माँ आप सत हो, शक्ति दात्री , सुख-समृद्धि प्रदायिनी |
माँ इस धरा पर आप विद्या-वित्त-बल वरदायिनी |
माँ आप जड़-चेतन, चराचर, शुभ-अशुभ का मूल हो |
हर हाल में माँ आप निज संतान के अनुकूल हो ||
हरिगीतिका छन्द का विधान:-
चार चरण वाला छन्द
हर पंक्ति दो भागों में विभक्त
पहले भाग में १६ मात्रा
दूसरे भाग में १२ मात्रा
हर पंक्ति [पंक्ति के दूसरे भाग] के अंत में लघु और गुरु वर्ण / अक्षर अपेक्षित
माँ इस धरा पर आप विद्या-वित्त-बल वरदायिनी |
माँ आप जड़-चेतन, चराचर, शुभ-अशुभ का मूल हो |
हर हाल में माँ आप निज संतान के अनुकूल हो ||
हरिगीतिका छन्द का विधान:-
चार चरण वाला छन्द
हर पंक्ति दो भागों में विभक्त
पहले भाग में १६ मात्रा
दूसरे भाग में १२ मात्रा
हर पंक्ति [पंक्ति के दूसरे भाग] के अंत में लघु और गुरु वर्ण / अक्षर अपेक्षित
माँ से की गई आपकी प्रार्थना ..वसुधैव -कुटुम्बकम की भाब्ना से ओत -प्रोत है
जवाब देंहटाएंधन्यवाद बबन भाई|
जवाब देंहटाएंsundar shabdvimb!
जवाब देंहटाएंthx anupama ji
जवाब देंहटाएंहर हाल में माँ आप बच्चों के अनुकूल हो.... वाह नवीन जी, कितनी सटीक बात कही है आपने
जवाब देंहटाएंधन्यवाद सुशील भाई
जवाब देंहटाएंनवीन जी
जवाब देंहटाएंमाँ की इस अति सुन्दर प्रार्थना के लिए आपको बहुत बहुत बधाई..यह स्तुति मन को बहुत ही भायी...
अच्छी प्रस्तुति बधाई |
जवाब देंहटाएंआशा