हसरतें सुनता है और हुक़्म बजा लाता है
बस मेरा दिल ही मेरी बात समझ पाता है
इतनी सी बात ने खा डाले है लाखों जंगल
किसे अल्ला' किसे भगवान कहा जाता है
आज भी काफ़ी ख़ज़ाना है ज़मीं के नीचे
आदमी है कि परेशान हुआ जाता है
अच्छे अच्छों पे बकाया है किराया-ए-सराय
जो भी आता है, ठहरता है, गुजर जाता है
कुछ न कुछ भूल तो हम से भी हुई होगी 'नवीन'
चाँद-सूरज पे गहन यूँ ही नहीं आता है
:-
नवीन सी. चतुर्वेदी
बहरे रमल मुसम्मन मख़बून महज़ूफ़
फ़ाइलातुन फ़इलातुन फ़इलातुन फ़ेलुन
2122
1122 1122 22
अच्छे अच्छों पे बकाया है किराया-ए-सराय
जवाब देंहटाएंजो भी आता है, ठहरता है, गुजर जाता है
बहुत उम्दा अशआर !
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