tag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post9219050883480902728..comments2024-03-22T11:27:03.707+05:30Comments on साहित्यम्: दर-दर भटकसु रामजी, रावन बड़हन पेट - सौरभ पाण्डेय www.navincchaturvedi.blogspot.comhttp://www.blogger.com/profile/07881796115131060758noreply@blogger.comBlogger28125tag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-9835691320081764302013-10-13T02:25:52.573+05:302013-10-13T02:25:52.573+05:30जय हो जय हो मान्यवर, नमन करें स्वीकार
दोहों की भी...<b>जय हो जय हो मान्यवर, नमन करें स्वीकार <br />दोहों की भी चाह थी, पढ़ें धरम इक बार .. . ..</b><br /><br />सादर <br />Saurabhhttps://www.blogger.com/profile/01860891071653618058noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-35934573812703070272013-10-13T00:07:20.218+05:302013-10-13T00:07:20.218+05:30तीन वर्ष पूरे हुये, ठाले बैठे आप
किंतु काल के भाल ...तीन वर्ष पूरे हुये, ठाले बैठे आप<br />किंतु काल के भाल पर, छोड़ रहे हैं छाप<br /><br />जय हो जय हो मान्यवर, नमन करें स्वीकार<br />आयोजन चलते रहें, यूँ ही बारंबार‘सज्जन’ धर्मेन्द्रhttps://www.blogger.com/profile/02517720156886823390noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-66037437082450857962013-10-13T00:01:43.144+05:302013-10-13T00:01:43.144+05:30जय हो जय हो मान्यवर, नमन करें स्वीकार
सुंदर दोहों ...जय हो जय हो मान्यवर, नमन करें स्वीकार<br />सुंदर दोहों को पढ़ें, सरस्वती सौ बार‘सज्जन’ धर्मेन्द्रhttps://www.blogger.com/profile/02517720156886823390noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-63082765316495948472013-10-10T17:49:49.453+05:302013-10-10T17:49:49.453+05:30ऋता शेखर मधुजी, आपकी प्रतिक्रिया ने मुग्ध कर दिया....ऋता शेखर मधुजी, आपकी प्रतिक्रिया ने मुग्ध कर दिया. आश्वस्त हूँ कि रचना भाषा की कसौटी पर खरी है. भोजपुरी के अलावे बिहार राज्य में बहुतायत से बोली जाने वाली मागधी, मैथिली, बज्जिका के साथ-साथ अन्य मिश्रित भाषाओं से भी मेरा आत्मीय सम्बन्ध रहा है. इन भाषाओं का विन्यास, इनका लालित्य, इनका व्यवहार मोहता ही नहीं, बल्कि प्रयुक्त करने के लिए सुप्रेरित भी करता है. <br /><br />दोहे आपको <b>नीक </b> लगे, यह Saurabhhttps://www.blogger.com/profile/01860891071653618058noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-67243117894992614812013-10-09T14:11:32.560+05:302013-10-09T14:11:32.560+05:30वाह...आज की पोस्ट पर तो डबल खुशियाँ हैं...ब्लॉग ने...वाह...आज की पोस्ट पर तो डबल खुशियाँ हैं...ब्लॉग ने चौथे वर्ष में प्रवेश किया...इसके लिए अनंत बधाई एवं शुभकामनाएँ ...दूसरी अच्छी बात है आ० सौरभ भइया की भोजपूरी दोहावली...मेरी भाषा मागधी है...पर भोजपूरी मे ही कह रही हूँ...सभे दोहा नीक बा...:)...सादरऋता शेखर 'मधु'https://www.blogger.com/profile/00472342261746574536noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-35816917624558613412013-10-08T23:07:08.840+05:302013-10-08T23:07:08.840+05:30मन में नेह-सुमान के, बनल रहो बर्ताव
कोटि-कोटि अभि...<b>मन में नेह-सुमान के, बनल रहो बर्ताव <br />कोटि-कोटि अभिषेक से, रचि-रचि भीजल भाव.. </b><br /><br />हार्दिक धन्यवाद, खुर्शीदभाईजी.<br />शुभ-शुभ<br />Saurabhhttps://www.blogger.com/profile/01860891071653618058noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-46076924736916132842013-10-08T22:57:04.988+05:302013-10-08T22:57:04.988+05:30आद. धीरेन्द्र भाईजी, सादर..
