tag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post8321677749810004894..comments2024-03-22T11:27:03.707+05:30Comments on साहित्यम्: दिवाली के दोहों वाली स्पेशल पोस्टwww.navincchaturvedi.blogspot.comhttp://www.blogger.com/profile/07881796115131060758noreply@blogger.comBlogger41125tag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-68494978486769023952012-11-19T19:43:50.323+05:302012-11-19T19:43:50.323+05:30दीपावली पर सभी रचनाएँ बहुत अच्छी लगी. क्षेत्रीय भा...दीपावली पर सभी रचनाएँ बहुत अच्छी लगी. क्षेत्रीय भाषा पढकर अच्छा लगा. बहुत बहुत शुभकामनाएँ.डॉ. जेन्नी शबनमhttps://www.blogger.com/profile/11843520274673861886noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-2445458890196604712012-11-17T18:59:32.919+05:302012-11-17T18:59:32.919+05:30आदरणीय आचार्यवर ’सलिल’जी,
आपके उदार और सहर्ष अनुम...आदरणीय आचार्यवर ’सलिल’जी, <br />आपके उदार और सहर्ष अनुमोदन पर सादर धन्यवाद.<br /><br />आपने ’अपरूप’ की वैज्ञानिक परिभाषा उद्धृत कर मेरे कहे को स्वर और मेरी टिप्पणी-रचना को मान दिया है. इसी तथ्य को इन्हीं पन्नो पर मैं संकेतों में कह चुका हूँ. <br />आपका सादर आभार.<br /><br /><br />नवीनभाईजी, शास्त्रीय छंदों पर आप द्वारा हो रहा आश्वस्तिकारक प्रयास आज के उन रचनाकारों को भी प्रयासरत होने के लिये Saurabhhttps://www.blogger.com/profile/01860891071653618058noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-32753136989987134922012-11-17T06:26:14.919+05:302012-11-17T06:26:14.919+05:30बहुत बढ़िया संग्रह बहुत बढ़िया संग्रह Vandana Ramasinghhttps://www.blogger.com/profile/01400483506434772550noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-65517820970757612562012-11-16T20:33:56.042+05:302012-11-16T20:33:56.042+05:30नवीन जी!
वन्दे मातरम।
आपके चाहे अनुसार दो बिन्दुओं...नवीन जी!<br />वन्दे मातरम।<br />आपके चाहे अनुसार दो बिन्दुओं पर कुछ जानकारी प्रस्तुत है।<br />1.<br />किसिम-किसिम उद्गार हैं, संयत भाषा रूप<br />पद प्रस्तुति अद्भुत छटा, अहा, भाव अपरूप !<br /><br />अपरूप- स्त्रीलिंग, (एलोट्रोपी अंगरेजी) जब एक ही तत्व के दो या अधिक रूप इस प्रका रपये जाते हैं की उनके भौतिक गुण भिन्न हों किन्तु रासायनिक गुणों में कोइ अंतर न हो तब वे एक दूसरे के अपरूप कहलाते हैं तथा sanjiv verma salil ✆noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-56247685804647631322012-11-16T20:24:37.733+05:302012-11-16T20:24:37.733+05:30इस पोस्ट को पर्व का उपहार बनाने में सहायक प्रति एक...इस पोस्ट को पर्व का उपहार बनाने में सहायक प्रति एक साहित्यानुरागी का बहुत-बहुत आभार।<br /><br />इस पोस्ट के सभी दोहे मैंने भी पढे हैं, उन की कमियाँ मुझ से छुपी नहीं हैं। परंतु हमने इस पोस्ट को एक पर्व के रूप में लिया, और जिन व्यक्तियों ने इसे पर्व रूप में ही लिया उन का विशेष आभार। त्यौहार, त्यौहार होता है और उस त्यौहार में हम लोग खुशियों को ही अधिक महत्व देते हैं।<br /><br />सौरभ जी द्वारा www.navincchaturvedi.blogspot.comhttps://www.blogger.com/profile/07881796115131060758noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-85036027060858705322012-11-15T12:56:38.786+05:302012-11-15T12:56:38.786+05:30चिमटा फुँकनी करछुलें,चमचम चमकें खूब
