कुछ
भी नहीं है बाकी बाज़ार चल रहा है
ये
कारोबारे-दुनिया बेकार चल रहा है
वो जो
ज़मीं पे कब से एक पाँव पे खड़ा था
सुनते
हैं आसमाँ के उस पार चल रहा है
कुछ
मुज़्महिल सा मैं भी रहता हूँ अपने अन्दर
वो भी
कई दिनों से बीमार चल रहा है
शोरीदगी
हमारी ऐसे तो कम न होगी
देखो
वो हो के कितना तैयार चल रहा है
तुम
आओ तो कुछ उस की मिट्टी इधर-उधर हो
अब तक
तो दिल का रसता हमवार चल रहा है
मुज़्महिल
– थका-माँदा, शोरीदगी – जुनून, हमवार
– सपाट, सीधा, चिकना, बिना ऊबड़-खाबड़ वाला
सालिम
सलीम
9540601028
बहरे मज़ारिअ मुसम्मन मक्फ़ूफ़ मक्फ़ूफ़
मुख़न्नक मक़्सूर
मफ़ऊलु फ़ाइलातुन मफ़ऊलु फ़ाइलातुन
221 2122 221 2122
ख़ूब.....
जवाब देंहटाएं