tag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post4423331771160549014..comments2024-03-22T11:27:03.707+05:30Comments on साहित्यम्: हरिगीतिका - समापन पोस्ट - रसधार छंदों की बहा दें, बस यही अनुरोध हैwww.navincchaturvedi.blogspot.comhttp://www.blogger.com/profile/07881796115131060758noreply@blogger.comBlogger19125tag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-83812829369514154752012-01-30T17:45:20.926+05:302012-01-30T17:45:20.926+05:30आदरणीय अम्बरीश जी को पढना अत्यंत ही सुखद अहसास...आदरणीय अम्बरीश जी को पढना अत्यंत ही सुखद अहसास होता है ..........<br /><br />यह आधुनिक परिवेश, इसमें, हम सभी पर भार है।<br />यह भार भी भारी नहीं, जब, संस्कृति आधार है।।<br />बहुत ही सुन्दर....अनुभूतिhttps://www.blogger.com/profile/17816337979760354731noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-37931411471156389282011-12-13T19:53:51.426+05:302011-12-13T19:53:51.426+05:30आदरणीय अम्बरीश भईया को पढ़ना हमेशा ही सुखद होता है....आदरणीय अम्बरीश भईया को पढ़ना हमेशा ही सुखद होता है.... आनंद आ गया....<br />सादर आभार....S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib')https://www.blogger.com/profile/10992209593666997359noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-13339914684182295352011-12-12T14:49:57.573+05:302011-12-12T14:49:57.573+05:30सहना पड़े सुख दुःख कभी, मत भूलिए उस पाप को।
यह जिन...सहना पड़े सुख दुःख कभी, मत भूलिए उस पाप को।<br />यह जिन्दगी है कीमती, अब, छोडिये संताप को।।<br /><br />अभिमान को भी त्यागिये, तब, मापिये निज ताप को।<br />तब तो कसौटी पर कसें हम, आज अपने आप को।३।<br /><br />Bahut sundar sir...Prakash Jainhttps://www.blogger.com/profile/04801182284591806629noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-50959881630349826342011-12-12T13:52:05.490+05:302011-12-12T13:52:05.490+05:30यह आधुनिक परिवेश, इसमें, हम सभी पर भार है।
यह भार ...यह आधुनिक परिवेश, इसमें, हम सभी पर भार है।<br />यह भार भी भारी नहीं, जब, संस्कृति आधार है।।<br /><br />वाह! सुन्दर है!ktheLeo (कुश शर्मा)https://www.blogger.com/profile/03513135076786476974noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-23587975726481066632011-12-12T13:36:28.661+05:302011-12-12T13:36:28.661+05:30नवीन जी, इस सुन्दर,सार्थक एवं सफल प्रयास के लिए ब...नवीन जी, इस सुन्दर,सार्थक एवं सफल प्रयास के लिए बधाई स्वीकार करें !ज्ञानचंद मर्मज्ञhttps://www.blogger.com/profile/06670114041530155187noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-16426542830584216642011-12-08T07:44:21.452+05:302011-12-08T07:44:21.452+05:30नवीन भाई,
सब से पहले तो आप को बहुत बहुत शुक्रिया...नवीन भाई,<br /><br />सब से पहले तो आप को बहुत बहुत शुक्रिया जो आप 'ठाले बैठे' में<br />मेरी रचना 'ख्यालों में' को शामिल किया है! और आप को बहुत<br />बहुत मुबारक हो जो आप ने 'ठाले बैठे' के ज़रिये इतनी अच्छी रचनाओं<br />का संकलन किया है! अभी तक तो आप की दी छंदों के उपर दी हुई<br />जानकारी का ही कायल रहा हूँ जिस से बहुत कुछ सीखने को मिला है,<br />आप की साहित्य की सेवा सराहनीयआशुhttps://www.blogger.com/profile/00177586469111424698noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-84274444988622145702011-12-07T17:52:36.706+05:302011-12-07T17:52:36.706+05:30बधाई नवीन जी इस सफल आयोजन पे ... कमाल के छंद का सि...बधाई नवीन जी इस सफल आयोजन पे ... कमाल के छंद का सिलसिला रहता है आपके ब्लॉग पे ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-80214044926521587542011-11-28T12:49:56.713+05:302011-11-28T12:49:56.713+05:30हरिगीतिका की समापन किश्त बहुत अच्छी लगी |बधाई |आशा...हरिगीतिका की समापन किश्त बहुत अच्छी लगी |<br>बधाई |<br>आशाआशाhttp://www.blogger.com/profile/16407569651427462917noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-63820128312250779522011-11-28T13:03:05.354+05:302011-11-28T13:03:05.354+05:30अम्बरीष जी !! सभी छन्दों में बाद की 2-2 पंक्तियाँ ...अम्बरीष जी !! सभी छन्दों में बाद की 2-2 पंक्तियाँ बहुत अच्छी लगीं -- विशेष रूप से --<br>अभिमान को भी त्यागिये, तब, मापिये निज ताप को।<br>तब तो कसौटी पर कसें हम, आज अपने आप को--बहुत सुन्दर कथ्य और प्रस्तुतीकरण है !!<br>नवीन भाई !! आपका आयोजन सफल रहा !! बहुत खूबसूरत छ्न्द पढने को मिले !! आयोजन तो बहुत होते हैं लेकिन जिस सन्दर्भ और जिस निष्ठा से आपने इसे आरंभ किया आगे बढाया और सम्पन्न किया उसके Mayank Awasthihttp://www.blogger.com/profile/16120430247055660504noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-49302013963612844532011-11-28T22:12:00.072+05:302011-11-28T22:12:00.072+05:30अम्बरीष जी तो छंदों के उस्ताद हैं। उनके छंदों की ज...