गुझिया खुरमी न...चिमटा फुँकनी करछुलें,चमचम चमकें खूब<br />गुझिया खुरमी नाचतीं , तेल कढ़ाही डूब |<br /><br /><br />--क्या बात है अरुण जी ...अति-सुन्दर...डा श्याम गुप्तhttps://www.blogger.com/profile/03850306803493942684noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-5425604279380897252012-11-15T12:50:46.311+05:302012-11-15T12:50:46.311+05:30वाह !!.. बिजेंद्र जी ..क्या ही सुन्दर आधुनिक दोहे ...वाह !!.. बिजेंद्र जी ..क्या ही सुन्दर आधुनिक दोहे हें ...बधाई....<br /><br />---हाँ 'अंधियारे की लाश' कुछ जम नहीं रही...डा श्याम गुप्तhttps://www.blogger.com/profile/03850306803493942684noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-69826217937828656472012-11-14T15:37:22.618+05:302012-11-14T15:37:22.618+05:30पच्छिम-पच्छिम चलने की लत.. नहीं-नहीं.. रोग का उपचा...पच्छिम-पच्छिम चलने की लत.. नहीं-नहीं.. रोग का उपचार क्या होता है, नवीन भाईजी ? <br />सातों स्वर्ग सुख ? नाः. <br />अपवर्ग का सुख ? नहीं-नहीं. <br />अवश्य-अवश्य ही देवानुग्रह से लभ्य महापुरुष-संश्रय और सत्संग की गरिमामय संगति.<br />आपका सादर धन्यवाद, नवीन भाई. हम सस्वर सत्संग की महिमा गायें. <br />सादर.Saurabhhttps://www.blogger.com/profile/01860891071653618058noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-18709373810665747452012-11-13T12:56:51.074+05:302012-11-13T12:56:51.074+05:30
वि - without, apart, away, opposite, intensive, d...<br />वि - without, apart, away, opposite, intensive, different<br /><br />अप-(खालीं ) अपकर्ष, अपमान;<br />अप-(विरुद्ध ) अपकार, अपजय.<br /><br />वि-(विशेष) विख्यात, विनंती, विवाद<br />वि-(अभाव) विफल, विसंगति<br />डा श्याम गुप्तhttps://www.blogger.com/profile/03850306803493942684noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-88955765367713972402012-11-13T12:47:15.759+05:302012-11-13T12:47:15.759+05:30 --तो विरूप में ...वि उपसर्ग= बिना होगा या विशिष्ट... --तो विरूप में ...वि उपसर्ग= बिना होगा या विशिष्ट ...जैसे विकृति .....क्या विशिष्ट को अपशिष्ट या विशेष को अपशेष कहाजा सकता है ...<br /><br />-- भाई ..विज्ञान में भी भाषा साहित्य से ही तो आती है...<br />---विज्ञान में ..वह अपर-रूप = अन्य रूप ( तत्वों के) .. होता है..... <br />---- जब शब्दों के अर्थ-भावों को ठीक प्रकार से जाना नहीं जाता तभी भाव-सम्प्रेषण की उलझन होती है ...उलझन को सुलझाना ही तो डा श्याम गुप्तhttps://www.blogger.com/profile/03850306803493942684noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-21458313442985923222012-11-12T15:22:24.588+05:302012-11-12T15:22:24.588+05:30//ये भाव अपरूप ! का यहाँ क्या अर्थ निकलता है सौरभ ...//ये भाव अपरूप ! का यहाँ क्या अर्थ निकलता है सौरभ जी....मेरे विचार में तो अपरूप = सभी दोहों के रूप भाव में त्रुटि है ....एसा भाव लगता है ....जैसे अप-संस्कृति...अप-भाव //<br /><br />आदरणीय डॉ. श्याम गुप्तजी, मैं मूलतः विज्ञान का विद्यार्थी रहा हूँ. इस संज्ञा को मैं अपनी धमनियों में आज भी जीवित, प्रवाहित महसूस करता हूँ. आप भी सनदानुकूल चिकित्सक हैं. इस आलोक में ’अपरूप’ को पुनः देखें का मेरा सादर Saurabhhttps://www.blogger.com/profile/01860891071653618058noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-9503318612736928062012-11-12T13:14:59.255+05:302012-11-12T13:14:59.255+05:30मागधी(मगही)-बिहार की क्षेत्रीय भाषा
अन्हार हलई सग...मागधी(मगही)-बिहार की क्षेत्रीय भाषा<br /><br />अन्हार हलई सगरो, दिया देलिओ बार <br />आवअ हे माइ लछमी, हमनी के दुआर<br /><br />आसरा देखत देखत, हो गेलई ह भोर<br />लछमी जी चल गइइलन,कइलन न कोइ सोरऋता शेखर 'मधु'https://www.blogger.com/profile/00472342261746574536noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-56363521589460793322012-11-12T12:04:46.374+05:302012-11-12T12:04:46.374+05:30सभी दोहे कमाल के है..
