सदियों पुरानी सभ्यता को बीस बार टटोलिए|
किसको मिली बैठे बिठाये क़ामयाबी बोलिए|
है वक़्त का यह ही तक़ाज़ा ध्यान से सुन लीजिए|
मंज़िल खड़ी है सामने ही, हौसला तो कीजिए||
चींटी कभी आराम करती आपने देखी कहीं|
कोशिश ज़दा रहती हमेशा, हारती मकड़ी नहीं|
सामान्य दिन का मामला हो, या कि फिर हो आपदा|
जलचर, गगनचर कर्म कर के, पेट भरते हैं सदा||
गुरुग्रंथ, गीता, बाइबिल, क़ुरआन, रामायण पढ़ी|
प्रारब्ध सबको मान्य है, पर - कर्म की महिमा बड़ी|
ऋगवेद की अनुपम ऋचाओं में इसी का ज़िक्र है|
संसार उस के साथ है जिस को समय की फ़िक्र है||
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ये ऊपर की पंक्तियाँ छन्द - हरिगीतिका पर हैं
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ये ऊपर की पंक्तियाँ छन्द - हरिगीतिका पर हैं
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ये पंक्तियाँ 2212 x 4 की बहर वाली ग़ज़ल [बहरे रजज़ मुसमन सालिम] के अनुरूप तो हैं;
परन्तु, हरिगीतिका फॉर्म में होने के कारण ग़ज़ल की शर्तों के अनुरूप नहीं हैं|
जो लोग ग़ज़ल में महारत रखते हों और ये छन्द लिखना चाहते हों,
उनकी मदद स्वरूप एक उदाहरण मात्र है ये|
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परन्तु, हरिगीतिका फॉर्म में होने के कारण ग़ज़ल की शर्तों के अनुरूप नहीं हैं|
जो लोग ग़ज़ल में महारत रखते हों और ये छन्द लिखना चाहते हों,
उनकी मदद स्वरूप एक उदाहरण मात्र है ये|
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चींटी कभी आराम करती आपने देखी कहीं|
जवाब देंहटाएंकोशिश ज़दा रहती हमेशा, हारती मकड़ी नहीं|
सामान्य दिन का मामला हो, या कि फिर हो आपदा|
जलचर, गगनचर कर्म कर के, पेट भरते हैं सदा||bahut badhiyaa
विषय और छन्द प्रयोग, दोनों ही अनुपम हैं, पढ़कर बह जाने का मन करने लगता है।
जवाब देंहटाएंकर्म की ओर प्रवृत्त करती प्रेरक पोस्ट ,समय बड़ा बलवान और कीमती है ,अच्छी पोस्ट ..कृपया यहाँ भी - http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/2011/08/blog-post_04.html
जवाब देंहटाएंऔर यहाँ भी -http://veerubhai1947.blogspot.com/और यहाँ भी -http://sb.samwaad.com/
बेहद प्रेरणादाई और सकारात्मक पोस्ट
जवाब देंहटाएंहरिगीतिका के लिए कमर कसली है नवीन जी
जवाब देंहटाएंकर्म की व्याख्या आपने अलग ढंग से की है-
गुरुग्रंथ, गीता, बाइबिल, क़ुरआन, रामायण पढ़ी|
प्रारब्ध सबको मान्य है, पर - कर्म की महिमा बड़ी|
ऋगवेद की अनुपम ऋचाओं में इसी का ज़िक्र है|
संसार उस के साथ है जिस को समय की फ़िक्र है||
आपकी श्रेष्ठ रचना से प्रेरणा मिली है …
हार्दिक बधाई !
शुभकामनाओं मंगलकामनाओं सहित…
-राजेन्द्र स्वर्णकार
bhaut acchi prstuti...
जवाब देंहटाएंगुरुग्रंथ, गीता, बाइबिल, क़ुरआन, रामायण पढ़ी|
जवाब देंहटाएंप्रारब्ध सबको मान्य है, पर - कर्म की महिमा बड़ी|
बहुत बढ़िया सर।
सादर