tag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post9025739004581846313..comments2024-03-22T11:27:03.707+05:30Comments on साहित्यम्: क्या कहते हैं आप?www.navincchaturvedi.blogspot.comhttp://www.blogger.com/profile/07881796115131060758noreply@blogger.comBlogger20125tag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-90185726869392094292010-11-30T14:08:10.644+05:302010-11-30T14:08:10.644+05:30ओहो, ये तो सोचा ही नहीं था भास्कर बंधु| भाई अलग हट...ओहो, ये तो सोचा ही नहीं था भास्कर बंधु| भाई अलग हट के राय दी है आपने| धन्यवाद|www.navincchaturvedi.blogspot.comhttps://www.blogger.com/profile/07881796115131060758noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-65255804005599463512010-11-30T13:51:05.773+05:302010-11-30T13:51:05.773+05:30जो कम से कम शब्दों में ज्यादा से ज्यादा बात कह जाय...जो कम से कम शब्दों में ज्यादा से ज्यादा बात कह जाये....माफ़ करियेगा अर्थशास्त्र का स्टुडेंट हूँ ..आदत से मजबूर हूँभास्कर अग्रवालhttps://www.blogger.com/profile/10634627326965631045noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-76393841543878842352010-11-29T15:13:02.005+05:302010-11-29T15:13:02.005+05:30शेखर भाई आप ने अपने अग्रजों के संस्कारों को सम्मान...शेखर भाई आप ने अपने अग्रजों के संस्कारों को सम्मानित किया है| आदरणीय स्व. श्री शंकर लाल जी की परंपरा को आप अवश्य आगे बढ़ाएँगे, ये सुनिश्चित है| युवावस्था में ही आप के विचारों ने प्रभावित किया है| आभार|www.navincchaturvedi.blogspot.comhttps://www.blogger.com/profile/07881796115131060758noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-39064668358222063762010-11-29T15:09:33.941+05:302010-11-29T15:09:33.941+05:30साहित्य ही किसी देश को वैचारिक रूप से प्रबल बनाता ...साहित्य ही किसी देश को वैचारिक रूप से प्रबल बनाता है.<br />इसी लिए साहित्यकार ऐसा होना चाहिए जो अपने विचारों से समाज का ना सिर्फ़ स्वस्थ मनोरंजन करे बल्कि उसे कहीं ना कहीं सोचने पर भी मजबूर करे. केवल प्रसंशा या वाहवाही के लिए सस्ता या भॉड़ा साहित्य लिखना सिर्फ़ व्यवसाय मात्र है.शेखर चतुर्वेदीhttps://www.blogger.com/profile/03570068972021024352noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-63750924281560977252010-11-29T12:45:39.138+05:302010-11-29T12:45:39.138+05:30वाणी जी आभार|वाणी जी आभार|www.navincchaturvedi.blogspot.comhttps://www.blogger.com/profile/07881796115131060758noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-36830876744669533612010-11-29T07:30:00.884+05:302010-11-29T07:30:00.884+05:30आलेख और टिप्पणियों के माद्यम से साहित्य की बहुत सी...आलेख और टिप्पणियों के माद्यम से साहित्य की बहुत सी परिभाषाएं समझी...<br />सार्थक पोस्ट !वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-50368770637411907662010-11-28T23:21:03.476+05:302010-11-28T23:21:03.476+05:30रचना दीक्षित जी बहुत बहुत धन्यवाद आपकी बहुमूल्य टि...रचना दीक्षित जी बहुत बहुत धन्यवाद आपकी बहुमूल्य टिप्पणी के लिए| सही ही तो है अगर हम दूसरों को पढ़ेंगे ही नहीं तो बाहर की दुनिया को देखेंगे कैसे? अब ये 'दूसरे', हमारे बीच के ही युवा साहित्यकार भी हो सकते हैं| ओबिओ के दूसरे इवेंट में इस तरह के और भी कुछ नवागन्तुकों की प्रतीक्षा है| आपसे भी प्रार्थना है मित्र मंडली सहित अवश्य पधारें और आयोजन की शोभा बढ़ाएँ|www.navincchaturvedi.blogspot.comhttps://www.blogger.com/profile/07881796115131060758noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-78561502330637335222010-11-28T22:54:21.894+05:302010-11-28T22:54:21.894+05:30नवीन जी आपकी पोस्ट बहुत गंभीर विषय पर है. मैं कुछ ...