
http://saxenamadanmohan1969.blogspot.in/
bahut khub :)
जवाब देंहटाएं_/\_
जयश्री कृष्ण !
श्री कृष्ण जन्माष्टमी की बधाइयां और शुभकामनाएं !
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बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंॐ भगवते वासुदेवाय नम:!
latest postएक बार फिर आ जाओ कृष्ण।
वाह नवीन जी ... क्या नायाब नगीने हैं इस गज़ल में ... गज़ब का अंदाज़े बयाँ ...
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंजनाब! स्वामी युक्तेश्वर महराज जी के अनुसार यह द्वापर ही चल रहा है पर सभी माने तब न!
जवाब देंहटाएंदेखिए-
युग थ्योरी ऑफ स्वामी युक्तेश्वर गिरि