नहीं ऐसा नहीं लम्हे फ़क़त ग़मगीन आये हैं
मेरे हिस्से में ख़ुशियों के
भी पल दो तीन आये हैं
बशर की ज़िन्दगी में हादिसों
की धूप है माना
धनक जैसे भी कुछ सपने मगर
रंगीन आये हैं
न जाने क्या सज़ा देगी ये
दुनिया सच-बयानी की
मेरे सर पे कई इल्ज़ाम भी
संगीन आये हैं
चलें देखें कि क्या होता है
अब राह-ए-मुहब्बत में
जिन्हें है ख़ुदकुशी का शौक़
वे शौक़ीन आये हैं
कभी मरना है जीते जी कभी मर
मर के जीना है
मेरे किरदार के हिस्से में
बस ये सीन आये हैं
बहुत मजबूर होकर जब अना ने
साथ छोड़ा था
कमाने शहर में उस दिन से
मातादीन आये हैं
मुबारकबाद देने आ गये वे
भूलकर रंजिश
मेरे घर में बनारस से नये क़ालीन आये हैं
बढ़िया प्रस्तुति है। धन्यवाद।
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