ब्रजगजल - कौनसी बातन पै इतरायौ भयौ ऐ - उर्मिला माधव

 

कौनसी बातन पै इतरायौ भयौ ऐ 

बाबरौ इनसान भरमायौ भयौ ऐ

 

हाऊँ-फाऊँ कर रह्यौ ऐ चार लँग कूँ

झूठ की दुनिया पै बौरायौ भयौ ऐ

 

होस में आजा,मरै मत लोभ ते रे

जोरिवे कौ भूत चों छायौ भयौ है

 

एक खन में सांस जे रुक जाएगी रे

सत्य कौ परमान बिसरायौ भयौ ऐ

 

याद कर संतन की बानीभूलगौ का

सूर कौकबिरा कौ सब गायौ भयौ ऐ

 

जाँ पै राजी आवै ताँ पै देख लै जा

गुनि जन’न नें ज्ञान दरसायौ भयौ ऐ

1 टिप्पणी:

टिप्पणी करने के लिए 3 विकल्प हैं.
1. गूगल खाते के साथ - इसके लिए आप को इस विकल्प को चुनने के बाद अपने लॉग इन आय डी पास वर्ड के साथ लॉग इन कर के टिप्पणी करने पर टिप्पणी के साथ आप का नाम और फोटो भी दिखाई पड़ेगा.
2. अनाम (एनोनिमस) - इस विकल्प का चयन करने पर आप की टिप्पणी बिना नाम और फोटो के साथ प्रकाशित हो जायेगी. आप चाहें तो टिप्पणी के अन्त में अपना नाम लिख सकते हैं.
3. नाम / URL - इस विकल्प के चयन करने पर आप से आप का नाम पूछा जायेगा. आप अपना नाम लिख दें (URL अनिवार्य नहीं है) उस के बाद टिप्पणी लिख कर पोस्ट (प्रकाशित) कर दें. आपका लिखा हुआ आपके नाम के साथ दिखाई पड़ेगा.

विविध भारतीय भाषाओं / बोलियों की विभिन्न विधाओं की सेवा के लिए हो रहे इस उपक्रम में आपका सहयोग वांछित है. सादर.