tag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post8620414457749898063..comments2024-03-22T11:27:03.707+05:30Comments on साहित्यम्: निष्काम कर्मयोग की प्रासंगिकता –गीता - मयंक अवस्थीwww.navincchaturvedi.blogspot.comhttp://www.blogger.com/profile/07881796115131060758noreply@blogger.comBlogger19125tag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-81794680684698929602016-03-25T12:55:35.147+05:302016-03-25T12:55:35.147+05:30मयंक जी --किसी कारणवश मैं आपका उत्तर अत्यंत देर से...मयंक जी --किसी कारणवश मैं आपका उत्तर अत्यंत देर से पढ़ पाया----अस्तु--आप २५ वर्षों से गीता पढ़ा रहे हैं अच्छी बात है --वैसे २५ वर्षों तक गीता पढ़ने का कोइ अर्थ नहीं है ...यदि आप वेदों व उपनिषदों के साहित्य का अनुशीलन कर लेते हैं तो गीता समझाने में २५ वर्ष लगाने की कोइ आवश्यकता नहीं है --गीता उन्हीं का सार है --और सार को पढ़ने के बाद उसके मूल को पढ़े बिना कोइ ज्ञानी व जिज्ञासु नहीं रह सकता ...-उस पर shyam guptahttps://www.blogger.com/profile/11911265893162938566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-59822950885841186812011-11-28T10:10:23.669+05:302011-11-28T10:10:23.669+05:30आदरणीय डा श्याम गुप्त जी !! मैं आपका ध्यान गीता के...आदरणीय डा श्याम गुप्त जी !! मैं आपका ध्यान गीता के ही अध्याय 2 के 44-45-46 श्लोक की ओर लाना चाहूँगा !! जो मैने लिखा है कि -- "तो आइये गीता का पाठ कीजिये आपको इसके बाद वेदों को पढने की अथवा किसी कर्मकाण्ड की कोई आवश्यकता नही है।" --इसकी पुष्टि इन श्लोकों में स्वये वासुदेव ने की है -- त्रैगुण्यविषया वेदा निस्त्रैगुण्यो भवार्जुन !! -(2) -45 और यावनर्थ उदपाने सर्वत: स्म्लितोदके //Mayank Awasthihttps://www.blogger.com/profile/16120430247055660504noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-36029391769262054612011-11-26T16:17:14.681+05:302011-11-26T16:17:14.681+05:30---गीता ग्यान का सुन्दर वर्णन है... परन्तु वास्तव ...---गीता ग्यान का सुन्दर वर्णन है... परन्तु वास्तव में गीता में कर्म-योग इतनी सपूर्णता से वर्णित है कि किसी के भी द्वारा अति-व्याख्या , अत्यन्त लम्बा विवरण व विवेचना भ्रान्तियां उत्पन्न करता है एवं मूलभाव से उद्देश्य भटक जाता है ...यही इस आलेख में हुआ है.... <br /><br />----"तो आइये गीता का पाठ कीजिये आपको इसके बाद वेदों को पढने की अथवा किसी कर्मकाण्ड की कोई आवश्यकता नही है।" <br /><डा श्याम गुप्तhttps://www.blogger.com/profile/03850306803493942684noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-91912504260787836682011-11-26T11:55:47.827+05:302011-11-26T11:55:47.827+05:30आशा दीदी !! आपका आशीष बहुत कीमती है मेरे लिये !! म...आशा दीदी !! आपका आशीष बहुत कीमती है मेरे लिये !! मेरा प्रणाम स्वीकार केजिये !!Mayank Awasthihttps://www.blogger.com/profile/16120430247055660504noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-85168571896007339262011-11-26T07:23:53.090+05:302011-11-26T07:23:53.090+05:30लेख और लेखन कला बहुत अच्छी लगी |जानकारी के लिए आभा...लेख और लेखन कला बहुत अच्छी लगी |जानकारी के लिए आभार |<br />आशाAsha Lata Saxenahttps://www.blogger.com/profile/16407569651427462917noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-77075227257060143922011-11-25T16:48:54.895+05:302011-11-25T16:48:54.895+05:30S.M.HABIB ( Sanjay Mishra Habib ) - हबीब साहब !! म...S.M.HABIB ( Sanjay Mishra Habib ) - हबीब साहब !! मैं आपका अत्यन्त आभारी हूँ कि आपने इस आलेख को पसन्द किया !! वैराग्य अपनी विशाल अर्थवत्ता के बावज़ूद एक ऐसा विषय है जिसमें रुचि वही लेता है जिसका शऊर बालिग हो गया हो !! आलेख भेजने से पहले मैने नवीन जी से यह कहा भी था कि शायद पढने वाले इस पर प्रतिक्रिया के नाम पर तटस्थ रहें लेकिन अब आपकी और मित्रों की संस्तुति के बाद बहुत प्रसन्न्नता हुई कि इसके कथ्य Mayank Awasthihttps://www.blogger.com/profile/16120430247055660504noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-91649278372383232032011-11-25T16:18:50.915+05:302011-11-25T16:18:50.915+05:30अद्भुत अखंड महाकाव्य गीता को आधार बना कर शास्वत बि...अद्भुत अखंड महाकाव्य गीता को आधार बना कर शास्वत बिम्बों के सहारे अत्यंत गहन, गंभीर सार्थक चर्चा/आलेख के लिये सादर बधाई स्वीकारे आदरणीय मयंक जी...<br />सादर आभार....S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib')https://www.blogger.com/profile/10992209593666997359noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-85660557075810434772011-11-25T11:28:58.896+05:302011-11-25T11:28:58.896+05:30गीता में अनेक श्लोक रहस्यमय है...