आद. धीरेन्द्र भाईजी, सादर.. <br /><br /> Saurabhhttps://www.blogger.com/profile/01860891071653618058noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-31261128427917742282013-10-08T22:48:56.821+05:302013-10-08T22:48:56.821+05:30कितने अद्भुत भाव हैं, कितना मोहक स्नेह
दोहामय यह...<b>कितने अद्भुत भाव हैं, कितना मोहक स्नेह <br />दोहामय यह टिप्पणी, जैसे रिमझिम मेह.. . </b><br /><br />हार्दिक धन्यवाद, वीनसभाई.<br />शुभ-शुभ<br />Saurabhhttps://www.blogger.com/profile/01860891071653618058noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-58985549280009309592013-10-08T22:39:48.458+05:302013-10-08T22:39:48.458+05:30आदरणीय सत्यनारायणजी, ऐसा प्रतीत हो रहा है मानों, ए...आदरणीय सत्यनारायणजी, ऐसा प्रतीत हो रहा है मानों, एक अरसे बाद आपसे मुलाकात हो रही है. <br />आपका अनुमोदन सहर्ष स्वीकार करता हूँ. <br />सादर<br />Saurabhhttps://www.blogger.com/profile/01860891071653618058noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-2111810936142195832013-10-08T22:37:51.996+05:302013-10-08T22:37:51.996+05:30भाई मयंकजी, मैं सदा से आपकी अनुमोदन-प्रतिक्रियाओं ...भाई मयंकजी, मैं सदा से आपकी अनुमोदन-प्रतिक्रियाओं से धनी होता रहा हूँ. सही कहूँ तो, आपकी प्रस्तुत उदार प्रतिक्रिया ने मुझे कुछ और साहसी बना दिया है. <br />सादर आभार<br />Saurabhhttps://www.blogger.com/profile/01860891071653618058noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-1863256287845680732013-10-08T22:34:13.708+05:302013-10-08T22:34:13.708+05:30आदरणीया कल्पनाजी, आपकी सकारात्मक प्रतिक्रिया सदा स...आदरणीया कल्पनाजी, आपकी सकारात्मक प्रतिक्रिया सदा से कुछ बेहतर करने को उत्साहित करती रही है. <br />सादर आभार. Saurabhhttps://www.blogger.com/profile/01860891071653618058noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-30476129799228562132013-10-08T22:32:32.945+05:302013-10-08T22:32:32.945+05:30भाई शेखरजी, आप अवश्य इन दोहों का रस लें. आपकी प्रत...भाई शेखरजी, आप अवश्य इन दोहों का रस लें. आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा रहेगी. <br />शुभ-शुभ<br />Saurabhhttps://www.blogger.com/profile/01860891071653618058noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-7747053317133469782013-10-08T22:31:07.288+05:302013-10-08T22:31:07.288+05:30आदरणीय नीरजभाईजी, आपसे बधाई पाना सदा से आत्मीय अपे...आदरणीय नीरजभाईजी, आपसे बधाई पाना सदा से आत्मीय अपेक्षा रही है. <br />सादर<br />Saurabhhttps://www.blogger.com/profile/01860891071653618058noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-69412695738584748892013-10-08T22:28:38.426+05:302013-10-08T22:28:38.426+05:30दिगम्बर भाईजी, एक अरसे बाद आपसे भेंट हो रही है. इस...दिगम्बर भाईजी, एक अरसे बाद आपसे भेंट हो रही है. इस बधाई के लिए हार्दिक धन्यवाद. <br />Saurabhhttps://www.blogger.com/profile/01860891071653618058noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-69552355339387875322013-10-08T22:26:00.221+05:302013-10-08T22:26:00.221+05:30सादर आभार, रविकर भाईजी.
सादर आभार, रविकर भाईजी.<br />Saurabhhttps://www.blogger.com/profile/01860891071653618058noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-13963494182050282172013-10-08T22:23:31.567+05:302013-10-08T22:23:31.567+05:30भाई नवीनजी, मेरे मन में मंच के प्रति सदा से हार्दि...भाई नवीनजी, मेरे मन में मंच के प्रति सदा से हार्दिक और सरस भाव रहे हैं. <br />ताने-बाने को साध कर ही कोई बुनकर नहीं हो जाता, भाईजी, बल्कि कला-साधना हेतु सकारात्मक वातावरण, साथ ही, अभ्यासी के कंधों पर किन्हीं आत्मीय हथेलियों का आश्वस्तिकारक स्पर्श दोनों कितना आवश्यक हुआ करते हैं, इसका सार्थक भान उसी अभ्यासी को हो सकता है जिसने साधना-क्रम में धागे के रेशे-रेशे को महसूसा है, और फिर, कताई-बुनाई को Saurabhhttps://www.blogger.com/profile/01860891071653618058noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-22083946433877619222013-10-08T21:11:48.496+05:302013-10-08T21:11:48.496+05:30आभार मान्यवर आभार मान्यवर www.navincchaturvedi.blogspot.comhttps://www.blogger.com/profile/07881796115131060758noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-51466525836814405322013-10-08T21:11:07.079+05:302013-10-08T21:11:07.079+05:30शेखर आप उन साथियों में से हैं जो ठाले-बैठे को अपना...