सभी साहित्य रसिकों का पुन: सादर अभिवादन और होली की शुभकामनाएँ
दोहा छन्द पर आधारित दूसरी समस्या पूर्ति के पाँचवे सत्र में आप सभी का सहृदय स्वागत है|
रंग-भंग-हुड़दंग सँग, हास-रास-श्रिंगार|
क्या-क्या ले कर आ गया, होली का त्यौहार|१|
सब के रँग में रँग सभी, गये इस तरह डूब|
आज विविधता में हमें, दिखी एकता खूब|२|
तेरे रँग में रँग गया, आज अंग प्रत्यंग|
और पृथकता घुल गई, अपनेपन के संग|३|
:- मयंक अवस्थी
भाई मयंक अवस्थी जी ने चौपाई छन्द पर आधारित पहली समस्या पूर्ति में भी मनभावन चौपाइयाँ प्रस्तुत की थीं और इस बार भी उन्होने अपनी कलम की जादूगरी से हमें मंत्र मुग्ध कर दिया है| ग़ज़ल में महारत रखने वाले मयंक भाई की छन्दों पर पकड़ उन के ज्ञान और अनुभव का जीता जागता उदाहरण है|
होली में रितुराज ने किया धरा को तंग|
अंग-अंग पर मल दिया धानी-धानी रंग|१|
नदी पार था चूमता, सूर्य धरा के गाल|
लहरों ने टोका तभी, हुआ शर्म से लाल|२|
सरसों ने पहना दिया, पीत पुष्प परिधान|
धरती दुल्हन सी सजी, कोयल गाये गान|३|
बने प्रीत खुद गोपिका, मन हो नंद-कुमार|
उर-अंतर प्रतिक्षण मने, होली का त्यौहार|४|
फागुन आया, प्रीत की, रिमझिम पड़े फ़ुहार|
नस-नस में उठने लगा, दिव्य प्रेम का ज्वार|5|
'पी' सम्मुख हैं सुंदरी, कर ले पूरन काज|
कंठहार-सी लग गले, छोड़ जगत की लाज|6|
फागुन आया, प्रीत की, रिमझिम पड़े फ़ुहार|
नस-नस में उठने लगा, दिव्य प्रेम का ज्वार|5|
'पी' सम्मुख हैं सुंदरी, कर ले पूरन काज|
कंठहार-सी लग गले, छोड़ जगत की लाज|6|
:- रविकान्त पाण्डेय
रविकान्त जी ने तो होली की जो अद्भुत छटा दिखलाई है हमें, उस की जितनी तारीफ की जाए, कम ही है| प्रकृति की होली के इस बेशक़ीमती नज़ारे ने इस मंच को और भी अधिक गरिमा प्रदान की है| दिल से यही आवाज़ आ रही है दोस्त कि माँ शारदा आप पर सदा मेहरबान रहें|
भंग रंग आनंद मय, होली का त्यौहार|
ब्रज भूमि की देखिये, आनंद छटा अपार|१|
सन्मुख राजाधिराज के, ढप ढोलक की थाप|
रंगों में मन डूब के, कर मन हरि का जाप|२|
ब्रजवासिन के संग में, नटवर नन्द किशोर|
भक्ति प्रेम का अमिट रँग, बरस रहा चहुँ ओर|३|
मन के कलुष मिटाय के, जीवन कर साकार|
बड़े भाग्य से आत है, होली सा त्यौहार|४|
इस सत्र के तीसरे कवि हैं शेखर चतुर्वेदी| शेखर भाई आपने मथुरा की द्वारिकाधीश [राजाधिराज] जी के साक्षात दर्शन करा दिए| छन्द साहित्य के प्रति आप का रुझान इस बार भी प्रभावित करने में सक्षम रहा है| इन के जैसे और भी कवियों / कवियत्रियों को इस मंच से जुड़ना चाहिए|
अगली पोस्ट में मिलेगे कुछ और कवियों के साथ| तब तक आप इन दोहों के रंगों में सराबोर हो कर होली का आनंद लीजिए और अपने टिप्पणी रूपी पुष्पों की वर्षा कीजिए||
आप सभी को रंगों के इस महापर्व की ढेरों बधाइयाँ|
खुशियों का स्वागत करे, हर आँगन हर द्वार|
कुछ ऐसा हो इस बरस, होली का त्यौहार||
मंगल रंगों से सराबोर सुंदर प्रयोग.
जवाब देंहटाएंहोली के मनभावन रंग ... आज तो प्रेम, प्रीत के रंगों से सजे हैं ये दोहे ... मज़ा आ गया ...
जवाब देंहटाएंbahut sundar ..sundar sundar dohe...
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