किसी को प्यार जूतों से, किसी
से प्यार
जूतों का
बदलता जा रहा है आजकल व्यवहार जूतों का
किसी के पाँव
नंगे हैं, किसी को हार
जूतों का
कभी कुत्ते, कभी
जूते, सभी
के दिन बहुरते हैं
अभी जूतों
की बारी
है,
हुआ त्यौहार जूतों
का
उधर चलने
लगे जूते, जिधर चलना
मुनासिब है
चले जूते, तो दीवाना
हुआ संसार जूतों का
ज़रूरी है जिन्हें मिलना,
मिलेंगे ढूँढकर उनको
कहीं सत्कार के
जूते, कहीं उपचार जूतों
का
पड़ें कमलेश जी-भरकर, तो
जूताख़ोर कहते
हैं
बहुत आभार जूतों का, बहुत आभार जूतों का

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