नवीन जी आपकी पोस्ट बहुत गंभीर विषय पर है. मैं कुछ प्रतिक्रिया व्यक्त करूँ अपने आपको इस स्थिति में नहीं देख पा रही हूँ. खास कर जब माननीय योगराज प्रभाकर जी ने अपनी प्रतिक्रिया दी है.मैं तो बस इतना कह सकती हूँ की जैसे एक अच्छा वक्ता होना के लिए एक अच्छा श्रोता होना जरुरी है वैसे ही अच्छा लेखक होने के लिए एक अच्छा पाठक होना जरुरी है दूसरों के लेख पढ़ें फिर प्रतिक्रिया दें ना की अपना ही लेख लिखते रचना दीक्षितhttps://www.blogger.com/profile/10298077073448653913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-25166359751672568292010-11-28T22:21:39.740+05:302010-11-28T22:21:39.740+05:30वाह प्रीतम भाई, युवावस्था में भी आप के विचार काफ़ी...वाह प्रीतम भाई, युवावस्था में भी आप के विचार काफ़ी प्रभावशाली हैं| ईश्वर आपको हर कामयाबी बख़्शे| आपने समय निकल कर अपनी राय साझा की, इसके लिए आपको बहुत बहुत धन्यवाद|www.navincchaturvedi.blogspot.comhttps://www.blogger.com/profile/07881796115131060758noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-17951401284789176812010-11-28T22:16:37.078+05:302010-11-28T22:16:37.078+05:30saahityakaar ka bahut badhiya bakhaan kiya hai aap...saahityakaar ka bahut badhiya bakhaan kiya hai aapne...<br />saahityakaar ko sabse pehle ek achha pathak hona chahiye..jo ki sabki rachna ko padhe aur apni raay de...aisa nahi ki bas waah waahi kar de,,,agar kuch kami ho to wo bhi batani chahiye..jisse likhne wale ko ye bhi maalum pade ki kahan fault hai.....<br />uske baad likhna hai sahityakaar ka main quality....likhna bhi aisa nahi wo likh My Passionhttps://www.blogger.com/profile/01358705144277018725noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-39151928542388480342010-11-28T22:12:25.750+05:302010-11-28T22:12:25.750+05:30मान्यवर योगराज जी, आप ने वाकई इस विषय को गंभीरता स...मान्यवर योगराज जी, आप ने वाकई इस विषय को गंभीरता से लिया है| आपकी बेबाक राय मेरे जैसे विद्यार्थी के लिए अनमोल है| बहुत बहुत धन्यवाद योगराज प्रभाकर जी|<br /><br />आज एक तरफ युवा वर्ग साहित्य से बिल्कुल ही कट चुका है| दूसरी तरफ साहित्य के मायने ही नहीं समझ पा रहा इसी युवा वर्ग का दूसरा धड़ा| ये भी सच है कि ऊपरी तौर पर साहित्यकारों को समाज भले ही सम्मानित करता हो, परंतु समाज की क्या राय होती है www.navincchaturvedi.blogspot.comhttps://www.blogger.com/profile/07881796115131060758noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-5199931844655291142010-11-28T18:22:47.129+05:302010-11-28T18:22:47.129+05:30बुद्धिजीवी वर्ग में एक साहित्यकार का मुकाम बहुत ही...बुद्धिजीवी वर्ग में एक साहित्यकार का मुकाम बहुत ही बुलंद और सम्माननीय माना जाता है ! यदि साहित्य किसी एक दौर में उस समाज का दर्पण माना गया है तो एक साहित्यकार भी किसी उस दर्पण को तराशने और सजाने-संवारने में बहुत बड़ी भूमिका निभाता है ! जहां एक साहित्यकार समाज की इज्ज़त और मान का पात्र होता है, वहीँ दूसरी ओर बहुत से दायित्व भी एक साहित्यकार के हिस्से में आते हैं ! इन्ही दायित्वों की रोशनी में यह तयYograj Prabhakarhttps://www.blogger.com/profile/08110021103580620658noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-33305921360631739972010-11-28T17:31:19.025+05:302010-11-28T17:31:19.025+05:30आपकी बहुमूल्य राय के लिए आभार अनुपमा जी|आपकी बहुमूल्य राय के लिए आभार अनुपमा जी|www.navincchaturvedi.blogspot.comhttps://www.blogger.com/profile/07881796115131060758noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-8185450590946506892010-11-28T16:31:14.414+05:302010-11-28T16:31:14.414+05:30साहित्य सर्जक , समाज के प्रति संवेदनशील और कलम के ...