क्यों माँ
क्या बातें कर रहे थे
पापा,चाचा
और दादी ?
क्या जन्म लेने से पहले ही
कर रहे थे,
मुझे मार डालने की तैयारी ?
अँहं,चौंको
मत माँ
कल रात
जब दीवार से कान लगाए
तुम सुन रही थी उनकी बात;
तब
मैं भी तो थी तुम्हारे साथ !
क्या जो वो चाहते हैं
तुम हो जाने दोगी?
गोद में आने से पहले ही
अपनी चकोर को
खो जाने दोगी ?
ना,आंसू
मत बहाओ माँ
क्योंकि
इन आंसुओं को पोंछोगी
तभी तो
मुझे बचा पाने की सोचोगी !
डबडबायी आँखों में
तैर गयी
जीवन की मुस्कान,
अब चाहे जो हो
जान पर खेलकर भी
बचाऊँगी मैं
अपनी चकोर की जान !
रिश्ते ही तो टूटेंगे
अपने ही तो छूटेंगे,
पर तुझसे ज़्यादा
कौन होगा मेरा अपना ;
तु तो है
मेरी ही साँसों से उपजी
मेरा सुंदर सा सपना !!
तेरी ख़ातिर तो
सबकुछ सह लूँगी
ज़रूरत पड़ी तो
उल्टी गंगा में भी बह
लूँगी !
लेकर चलूँगी
तुझे उस ओर
जहां होती हो
स्वछंद किलकारी की
एक नई भोर ;
तू देखना
तेरी माँ की ये कोशिश
लाखों माँओं को
पकड़ाएगी
हिम्मत की एक अटूट डोर ;
फिर जन्म लेने से पहले
कभी किसी कोख में
मरने न पाएगी
अब कोई चकोर !!
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