जब से मेरी लगन लगी है

जब से मेरी लगन लगी है
मेरे साईं राम से
सच कहता हूँ कटने लगी है
ज़िन्दगी आराम से



साईं तो है सब का खिवैया
सब की पार लगाये वो नैया
   भगत बुलाये वो ना आये
   ऐसा कभी हो सकता नहीं
      उस का बंदा नीर बहाये
      तो चैन से वो सकता नहीं
नंगे पाँव चला आता है
पुकारो किसी भी नाम से
सच कहता हूँ कटने लगी है
ज़िन्दगी आराम से


मतवाला वो सब से निराला
सब को पिलाये प्रेम का प्याला
   मैं माँगूँ और वो न पिलाये
   ऐसा कभी हो सकता नहीं
      उस को मेरी याद न आये
      ऐसा कभी हो सकता नहीं
प्रेम का प्याला मिले प्रेम से
पा न सके कोई दाम से
सच कहता हूँ कटने लगी है
ज़िन्दगी आराम से


जिसने माँगा उस ने पाया
सब के सर पर उस का साया
   शरणागत को ना अपनाये
  
ऐसा कभी हो सकता नहीं
      मन का चाहा भक्त न पाये
     
ऐसा कभी हो सकता नहीं
खाली हाथ न लौटा कोई
बंदा उस के धाम से 
सच कहता हूँ कटने लगी है
ज़िन्दगी आराम से

1 टिप्पणी:

  1. बहुत सुन्दर...
    साईं से प्रेम...और साईं का हमसे प्रेम...
    अदभुद..

    जय जय साईं राम...साईं राम जय जय राम...

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