हमें
भी दिखा दो किताबों की दुनिया
हमारा भी मन है कि स्कूल जाएँ
पहाड़ा रटें और गिनती सुनाएँ
ककहरा से बातें करें और सीखें
कहाँ लगती हैं कौन सी मात्राएँ
गुणा-भाग को जोड़-बाक़ी को समझें
ज़रा हम भी देखें हिसाबों की दुनिया
हमें भी दिखा दो किताबों की दुनिया
पहाड़ा रटें और गिनती सुनाएँ
ककहरा से बातें करें और सीखें
कहाँ लगती हैं कौन सी मात्राएँ
गुणा-भाग को जोड़-बाक़ी को समझें
ज़रा हम भी देखें हिसाबों की दुनिया
हमें भी दिखा दो किताबों की दुनिया
हमें अक़्ल से कोई पत्थर न समझे
जो बदले न ऐसा मुक़द्दर न समझे
कि हम लड़कियाँ भी बराबर हैं क़ाबिल
हमें कोई लड़कों से कमतर न समझे
हमें भी तमन्ना है देखें तुम्हारे ,
सवालों की दुनिया,जवाबों की दुनिया
हमें भी दिखा दो किताबों की दुनिया
जो बदले न ऐसा मुक़द्दर न समझे
कि हम लड़कियाँ भी बराबर हैं क़ाबिल
हमें कोई लड़कों से कमतर न समझे
हमें भी तमन्ना है देखें तुम्हारे ,
सवालों की दुनिया,जवाबों की दुनिया
हमें भी दिखा दो किताबों की दुनिया
पढ़ेंगे लिखेंगे तो आगे बढ़ेंगे
तरक्क़ी की सीढ़ी पे हम भी चढ़ेंगे
समझ को नयी रौशनी दे सके जो
वो साईंस का पाठ हम भी पढ़ेंगे
कि हमको भी अब रास आने लगी है
पढ़े लिक्खे लोगों के ख़्वाबों की दुनिया
हमें भी दिखा दो किताबों की दुनिया
तरक्क़ी की सीढ़ी पे हम भी चढ़ेंगे
समझ को नयी रौशनी दे सके जो
वो साईंस का पाठ हम भी पढ़ेंगे
कि हमको भी अब रास आने लगी है
पढ़े लिक्खे लोगों के ख़्वाबों की दुनिया
हमें भी दिखा दो किताबों की दुनिया
ये सूरज का गोला, ये
चन्दा ये तारे
हवा में टँगे हैं ये किसके सहारे
इस आकाश में और क्या क्या छुपा है
हमें घेरे रहते हैं ये प्रश्न सारे
हमारी तरह है कि हमसे अलग है
फ़लक पर चमकते नवाबों की दुनिया
हमें भी दिखा दो किताबों की दुनिया
हवा में टँगे हैं ये किसके सहारे
इस आकाश में और क्या क्या छुपा है
हमें घेरे रहते हैं ये प्रश्न सारे
हमारी तरह है कि हमसे अलग है
फ़लक पर चमकते नवाबों की दुनिया
हमें भी दिखा दो किताबों की दुनिया
बहारों के मौसम ,खिज़ाओं
के झोंके
ये गर्म और ठंडी हवाओं के झोंके
ये बिजली ये बादल ये बारिश की रिमझिम
लरज़ती गरजती सदाओं के झोंके
कहाँ तक है रंग और ख़ुशबू का आलम
कहाँ तक है काँटों गुलाबों की दुनिया
हमें भी दिखा दो किताबों की दुनिया
ये गर्म और ठंडी हवाओं के झोंके
ये बिजली ये बादल ये बारिश की रिमझिम
लरज़ती गरजती सदाओं के झोंके
कहाँ तक है रंग और ख़ुशबू का आलम
कहाँ तक है काँटों गुलाबों की दुनिया
हमें भी दिखा दो किताबों की दुनिया
अगर हमको तालीम हो जाए हासिल
तो आगे की नस्लों को मिल जाए मंज़िल
मिला कर तुम्हारे क़दम से क़दम हम
करें दूर मिलजुल के आये जो मुश्किल
नए रंग भर कर नए रूप देकर
बना दें इसे कामयाबों की दुनिया
हमें भी दिखा दो किताबों की दुनिया
तो आगे की नस्लों को मिल जाए मंज़िल
मिला कर तुम्हारे क़दम से क़दम हम
करें दूर मिलजुल के आये जो मुश्किल
नए रंग भर कर नए रूप देकर
बना दें इसे कामयाबों की दुनिया
हमें भी दिखा दो किताबों की दुनिया
तुम्हारी तरह ये हमारा भी हक़ है
हमारा भी हक़ है,हमारा भी हक़ है
हमें भी दिखाओ ,हमें भी दिखाओ
हमें भी दिखाओ किताबों की दुनिया
:- ओम प्रकाश नदीम
हमारा भी हक़ है,हमारा भी हक़ है
हमें भी दिखाओ ,हमें भी दिखाओ
हमें भी दिखाओ किताबों की दुनिया
:- ओम प्रकाश नदीम
+91 9456460659
बहुत सुंदर रचना,,,नदीम जी से परिचय क्र्राने के लिए आभार,,
जवाब देंहटाएंRecent post: रंग गुलाल है यारो,
बहुत सोहती है, किताबों की दुनिया।
जवाब देंहटाएंहमें भी दिखाओ कलम-ओ-क़ुतुब का जहां..,
जवाब देंहटाएंकहाँ लफ्जों का महल है कहाँ हर्फ़ का मुहल्ला.....
लाजवाब रचना...हमें भी दिखा दो किताबों की दुनिया !!
जवाब देंहटाएंपढ़ेंगे लिखेंगे तो आगे बढ़ेंगे
जवाब देंहटाएंतरक्क़ी की सीढ़ी पे हम भी चढ़ेंगे
समझ को नयी रौशनी दे सके जो
वो साईंस का पाठ हम भी पढ़ेंगे
कि हमको भी अब रास आने लगी है
बहुत सरल शब्द और सुन्दर प्रवाहमयी रचना
बहुत उम्दा प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...
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