rakhi |
बहना की दादागिरी, भैया की मनुहार|
ये सब ले कर आ रहा, राखी का त्यौहार||
राखी का त्यौहार, यार क्या कहने इस के|
वो "राखी सरताज", बीस बहना$ हों जिस के|
ठूँस-ठूँस तिरकोन*, मिठाई खाते रहना|
फिर से आई याद, हमें राखी औ बहना||
सबसे पूर्व सगी-बड़ी, बहना का अधिकार|
उस के पीछे साब जी, लाइन लगे अपार||
लाइन लगे अपार, तिलक लगवाते जाओ|
गिन गिन के फिर नोट, तुरंत थमाते जाओ|
मॉडर्न डिवलपमेंट, हुआ भारत में जब से|
ये अनुपम आनंद, छिन गया, तब से, सब से|| @
*मथुरा में समोसे को तिरकोन कहा जाता है [त्रिकोण जैसा दिखने के कारण]
$ अपनी बहन, चाची, काकी, भुआ, मौसी और मामियों की लड़कियां मिला कर
बीस बहनें भी होती थीं किसी किसी के| और भुआयें अलग से - बोनस में|
@ सुख भरी यादों के बीच दुखांत तो है, पर समय की सच्चाई भी यही है
छन्द - कुण्डलिया
त्यौहार के बदलते मायने पर पारंपरिक छंद विधा में रचना अच्छी लगी.. पवन पर्व रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामना...
जवाब देंहटाएंअब तो एक बहन भी मुश्किल से मिलती है ..अच्छी रचना
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंरचना अच्छी लगी पर यह तो लिखा ही नहीं कि इसमे कौनसा प्रयोग है |
जवाब देंहटाएंआशा
पुराना आनन्द त्योहारों का, कहाँ चला गया?
जवाब देंहटाएंपरिस्थितियों की मार कि एक बहन दक्षिण भारत में है तो दूसरी उत्तर में। और हम पूर्व भारत में। पता नहीं किसी से मिलना हो पाता है या नहीं।
जवाब देंहटाएंदादागिरी शब्द का प्रयोग आपने किया है तो ... सोच कर ही किया होगा। पता नहीं क्यों इस संदर्भ में
जवाब देंहटाएंकुछ ये विचार मन में आ रहे हैं
कि बंगाल में भाई को दादा कहते हैं तो उसके लिए ही दादागिरी उचित प्रतीत होता है। जब संदर्भ दीदी का है तो क्यॊं न आप दीदीगिरी शब्द का ईज़ाद कर कर देते हैं।
आद. मनोज जी आप का प्रस्ताव अच्छा है :)
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर...वाह!
जवाब देंहटाएंEk din to bahan ko dadagiri karne ko milta hai...
जवाब देंहटाएंbadiya prastuti..
सुन्दर सामयिक प्रस्तुति ....
जवाब देंहटाएंबढ़िया कुण्डलियाँ ........
छंद महोत्सव में भी पढी यह कुण्डलिया...
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया नवीन भईया...
सादर...
बहुत भावपूर्ण प्रस्तुति...यादों को बहुत पीछे ले गयी..
जवाब देंहटाएंदोनों ही कुंडलियाँ मन को भा गईं नवीन जी, इस पावन पर्व पर इन कुंडलियों के लिए बधाइ स्वीकार कीजिए।
जवाब देंहटाएंबीते हुए दिनों की याद दिलाती हुई पोस्ट अच्छी लगी बधाई
जवाब देंहटाएंमौके के अनुसार लिखना आसान नहीं ... पर आपके सामने कुछ मुश्किल भी तो नहीं नवीन जी ... मनभावन कुंडलियाँ ...
जवाब देंहटाएं.
जवाब देंहटाएंनवीन जी ,
सुंदर कुंडलियों के लिए बधाई !
रक्षाबंधन की शुभकामनाएं !