हमारे समय के लोग
बातें करते हैं, बातें करते
रहते है, तब तक
जब तक बातें की जा सकें
जिन के बारे में सोचा जाना
चाहिए
हल निकाला जाना चाहिए
जिससे जागती रहे उम्मीदें
रौशनी बढ़ती रहे
बहस छिड़ती रहे,
हमारे समय के लोग
जिनमें औरतें भी है
बच्चे और बूढ़े भी
युवा लड़के और लड़कियाँ भी
पूछने लगे हैं सभी प्रश्न
प्रश्न पूछना सबकी आदत बन
चुकी है
समझ में नहीं आने वाली वे
सारी बातें वो जानना चाहते है
नहीं करते पसंद, चुप
रहना और सिर्फ सुनना चुपचाप
बिना जाने बातों का मतलब वे
बात करना भी पसंद नहीं करते
वे जिद्दी होते जा रहे हैं
बेसब्र भी
किसी का कुछ भी मनगढ़ंत कहना
वे बर्दाश्त नहीं करते
हर बात की तह तक जाना
सच का पता लगाना उनकी आदत बन
चुकी है
क्योंकि वे समझना चाहते हैं
वह भी
जो उनके दायरे से बाहर है
उनके दायरे, अब भी कुछ लोग
तय करने की कोशिश करते रहते हैं
कुछ लोग तय करना चाहते हैं
कुछ लोगों की सीमा
जबकि अपनी सीमा लोगों को खुद तय करनी चाहिए।

वाह,शानदार
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद 🙏
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