शेखर आप उन साथियों में से हैं जो ठाले-बैठे को अपना ब्लॉग समझते हैं व इस से जुड़ी ख़ुशी को अपनी ख़ुशी। बहुत-बहुत आभार व आप को भी बधाइयाँ.... www.navincchaturvedi.blogspot.comhttps://www.blogger.com/profile/07881796115131060758noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-48192149448412539482013-10-08T21:10:03.937+05:302013-10-08T21:10:03.937+05:30आभारी हूँ बड़े भाई, आप का आशीर्वाद अनमोल है मेरे लि...आभारी हूँ बड़े भाई, आप का आशीर्वाद अनमोल है मेरे लिए www.navincchaturvedi.blogspot.comhttps://www.blogger.com/profile/07881796115131060758noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-1845256860981472612013-10-08T20:25:56.266+05:302013-10-08T20:25:56.266+05:30सौरभ भाई भोज के,दोहे कहले नेक
हरषित मनवा हो गइल, क...सौरभ भाई भोज के,दोहे कहले नेक<br />हरषित मनवा हो गइल, कोटि अभिषेक<br />आ. भाईसाहब मज़ा आ गयाख़ुरशीद खैराड़ीhttps://www.blogger.com/profile/01886340266599269733noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-21287213255680971342013-10-08T20:15:34.689+05:302013-10-08T20:15:34.689+05:30नवीन जी ! आपको ब्लोगिंग जगत में तीन वर्ष की (साधन... नवीन जी ! आपको ब्लोगिंग जगत में तीन वर्ष की (साधना )पूरे करने के लिए बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाए,,, !<br /><br /><b>RECENT POST </b><a href="http://dheerendra11.blogspot.in/2013/10/blog-post_8.html#links" rel="nofollow">: अपनी राम कहानी में.</a>धीरेन्द्र सिंह भदौरिया https://www.blogger.com/profile/09047336871751054497noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-83305478228419624662013-10-08T20:08:47.808+05:302013-10-08T20:08:47.808+05:30राम कथा दोहावली, को हम ह्रदय उतार
सौरभमय होते गए...राम कथा दोहावली, को हम ह्रदय उतार <br />सौरभमय होते गए, पढ़ते बारम्बार वीनस केसरीhttps://www.blogger.com/profile/08468768612776401428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-82684583871973113362013-10-08T19:01:51.229+05:302013-10-08T19:01:51.229+05:30परम आदरणीय सौरभ जी तथा नवीन जी आपसे सदैव बहुत कुछ ...परम आदरणीय सौरभ जी तथा नवीन जी आपसे सदैव बहुत कुछ सीखने को मिल रहा है. यह हमारे लिए सौभाग्य की बात है. आज की पोस्ट भी उसी का एक हिस्सा है. शब्दों के भावार्थ से दोहों की भावदशा को समझ पाना सुगम हो गया है. <br />आज भी समाज में पुरुष प्रधान संस्कृति का कितना वर्चस्व है जिसका आकलन हम निम्न दोहे को पढ़कर कर सकते है. आपका आभारी हूँ आदरणीय <br />रहि-रहि मन अकुतात बा, दुअरा लखन-लकीर<br />सीता सहमसु Satyanarayan singhhttps://www.blogger.com/profile/00790105613649162597noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-27398736499023461222013-10-08T19:00:04.861+05:302013-10-08T19:00:04.861+05:30सौरभ भाई !! क्या खूबसूरत दोहे कहे हैं आपने ??!! भा...सौरभ भाई !! क्या खूबसूरत दोहे कहे हैं आपने ??!! भाषा, भाव और अभिव्यक्ति की सामर्थ्य से हर दोहा चमक रहा है। मेरा भोजपुरी भाषा से परिचय नाममात्र का ही है लेकिन अर्थ पंजिका देखने के बाद दोहे स्पष्ट हुये और अधिक प्रभावी हो गये। वैसे जो कुछ उत्कृष्ट साहित्यिक अभिव्यक्ति में होना चहिये वो सब कुछ तो है इन दोहों में !!!! भाषा को भी भावी प्रवाह के लिये ऐसे ही समर्थ और सशक्त आधारों की आवश्यकता होती है – Mayank Awasthihttps://www.blogger.com/profile/16120430247055660504noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-866706753259283822013-10-08T18:27:50.221+05:302013-10-08T18:27:50.221+05:30दोहों का भावार्थ तो समझ में आ गया। लय ही आनंद का ए...दोहों का भावार्थ तो समझ में आ गया। लय ही आनंद का एहसास करा देती है। भाषा का ज्ञान होता तो बात ही और थी। शब्दार्थ दिये हुए हैं लेकिन अर्थ देखने लगें तो ध्यान भंग और आनंद चौपट...इसलिए 3-4 बार पढ़कर समझ लिया। आदरणीय सौरभ जी का हार्दिक आभार कल्पना रामानीhttps://www.blogger.com/profile/17587173871439989311noreply@blogger.com