बहुत बढ़ियाँ...
आप सभी को सह...सभी दोहे कमाल के है..<br />बहुत बढ़ियाँ...<br />आप सभी को सहपरिवार दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ..<br />:-)मेरा मन पंछी साhttps://www.blogger.com/profile/10176279210326491085noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-87729433591744131212012-11-12T11:12:02.938+05:302012-11-12T11:12:02.938+05:30दीवाली के रोज़ भी , आया नहीं सुहाग !
अश्कों से ही र...दीवाली के रोज़ भी , आया नहीं सुहाग !<br />अश्कों से ही रात भर , जलते रहे चराग़ !!<br /><br />ज्यूँ ही हवा चराग़ के , आयी ज़रा समीप !<br />फ़ैल गयी फिर रौशनी ,जले दीप से दीप !!<br /><br />बिखरे पत्ते ताश के , भरे हुए हैं जाम !<br />दीवाली की आड़ में ,कैसे कैसे काम !!<br /><br />जगमग आतिशबाजियां , रौशन है आकाश !<br />देख सितारे ढो रहे , अंधियारे की लाश !!<br /><br />चालें हैं बाज़ार की , धनतेरस क्या ईद vijendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/12853139040785293151noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-38090574277824796102012-11-12T11:07:54.859+05:302012-11-12T11:07:54.859+05:30कमेंट्स में भी इतने सुंदर सुंदर दोहे आ रहे हैं कि ...कमेंट्स में भी इतने सुंदर सुंदर दोहे आ रहे हैं कि उन्हें भी इस पोस्ट का हिस्सा बनाने की इच्छा हो रही है www.navincchaturvedi.blogspot.comhttps://www.blogger.com/profile/07881796115131060758noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-80897562218704116802012-11-12T10:48:48.677+05:302012-11-12T10:48:48.677+05:30दीपावली की गिफ्ट:-
मिट्टी की दीवार पर , पीत छुही...दीपावली की गिफ्ट:-<br />मिट्टी की दीवार पर , पीत छुही का रंग<br />गोबर लीपा आंगना , खपरे मस्त मलंग |<br /><br />तुलसी चौरा लीपती,नव-वधु गुनगुन गाय<br />मनोकामना कर रही,किलकारी झट आय |<br /><br />बैठ परछिया बाजवट , दादा बाँटत जाय<br />मिली पटाखा फुलझरी, पोते सब हरषाय |<br /><br />मिट्टी का चूल्हा हँसा , सँवरा आज शरीर<br />धूँआ चख-चख भागता, बटलोही की खीर |<br /><br />चिमटा फुँकनी करछुलें,चमचमअरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com)https://www.blogger.com/profile/11022098234559888734noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-6100833711057084892012-11-12T09:58:43.606+05:302012-11-12T09:58:43.606+05:30आपको दीपावली की शुभकामनाएं| ग्रीटिंग देखने के लिए ...आपको दीपावली की शुभकामनाएं|<a href="http://i.123g.us/c/eoct_diwali_wishes/card/116558.swf" rel="nofollow"> ग्रीटिंग देखने के लिए कलिक करें |</a><br /><br /><br /><a href="http://cityjalalabad.blogspot.com/2012/11/happy-deepawali.html" rel="nofollow">नयी पोस्ट : तीन लोग आप का मोबाईल नंबर मांग रहे थे, लेकिन !</a>tips hindi mehttps://www.blogger.com/profile/01058993784424803727noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-54973939977511068152012-11-11T14:09:13.891+05:302012-11-11T14:09:13.891+05:30और एक जानकारी ----
