tag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post7070317974382732494..comments2024-03-22T11:27:03.707+05:30Comments on साहित्यम्: SP2/1/3 बेटा सेवा में जुटा , बहू दबाती पाँव - अरुण कुमार निगमwww.navincchaturvedi.blogspot.comhttp://www.blogger.com/profile/07881796115131060758noreply@blogger.comBlogger48125tag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-15404356731786077822012-10-24T18:10:21.230+05:302012-10-24T18:10:21.230+05:30भाई अरुण जी सभी दोहे उन्नत भावों से परिपूर्ण हैं.....भाई अरुण जी सभी दोहे उन्नत भावों से परिपूर्ण हैं... <br />आनंद आ गया पढ़कर... <br />इस शानदार साहित्यिक आयोजन के लिए सादर बधाई स्वीकारें आदरणीय नवीन भाई जी... <br /><br />S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib')https://www.blogger.com/profile/10992209593666997359noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-17191083991929182162012-10-22T16:45:00.345+05:302012-10-22T16:45:00.345+05:30प्रतुल वशिष्ठ जी !! विजयेन्द्र भाई !! नवीन जी , डा...प्रतुल वशिष्ठ जी !! विजयेन्द्र भाई !! नवीन जी , डा श्याम जी गुप्त !! आपके कमेण्ट कमाल के हैं और इस पोस्ट के वैभव में आपके बयानो ने अभिबृद्धि ही की है !! यह साहित्य की महती आवक़्श्यकता है -इस मंच को नमन !! एक अच्छी खासी साहित्यिक गोष्ठी दर्ज़ हो गई इन पन्नों पर जो कभी भी पढी जा सकती है -- बाकी अरुण निगम साहब आपके दोहों से अभिभूत हूँ !! बेमिस्ल दोहे कहे आपने बेमिस्ल यकीनन !! इनकी प्रशंसा यदि शब्द Mayank Awasthihttps://www.blogger.com/profile/16120430247055660504noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-71912623053102668642012-10-22T07:16:24.587+05:302012-10-22T07:16:24.587+05:30आ. अरुण जी हम सब समान सहभागी हैं, कार्य=भार अनुरूप...आ. अरुण जी हम सब समान सहभागी हैं, कार्य=भार अनुरूप समय विशेष पर हमारे क्रिया-कलाप भिन्न हो सकते हैं। आप को या किसी को भी किसी की अनुकम्पा / अनुग्रह की आवश्यकता नहीं। कमेन्ट हटाना या सुधारना मैं आप के विवेक पर छोड़ता हूँ। आप भले मंच पर पहली बार आए हैं परन्तु साहित्य संबन्धित सूझ-बूझ का आप का अपना स्तर है, जिस का मैं पूर्ण सम्मान करता हूँ।www.navincchaturvedi.blogspot.comhttps://www.blogger.com/profile/07881796115131060758noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-55201311457301963352012-10-22T00:29:56.554+05:302012-10-22T00:29:56.554+05:30आदरणीय नवीन जी, राजमहल के दृश्य में दास- दासियाँ द...आदरणीय नवीन जी, राजमहल के दृश्य में दास- दासियाँ दोहाकार ही है (यानि मैं एक दोहाकार के रूप में) जिसने सेवा भाव से छप्पन भोग तैयार कर परोसे हैं.सुदामा अरुण निगम है(यानि मैं मित्र के रूप में)जो प्रेम पगे चाँवल लेकर उपस्थित है.श्याम जी से निवेदन करने का प्रयास किया है कि निर्णय ऐसा लें जिससे न दोहाकार आहत हो और न ही मित्र आहत हो.<br /><br />कृपया इसे अन्यथा भाव से न लें.यदि मेरी बात से ठेस पहुँची अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com)https://www.blogger.com/profile/11022098234559888734noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-67079210124111995362012-10-21T19:39:43.868+05:302012-10-21T19:39:43.868+05:30"वीरू भैया" आपका , बहुत बहुत आभार
मिले ..."वीरू भैया" आपका , बहुत बहुत आभार<br />मिले सर्वदा अरुण को,निर्मल निश्छल प्यार |अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com)https://www.blogger.com/profile/11022098234559888734noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-31075178173372662222012-10-21T19:36:47.442+05:302012-10-21T19:36:47.442+05:30मोहक मुख मुस्कान के, हैं पर्याय प्रवीण
दोहों को सु...मोहक मुख मुस्कान के, हैं पर्याय प्रवीण<br />दोहों को सुंदर कहा, पुलकित काया क्षीण |अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com)https://www.blogger.com/profile/11022098234559888734noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-82470351823368821792012-10-21T19:27:49.500+05:302012-10-21T19:27:49.500+05:30आये भाये छा गये , भ्राता प्रतुल वशिष्ठ
लिखूँ किस...आये भाये छा गये , भ्राता प्रतुल वशिष्ठ<br />लिखूँ किस तरह सोच में,मैं कमजोर कनिष्ठ |<br /><br />श्लेष लगा अद्भुत अहा , हुई लेखनी धन्य<br />तन-मन पुलकित हो गया,हृदय-प्राण चैतन्य |<br /><br />अलंकार के जौहरी , यमक श्लेष अनुप्रास<br />चकित अरुण है देखकर,शब्दों का विन्यास |<br />अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com)https://www.blogger.com/profile/11022098234559888734noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-63357647154681264262012-10-21T19:08:45.738+05:302012-10-21T19:08:45.738+05:30अरुण जी आप की ये दास-दासियों वाली टिप्पणी को एक बा...अरुण जी आप की ये दास-दासियों वाली टिप्पणी को एक बार और पढ़ने की कृपा करें, मुझे लग रहा है कि आप भावावेश में कुछ अधिक ही कह गये हैं।<br /><br />आप ने डा. श्याम जी को उस कृष्ण की उपमा दे दी जिसने केवल प्रेम ही बाँटा, आप की मर्ज़ी!!!! ख़ुद को सुदामा कहा - आप का बड़प्पन..... पर ये दास दासी किस को संबोधित कर रहे हैं बंधुवर? मैं समझ सकता हूँ आप जैसे धीमन्त व्यक्ति किसी का दिल नहीं दुखाते, परंतु शब्द अपना www.navincchaturvedi.blogspot.comhttps://www.blogger.com/profile/07881796115131060758noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-86466292099222574642012-10-21T19:01:48.801+05:302012-10-21T19:01:48.801+05:30डा. श्याम गुप्त said...
