tag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post4819161053954799594..comments2024-03-22T11:27:03.707+05:30Comments on साहित्यम्: गङ्गा बहती हो क्यूँ - नरेन्द्र शर्माwww.navincchaturvedi.blogspot.comhttp://www.blogger.com/profile/07881796115131060758noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-14885421879658040602014-04-30T23:38:13.693+05:302014-04-30T23:38:13.693+05:30'निर्लज्ज भाव से , बहती हो क्यूँ ?'....पाप...'निर्लज्ज भाव से , बहती हो क्यूँ ?'....पाप मानव करे ..निर्लज्ज माता को कहे .....अहसान फरामोशी है ...असाहित्यिक कथ्य है ...<br />----निष्प्राण समाज को तोड़ती नहीं हो क्यूँ ?......यह गंगा के पुत्रों का कार्य है या गंगा का ...अपना पाप गंगा के सिर ...क्या कविता है जी...डा श्याम गुप्तhttps://www.blogger.com/profile/03850306803493942684noreply@blogger.com