सुबह सुबह
देखता हूँ सड़क पर एक
सोलह वर्षीय मृत बालिका
घेरे खड़ी भीड़....
रुका मैं
पूछा कैसे मरी
उत्तर मिला पीलिया से
भर्ती थी वो अस्पताल में
उसे ले जा रहे थे
पीलिया झड़वाने
रास्ते में ही मर गयी बेचारी
हाय रे! अशिक्षा....
हो रही थी देर
पत्नी को छोड़ना था स्कूल
सोचा लौट कर देखता हूँ ....
जल्दी से आया वापस
देखा भीड़ और बढ़ गयी
तभी दिखे
एक परिचित
समाजसेवी संस्था चलाते हैं
बोले वो
अभी गाड़ी भिजवाता हूँ
और वापस हो लिए
सोंचा मैंने दे गए चरका....
हो रही थी देर
आता दिखा तभी
एक ठेलिया वाला
हमने रोका उसे और कहा
छोड़ आ इसे इसके गाँव
बस चार किलोमीटर दूर है
वापसी तक का किराया
हम देंगे तुझे ....
बोला नहीं जाऊंगा
मैंने पूछा अगर ये
तेरी लाड़ली होती तो
कैसे दे पाता उत्तर वो
बस चुपचाप खिसक लिया....
इतने में दिखी
एक मिनी कैरियर
भीड़ ने रोका उसे
वो रुका तो
मगर ले जाने से
उसने भी किया
एकदम इंकार ही....
चंदा जुटाकर
किराया देने को
तैयार खड़ी भीड़
कुछ पुलिस वालों ने भी
कहा इसे छोड़ आ
पर वो नहीं हुआ राजी
और वो भी निकल लिया ....
कुछ देर बाद
आती दिखी लाश गाड़ी
जो ले गयी उसे गंतव्य तक
उन समाज सेवक मित्र ने
निभाया था वादा
और थी वो संस्था भी
काबिल ए तारीफ ....
एक तरफ ये शहर वासी
दूजी ओर ठेलिया चालक
व कैरियर ड्राईवर
एक सहृदय बने
तो दूजों ने अनसुनी की
अपनी अंतरात्मा की
एक तरफ गैर थे तो
दूजी ओर उसके अपने भाई ....
अभागी थी वो
शायद क्योंकि
मरने के बाद भी जिसे
गैरों ने ही अपनाया
दगा की उसके अपनों ने ही....
अगर होती वो जिन्दा
तो ले जाने को साथ
होते लालायित सभी ये
शायद मरते ही
इनकी नजरों में
हो गयी अछूत वो
तभी तो
कैसे करते स्पर्श उसे
क्योंकि इनमें
मानवता ही मर चुकी थी....
इस गैरत की तह में शायद
अशिक्षा अभाव
व गरीबी ही होगी
इससे रहना है गर दूर
तो अपनी नीयत हमें
साफ़ रखनी ही होगी
हमेशा साफ़ ही रखनी होगी....
--अम्बरीष श्रीवास्तव
इस गैरत की तह में शायद
जवाब देंहटाएंअशिक्षा अभाव
व गरीबी ही होगी
इससे रहना है गर दूर
तो अपनी नीयत हमें
साफ़ रखनी ही होगी
हमेशा साफ़ ही रखनी होगी....
मार्मिक रचना। हमारी संवेदनायें दिन ब दिन मरती जा रही हैं। पूरी रचना बहुत अच्छी लगी। अम्बरीश जी को बधाई।
बहुत सही कहा .. मरते ही लोगो में निहित मानवता ही मर गयी..कवि ने कारण भी बताया की इसका करण अशिक्षा अभाव होगा... आपकी यह रचना कल चर्चामंच पर होगी... आपका आभार ..आप वहाँ आ कर हमें अनुग्रहित करियेगा
जवाब देंहटाएंमार्मिक ..संवेदनशील रचना ...... बहुत अच्छे ढंग से विद्रूपताओं को उकेरा आपने.....
जवाब देंहटाएंकल 09/12/2011को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
Marmik, sachchai bayan karne wali rachna....
जवाब देंहटाएंSachmuch hamein niyatein saaf karne ki zarurat hai...