भाये छप्पन भोग नहिं ,श्याम...डा. श्याम गुप्त said...<br />भाये छप्पन भोग नहिं ,श्याम कहें नवनीत<br />लाय सुदामा पोटली, चाँवल भीनी प्रीत |<br /> --- मेरी समझ से ऊपर की बात है---<br /> चाँवल(=चावल )भीनी प्रीति = चावल से भीनी प्रीति ?<br />आदरणीय, आशय यह है कि राज महल में दास दासियाँ छप्पन भोग परोस गये (मेरे दोहों की तरह)किंतु श्याम जी को भा नहीं रहे हैं (जैसे आपको नहीं भा रहे)श्याम तो नवनीत की जिद कर रहे हैं. ठीक उसी अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com)https://www.blogger.com/profile/11022098234559888734noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-47152531476136778122012-10-21T08:26:47.752+05:302012-10-21T08:26:47.752+05:30सभी दोहे कमाल के है...
बहुत ही बेहतरीन.....
शुभकाम...सभी दोहे कमाल के है...<br />बहुत ही बेहतरीन.....<br />शुभकामनाएँ....<br />:-)मेरा मन पंछी साhttps://www.blogger.com/profile/10176279210326491085noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-48018608670780573982012-10-21T07:27:21.325+05:302012-10-21T07:27:21.325+05:30छा गए भाव अभिव्यंजना और रागात्मक अभिव्यक्ति में अर...छा गए भाव अभिव्यंजना और रागात्मक अभिव्यक्ति में अरुण भाई निगम <br /><br />ठेस<br />दर्शकदीर्घा में खड़े, वृद्ध पिता अरु मात<br />बेटा मंचासीन हो , बाँट रहा सौगात <br /><br />वक्रोक्ति / विरोधाभास<br />बाँटे से बढ़ता गया ,प्रेम विलक्षण तत्व |<br />दुख बाँटे से घट गया,रहा शेष अपनत्व ||<br /><br />हास्य-व्यंग्य<br />छेड़ा था इस दौर में , प्रेम भरा मधु राग<br />कोयलिया दण्डित हुई , निर्णायकvirendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-91826000935253401462012-10-20T09:15:27.249+05:302012-10-20T09:15:27.249+05:30कुंतल कुंडल देखकर , राधा के मुख हास
मानों पूछें श...कुंतल कुंडल देखकर , राधा के मुख हास<br />मानों पूछें श्याम जी , कहिये कौन समास <br />कहिये कौन समास,बात इतनी नहिं हल्की<br />कुछ तो होगा खास,भाव की गगरी छलकी<br />सिर्फ नहीं अनुप्रास, यहाँ पर कुंतल कुंडल<br />राधा के मुख हास , देखकर कुंडल कुंतल ||<br />अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com)https://www.blogger.com/profile/11022098234559888734noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-56548011947380747712012-10-20T09:14:27.385+05:302012-10-20T09:14:27.385+05:30मथुरा वृन्दावन सदा , मोहन मदन सुहाय
प्रेम बँसुरिया...मथुरा वृन्दावन सदा , मोहन मदन सुहाय<br />प्रेम बँसुरिया कर लिये,जग को रहे रिझाय |<br />अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com)https://www.blogger.com/profile/11022098234559888734noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-71277478306571361582012-10-20T00:05:49.750+05:302012-10-20T00:05:49.750+05:30सदा वाह ! बढ़िया कहें , सही दिखायें राह
नये पथिक को...सदा वाह ! बढ़िया कहें , सही दिखायें राह<br />नये पथिक को चाहिये,कदम कदम उत्साह |<br />अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com)https://www.blogger.com/profile/11022098234559888734noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-83061739274720824592012-10-19T23:53:13.479+05:302012-10-19T23:53:13.479+05:30बाँधे कब बँध पात हैं , प्रतिभा और सुवास
किसके रोके...बाँधे कब बँध पात हैं , प्रतिभा और सुवास<br />किसके रोके रुक सका , है मौसम मधुमास |<br />अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com)https://www.blogger.com/profile/11022098234559888734noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-84767440869833698912012-10-19T23:32:58.793+05:302012-10-19T23:32:58.793+05:30मन से कीजे वंदना, मनके का क्या काम
बाहर हाहाकार ...मन से कीजे वंदना, मनके का क्या काम<br />बाहर हाहाकार है , मन के भीतर राम |<br />अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com)https://www.blogger.com/profile/11022098234559888734noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-65538143345760194592012-10-19T23:27:09.827+05:302012-10-19T23:27:09.827+05:30संतन संगत कीजिये , सँवरे रूप - स्वरूप
