कौनसी बातन पै इतरायौ भयौ ऐ
बाबरौ इनसान भरमायौ भयौ ऐ
हाऊँ-फाऊँ कर रह्यौ ऐ चार
लँग कूँ
झूठ की दुनिया पै बौरायौ भयौ ऐ
होस में आजा,मरै
मत लोभ ते रे
जोरिवे कौ भूत चों छायौ भयौ
है
एक खन में सांस जे रुक जाएगी
रे
सत्य कौ परमान बिसरायौ भयौ ऐ
याद कर संतन की बानी, भूलगौ का
सूर कौ, कबिरा कौ सब गायौ भयौ ऐ
जाँ पै राजी आवै ताँ पै देख
लै जा
गुनि जन’न नें ज्ञान दरसायौ भयौ ऐ
बहुत धन्यवाद साहित्यम
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