साहित्य सर्जक , समाज के प्रति संवेदनशील और कलम के प्रति प्रतिबद्ध होता है साहित्यकार!अनुपमा पाठकhttps://www.blogger.com/profile/09963916203008376590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-62692263677395958262010-11-28T16:30:11.246+05:302010-11-28T16:30:11.246+05:30वंदना जी बहुत बहुत आभार आपने इस विषय को पढ़ कर कुछ...वंदना जी बहुत बहुत आभार आपने इस विषय को पढ़ कर कुछ तो कहा|www.navincchaturvedi.blogspot.comhttps://www.blogger.com/profile/07881796115131060758noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-3371544696301645312010-11-28T14:25:11.164+05:302010-11-28T14:25:11.164+05:30साहित्यकार को अच्छी तरह से परिभाषित आकर दिया आपने....साहित्यकार को अच्छी तरह से परिभाषित आकर दिया आपने. हम भी अनुत्तरित से ठगे से है. कि अब क्या कहें?वन्दना महतो ! (Bandana Mahto)https://www.blogger.com/profile/16009745507164533185noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-27259317133066959042010-11-28T12:17:34.783+05:302010-11-28T12:17:34.783+05:30जी कविता जी, बहुत ही सत्य बातें कही हैं आपने| बड़े...जी कविता जी, बहुत ही सत्य बातें कही हैं आपने| बड़े साहित्यकारों का आप की तरह मुझे भी इंतज़ार है अब तक|<br /><br />आपका स्वागत है ओबिओ के दूसरे महा इवेंट में| पूरी जानकारी यहीं मेरे ब्लॉग पर दी हुई है|www.navincchaturvedi.blogspot.comhttps://www.blogger.com/profile/07881796115131060758noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-28936184721838695942010-11-28T10:38:57.903+05:302010-11-28T10:38:57.903+05:30साहित्यकार विषयक बहुत सही प्रश्न उठाया है आपने
..म...साहित्यकार विषयक बहुत सही प्रश्न उठाया है आपने<br />..मेरी नज़र में वही साहित्य अच्छा है जिसे बहुत से लोग विशेषकर जिस उद्देश्य से लिखा हो उसे लोग ह्रदयगम कर लें ... बहुत कुछ लिखा जाता है लेकिन यदि हम निष्कर्ष निकलते हैं तो बहुत सा लिखा तो किसी और के लिए लेकिन पढ़ते कोई और ही हैं ... मसलन एक वातानुकूलित में बैठा लेखक जिस गली वह भूल कर भी नहीं जाता उसका मार्मिक चित्रण कर अपने शब्दजाल से पाठकों को कविता रावत https://www.blogger.com/profile/17910538120058683581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-66262492876713112202010-11-28T08:33:42.312+05:302010-11-28T08:33:42.312+05:30धन्यवाद विजय भाई| फेसबुक हो ये ब्लॉग्स, किसी भी पो...धन्यवाद विजय भाई| फेसबुक हो ये ब्लॉग्स, किसी भी पोस्ट पर दर्जनों पोस्ट्स का ख्वाब सजाए बैठे साहित्य प्रेमियों के घर आँगन में साहित्यिक विषय पर कम से कम एक जवाब आया तो सही|<br /><br />आपकी राय महत्वपूर्ण है|www.navincchaturvedi.blogspot.comhttps://www.blogger.com/profile/07881796115131060758noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-87727249118046070112010-11-27T19:16:43.155+05:302010-11-27T19:16:43.155+05:30sahityakaar wahi jiski lekhne aam jan ko udelit ka...sahityakaar wahi jiski lekhne aam jan ko udelit kar de.. gahree paith jay... ek kukam bana le. lage ki jaisa likhne wala apna hi koi hai..... wah sahitya nahi jo kitabon mein daba rahkar aam logon ke samajh se door ho..<br />bahut samyik prashna hai yah! <br />ghumta ghaamta aake blog par aa pahuncha... achha lagavijayhttps://www.blogger.com/profile/13906162432146998498noreply@blogger.com