हिय की हल...संतन संगत कीजिये , सँवरे रूप - स्वरूप<br />हिय की हलचल शांत हो, बिखरे सुख की धूप |<br />अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com)https://www.blogger.com/profile/11022098234559888734noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-77780835266011654732012-10-19T23:18:58.325+05:302012-10-19T23:18:58.325+05:30मधु वचनों में शक्ति है , पिघल उठें पाषाण
सदा मधुर ...मधु वचनों में शक्ति है , पिघल उठें पाषाण<br />सदा मधुर ही बोलिये, मधुमय हों मन प्राण |<br />अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com)https://www.blogger.com/profile/11022098234559888734noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-69236060618005152062012-10-19T23:05:30.453+05:302012-10-19T23:05:30.453+05:30गौतम तम मन का हरें,जग का हरें दिनेश
सतत सत्य की खो...गौतम तम मन का हरें,जग का हरें दिनेश<br />सतत सत्य की खोज में, विचरें देश विदेश ||<br />अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com)https://www.blogger.com/profile/11022098234559888734noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-17837766757455169052012-10-19T22:45:43.531+05:302012-10-19T22:45:43.531+05:30सौरभ सुरभित स्नेह से,सफल सकल संसार
गुरुवर के दर्शन...सौरभ सुरभित स्नेह से,सफल सकल संसार<br />गुरुवर के दर्शन हुये , सपन सभी साकार |<br />अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com)https://www.blogger.com/profile/11022098234559888734noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-76137086100969136472012-10-19T22:10:53.288+05:302012-10-19T22:10:53.288+05:30सूर्यकांत क्या बात है , आये बन उपहार
मिले धनी मैं ...सूर्यकांत क्या बात है , आये बन उपहार<br />मिले धनी मैं हो गया,दमक उठा घरबार |<br />अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com)https://www.blogger.com/profile/11022098234559888734noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-68868557114699405392012-10-19T22:09:52.497+05:302012-10-19T22:09:52.497+05:30अतुल तुला पर तौलते , कहें एक से एक
मानों भावों का ...अतुल तुला पर तौलते , कहें एक से एक<br />मानों भावों का हुआ , अनुरागी अभिषेक |<br />अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com)https://www.blogger.com/profile/11022098234559888734noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-43131698019081953572012-10-19T17:37:52.406+05:302012-10-19T17:37:52.406+05:30*(केशों के मध्य से कुण्डल गालों को छू रहे हैं)*(केशों के मध्य से कुण्डल गालों को छू रहे हैं)प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00211742823973842751noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-27246186307007760522012-10-19T17:35:57.550+05:302012-10-19T17:35:57.550+05:30अरुण कुमार निगम जी के दोहों का आकर्षण से अभी तक बँ...अरुण कुमार निगम जी के दोहों का आकर्षण से अभी तक बँधा हूँ ... <br /><br /><br />'कुंतल कुंडल' शब्द युग्म में जो श्लेष देखने को मिला है वह अद्भुत है ... <br /><br /><br />— यदि पहला अर्थ (कुण्डलनुमा घुँघराली लटें गालों को छू रही हैं) लेंगे, तो विपरीत लिंगीय आकर्षण न होने से 'भाव' भली प्रकार उद्दीप्त नहीं होगा जिससे वह सहजता से संयोग शृंगार मान लिया जाए। यहाँ घुँघराली लटें प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00211742823973842751noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-6098486863435331452012-10-19T16:47:15.953+05:302012-10-19T16:47:15.953+05:30भाये छप्पन भोग नहिं ,श्याम कहें नवनीत
लाय सुदामा प...भाये छप्पन भोग नहिं ,श्याम कहें नवनीत<br />लाय सुदामा पोटली, चाँवल भीनी प्रीत |<br /><br />--- मेरी समझ से ऊपर की बात है---<br /> चाँवल(=चावल )भीनी प्रीति = चावल से भीनी प्रीति ? डा श्याम गुप्तhttps://www.blogger.com/profile/03850306803493942684noreply@blogger.com