tag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post7551054668893637860..comments2024-03-22T11:27:03.707+05:30Comments on साहित्यम्: ज्योति कलश छलके - पण्डित नरेन्द्र शर्माwww.navincchaturvedi.blogspot.comhttp://www.blogger.com/profile/07881796115131060758noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-85384278254059832712014-04-30T23:34:03.671+05:302014-04-30T23:34:03.671+05:30---देखिये कुछ भाव त्रुटियाँ हैं जो प्रायः सप्रयास ...---देखिये कुछ भाव त्रुटियाँ हैं जो प्रायः सप्रयास रचित कविता में आजाती हैं....जिनका ध्यान रखा जाना चाहिए....<br /><br />---- रँग क्रिया के रूप में सही होता है ..यहाँ कर्ता है अतः रंग होना चाहिए ....<br />--- मङ्गल घट ढल के ..क्या घट... ढलते हैं..? <br />---- ऊषा ने आँचल फैलाया<br />फैली सुख की शीतल छाया<br />नीचे आँचल के ----- अब ऊषा के आँचल के नीचे छाया क्यों होगी ..कैसे ..<br />------बिन्दु डा श्याम गुप्तhttps://www.blogger.com/profile/03850306803493942684noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-52016989257074042752014-04-30T20:36:56.401+05:302014-04-30T20:36:56.401+05:30ॐ
भाई श्री नवीन जी ' साहित्यम ' पत्रिका ...ॐ <br />भाई श्री नवीन जी ' साहित्यम ' पत्रिका के बारे में आज ही पता चला। <br />मेरी असीम शुभकामनाएं एवं बधाई। <br />पूज्य पापाजी की कालजयी कविताओं को पत्रिका में सम्मिलित हुआ देख <br />बड़ी प्रसन्नता हुई। <br />पंडित नरेंद्र शर्मा शताब्दी समारोह मुम्बई में २६ और २७ फ़रवरी को संपन्न हुआ <br />मैं भी वहां थी। मेरा व्यक्तव्य आप यहां देख पायेंगें। <br />http://www.lavanyashah.com/2014/04/लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.com