ध्यायतो विषयांन...गीता में अनेक श्लोक रहस्यमय है... <br />ध्यायतो विषयांन्पुंस संगस्तेषूपजायते .... विषयों का चिंतन करने वाले पुरुष की उन विषयों में आसक्ति हो जाती है –आसक्तिसे विषयों की कामना और कामना में विघ्न पड़ने से क्रोध उत्पन्न होता है – क्रोध समभाव और सम्यक स्मृति से असहजता की स्थिति है ! इससे ही हम मूल स्मृतिसे विमुख हुये और भूल गये कि हम ईश्वर के अंश होने के कारण ईश्वर स्वरूप ही हैं ... क्रोध के मूल में Mayank Awasthihttps://www.blogger.com/profile/16120430247055660504noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-51167176906575317142011-11-25T10:34:17.887+05:302011-11-25T10:34:17.887+05:30ktheLeo !! बहुत बहुत धन्यवाद आपको !!गीता की सतत पु...ktheLeo !! बहुत बहुत धन्यवाद आपको !!गीता की सतत पुनरावृत्ति जीवन पर निश्चित रूप से सार्थक अंतर डालती है !!यह sublimation of desire to cosmic energy की कीमिया है !! आभार !!Mayank Awasthihttps://www.blogger.com/profile/16120430247055660504noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-52920155178973061892011-11-25T10:28:23.136+05:302011-11-25T10:28:23.136+05:30Kailash C Sharma !! आदरणीय शर्मा जी !! आपकी सकारात...Kailash C Sharma !! आदरणीय शर्मा जी !! आपकी सकारात्मक संस्तुति हेतु अतिशय आभारी हूँ !!Mayank Awasthihttps://www.blogger.com/profile/16120430247055660504noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-50756808937529724882011-11-25T10:24:26.735+05:302011-11-25T10:24:26.735+05:30प्रवीण पाण्डेय !! प्रवीण जी !! आभार !! इस आलेख की ...प्रवीण पाण्डेय !! प्रवीण जी !! आभार !! इस आलेख की सम्प्रेषणीयता को आपके शब्दों से बल मिला है !!Mayank Awasthihttps://www.blogger.com/profile/16120430247055660504noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-68515516446576027712011-11-25T10:22:04.982+05:302011-11-25T10:22:04.982+05:30Arvind Jangid --अरविन्द जी !! स्वागत और आभार !!!Arvind Jangid --अरविन्द जी !! स्वागत और आभार !!!Mayank Awasthihttps://www.blogger.com/profile/16120430247055660504noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-83714599107119331722011-11-25T00:33:40.531+05:302011-11-25T00:33:40.531+05:30काफ़ी सारी नई बातें जानने को मिलीं।काफ़ी सारी नई बातें जानने को मिलीं।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-24787291211945626642011-11-24T23:53:34.992+05:302011-11-24T23:53:34.992+05:30प्रणाम, प्रमाण को!वाह!प्रणाम, प्रमाण को!वाह!ktheLeo (कुश शर्मा)https://www.blogger.com/profile/03513135076786476974noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-70906378467466627842011-11-24T19:35:18.700+05:302011-11-24T19:35:18.700+05:30बहुत सारगर्भित और ज्ञानप्रद आलेख...बहुत सारगर्भित और ज्ञानप्रद आलेख...Kailash Sharmahttps://www.blogger.com/profile/12461785093868952476noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-29962787967062881132011-11-24T19:00:08.935+05:302011-11-24T19:00:08.935+05:30जितनी बार पढ़ते हैं, समझ और विकसित होती है।जितनी बार पढ़ते हैं, समझ और विकसित होती है।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-3290115731159140362011-11-24T18:31:26.647+05:302011-11-24T18:31:26.647+05:30ज्ञानवर्धक लेख !ज्ञानवर्धक लेख !Arvind Jangidhttps://www.blogger.com/profile/02090175008133230932noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-44035985042020836862011-11-24T17:11:42.571+05:302011-11-24T17:11:42.571+05:30आदरणीय रविकर जी !! इस सन्दर्भ पर चर्चा आयोजित करन...आदरणीय रविकर जी !! इस सन्दर्भ पर चर्चा आयोजित करने हेतु आपका स्वागत भी करता हूँ और क्रतज्ञताज्ञापन भी - नारायण का सन्दर्भ -विचार तंत्र को दैवी सम्पदा से सम्पन्न करता है । शुभाकाँक्षी --मयंकMayank Awasthihttps://www.blogger.com/profile/16120430247055660504noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-61637111971483307672011-11-24T13:14:09.332+05:302011-11-24T13:14:09.332+05:30पाठक गण परनाम, सुन्दर प्रस्तुति बांचिये ||
घूमो सु...पाठक गण परनाम, सुन्दर प्रस्तुति बांचिये ||<br />घूमो सुबहो-शाम, उत्तम चर्चा मंच पर ||<br /><br />शुक्रवारीय चर्चा-मंच ||<br /><br />charchamanch.blogspot.comरविकर https://www.blogger.com/profile/00288028073010827898noreply@blogger.com