तन माटी का दीप है, बाती चलती ...और एक जानकारी ----<br /><br /> तन माटी का दीप है, बाती चलती श्वास.<br />आत्मा उर्मिल वर्तिका, घृत अंतर की आस..<br /><br />---क्या बाती और वर्तिका ...समानार्थक हैं या भिन्न भिन्न ....मेरे विचार से समानार्थक हैं...अतः पिष्ट-पेषण दोष है...डा श्याम गुप्तhttps://www.blogger.com/profile/03850306803493942684noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-37410215218758586242012-11-11T12:18:16.985+05:302012-11-11T12:18:16.985+05:30---भारतीय-भाव अनेकता में एकता का एक अत्युत्तम उदाह...---भारतीय-भाव अनेकता में एकता का एक अत्युत्तम उदाहरण है यह प्रस्तुति ...<br />---दिया, दीया, दियारा, दियारां, दियां, दीपक,दीप,दीयाली,देवारी ,दियना ,दियवा ,दियरी ...अर्थात--ब्रज, ठेठ-ग्रामीण ब्रज, मराठी, राजस्थाननी, अवधी, भोजपुरी , छत्तीष गढ़ी,खड़ीबोली किसी भी स्थानीय, क्षेत्रीय भारतीय भाषा में हो सब समझ में आता है ...भारतीय भाव सम्प्रेषण होता है ....<br />" बहुरि रंग की फुरिझरीं, बरसें धरि डा श्याम गुप्तhttps://www.blogger.com/profile/03850306803493942684noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-10059220575427412542012-11-11T11:54:30.150+05:302012-11-11T11:54:30.150+05:30दीवाली का सुन्दरतम उपहार..दीवाली का सुन्दरतम उपहार..प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-15591792596820815912012-11-11T09:46:24.664+05:302012-11-11T09:46:24.664+05:30दीपोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएँ!
कल 12/11/2012 को...<i><b><br />दीपोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएँ!<br /><br /> कल 12/11/2012 को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट <a href="http://nayi-purani-halchal.blogspot.in" rel="nofollow"> http://nayi-purani-halchal.blogspot.in </a> पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .<br />धन्यवाद! </b></i><br />Yashwant R. B. Mathurhttps://www.blogger.com/profile/06997216769306922306noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-19782175532479557812012-11-11T09:01:29.062+05:302012-11-11T09:01:29.062+05:30किसिम-किसिम उद्गार हैं, संयत भाषा रूप
पद प्रस्तुति...किसिम-किसिम उद्गार हैं, संयत भाषा रूप<br />पद प्रस्तुति अद्भुत छटा, अहा, भाव अपरूप !<br /><br />---ये भाव अपरूप ! का यहाँ क्या अर्थ निकलता है सौरभ जी....मेरे विचार में तो अपरूप = सभी दोहों के रूप भाव में त्रुटि है ....एसा भाव लगता है ....जैसे अप-संस्कृति...अप-भाव shyam guptahttps://www.blogger.com/profile/11911265893162938566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-35983431402705226512012-11-11T08:37:30.071+05:302012-11-11T08:37:30.071+05:30
दोहों की दिवाली पर दावत दियो ,कैसा मन हर्षाय .......<br />दोहों की दिवाली पर दावत दियो ,कैसा मन हर्षाय ....virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-14761780751359006652012-11-11T00:03:30.751+05:302012-11-11T00:03:30.751+05:30दोहों का दिवाली विशेषांक बहुत सुंदर लगा ... आभार दोहों का दिवाली विशेषांक बहुत सुंदर लगा ... आभार संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-36866905032126841922012-11-10T21:57:43.882+05:302012-11-10T21:57:43.882+05:30मयंक जी की विस्तृत टिप्पणियों ने इस पोस्ट को एक नई...मयंक जी की विस्तृत टिप्पणियों ने इस पोस्ट को एक नई उँचाई प्रदान की है। बहुत बहुत शुक्रिया मयंक जी, आप जैसा साहित्यकार हौसला अफ़जाई करे तो कौन न लिखने लग जाय।<br /><br />सभी दोहाकारों को इन शानदार दोहों के लिए बहुत बहुत बधाई।<br /><br />सब को दीपावली की अनंत शुभकामनाएँ।‘सज्जन’ धर्मेन्द्रhttps://www.blogger.com/profile/02517720156886823390noreply@blogger.com