अम्बरीष जी तो छंदों के उस्ताद हैं। उनके छंदों की जितनी तारीफ़ की जाय कम है। बहुत बहुत बधाई उन्हें इन शानदार हरिगीतिका छंदों के लिए।धर्मेन्द्र कुमार सिंह ‘सज्जन’http://www.blogger.com/profile/02517720156886823390noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-38504499624193878202011-11-29T08:24:04.761+05:302011-11-29T08:24:04.761+05:30अम्बरीष जी, बधाई, इस सुंदर हरिगीतिका के लिए।नवीन ज...अम्बरीष जी, बधाई, इस सुंदर हरिगीतिका के लिए।<br><br>नवीन जी, छंदों के प्रति आपकी अनुकरणीय नेकनीयती को नमनं।<br>आपका यह स्तुत्य प्रयास सफल हो।<br>अशेष शुभकामनाएं।mahendra vermahttp://www.blogger.com/profile/03223817246093814433noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-66265984582284612762011-11-29T11:07:10.342+05:302011-11-29T11:07:10.342+05:30अभिमान को भी त्यागिये, तब, मापिये निज ताप को।तब तो...अभिमान को भी त्यागिये, तब, मापिये निज ताप को।<br>तब तो कसौटी पर कसें हम, आज अपने आप को<br><br>आदरणीय अम्बरीषजी को सुन-सुन कर मात्रिक छंद लिखना शुरू किया हूँ. आपका साहित्यिक योगदान अमूल्य है. हार्दिक बधाई.<br><br><br>यह फेज समाप्त हुआ, तो फिर नूतन की प्रतीक्षा. समय रुकता कहाँ है.. चरैवेति चरैवेति .. का गान अपने वाङ्मय यूँहीं तो करते नहीं.<br><br>आपकी संलग्नता और आपका सद्-प्रयास हिन्दी साहित्य के Saurabhhttp://www.blogger.com/profile/01860891071653618058noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-65852982741189164412011-11-29T11:27:26.431+05:302011-11-29T11:27:26.431+05:30छंद का ज्ञान जरूर देते रहिए, अभी हमें बहुत कुछ सीख...छंद का ज्ञान जरूर देते रहिए, अभी हमें बहुत कुछ सीखना है। अब आपकी ठाले-बैठे पर ही जाएंगे। लेकिन आपकी अगली कक्षा का इंतजार करेंगे।ajit guptahttp://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-86844421180465227462011-11-29T15:57:34.289+05:302011-11-29T15:57:34.289+05:30बहुत ज्ञानवर्धक और आनन्ददायी रही श्रंखला...अम्बरीष...बहुत ज्ञानवर्धक और आनन्ददायी रही श्रंखला...<br><br>अम्बरीष जी को पढ़कर आनन्द आया.Udan Tashtarihttp://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-36019608490101851102011-11-29T18:38:15.225+05:302011-11-29T18:38:15.225+05:30नवीन जी इस आयोजन के लिये बधाए के पात्र हैं ....--...नवीन जी इस आयोजन के लिये बधाए के पात्र हैं ....<br>---अम्बरीष जी के सुन्दर छंद..बधाई..<br><br>"यह भार भी भारी नहीं, जब, संस्कृति आधार है।।"..= २७ मात्रायें।डा. श्याम गुप्तhttp://www.blogger.com/profile/03850306803493942684noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-51944792805792815012011-11-29T21:51:09.462+05:302011-11-29T21:51:09.462+05:30एक बहुत अच्छी शृंखला का समापन … मन कुछ भारी है । य...एक बहुत अच्छी शृंखला का समापन … मन कुछ भारी है । <br>यद्यपि आप शीघ्र ही नया आयोजन ले आएंगे , उसकी उत्साह सहित प्रतीक्षा भी है … <b> नवीन जी ! </b><br><br><b> वातायन</b> को <b> ठाले बैठे </b> के साथ पहले ही merge कर चुके अब <b> समस्यापूर्ति मंच</b> को भी !!<br>आप स्वयं इतना विपुल मात्रा में सृजन करते हैं , समझा जा सकता है कि रचनाओं की कमी जैसी तो कोई समस्या है नहीं … … … <br><br>आप यथासुविधा जो Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकारhttp://www.blogger.com/profile/18171190884124808971noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-31168088275011632332011-12-01T12:36:07.486+05:302011-12-01T12:36:07.486+05:30धन्यवाद एवं आभार के सच्चे हकदार तो आप हैं नवीन जी ...धन्यवाद एवं आभार के सच्चे हकदार तो आप हैं नवीन जी कि आपने हम जैसे अनुभवहीन रचनाधर्मियों को छंदों के विधि विधान एवं अनुशासन से परिचित कराया ! मुझे इस बात का मलाल है कि मैं विलम्ब के साथ इस मंच से जुड़ी! भविष्य में भी आप इसी तरह से मार्गदर्शन करते रहेंगे यही अपेक्षा है ! अम्बरीश जी के हरिगीतिका छंद बहुत सुन्दर लगे ! उन्हें बहुत बहुत बधाई !Sadhana Vaidhttp://www.blogger.com/profile/09242428126153386601noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-87775943626246527682011-12-02T16:59:21.810+05:302011-12-02T16:59:21.810+05:30सुन्दर छंद..सुन्दर छंद..सुरेन्द्र सिंह " झंझट "http://www.blogger.com/profile/04294556208251978105noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-56970141599525719362011-12-03T18:19:38.277+05:302011-12-03T18:19:38.277+05:30ये छंद बहुत अच्छी लगे |बधाई |आशाये छंद बहुत अच्छी लगे |बधाई |<br>आशाआशाhttp://www.blogger.com/profile/16407569651427462917noreply@blogger.com