tag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post4260333162416280697..comments2024-03-22T11:27:03.707+05:30Comments on साहित्यम्: SP/2/3/9 इनको रखो सँभाल, पर्स में यादों के तुम - धर्मेन्द्र कुमार सज्जनwww.navincchaturvedi.blogspot.comhttp://www.blogger.com/profile/07881796115131060758noreply@blogger.comBlogger24125tag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-41864822136462766732014-01-29T23:18:42.749+05:302014-01-29T23:18:42.749+05:30कहाँ लिखा है कि ब्रह्म की उत्पत्ति शून्य से हुई .....कहाँ लिखा है कि ब्रह्म की उत्पत्ति शून्य से हुई ...न विज्ञान में न दर्शन में...इन दार्शनिक तात्विक ज्ञान के प्रश्नों में.. 'मेरे लिए' .. शब्द का कोइ स्थान नहीं होता....शास्त्रोक्त तथ्यात्मक उदाहरण दिए जाने चाहए.....डा श्याम गुप्तhttps://www.blogger.com/profile/03850306803493942684noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-87415519814902469482014-01-29T17:50:35.840+05:302014-01-29T17:50:35.840+05:30नवीन जी को इस आयोजन की अपूर्व सफलता एवं कुशल मंच स...नवीन जी को इस आयोजन की अपूर्व सफलता एवं कुशल मंच संचालन के लिए बहुत बहुत बधाई।‘सज्जन’ धर्मेन्द्रhttps://www.blogger.com/profile/02517720156886823390noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-74680805613691853192014-01-29T17:49:55.792+05:302014-01-29T17:49:55.792+05:30बहुत बहुत धन्यवाद खुर्शीद साहब।बहुत बहुत धन्यवाद खुर्शीद साहब।‘सज्जन’ धर्मेन्द्रhttps://www.blogger.com/profile/02517720156886823390noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-11175308968581186512014-01-29T17:47:04.397+05:302014-01-29T17:47:04.397+05:30क्षमा कीजिएगा श्याम गुप्त जी। मोबाइल से टंकित किया...क्षमा कीजिएगा श्याम गुप्त जी। मोबाइल से टंकित किया था इसलिए ‘ब्रह्म‘ के स्थान पर ‘ब्रह्मा‘ टंकित हो गया था और ‘शून्य‘ के स्थान पर ‘शुन्य’। और ब्रह्म की उत्पत्ति शून्य से बताई गई है चाहे ‘दर्शन’ हो या ‘विज्ञान’ दोनों में। मैं विज्ञान को भी दर्शन मानता हूँ अतः मेरे लिये दर्शन दो तरह का होता है। शास्त्रों की लाज मुझे नहीं रखनी पड़ेगी, उसमें शास्त्र स्वयं सक्षम हैं।‘सज्जन’ धर्मेन्द्रhttps://www.blogger.com/profile/02517720156886823390noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-56999559460070904032014-01-29T11:27:26.700+05:302014-01-29T11:27:26.700+05:30आ.सज्जन सा. के नवीन बिंबों से युक्त सरस छंदों के स...आ.सज्जन सा. के नवीन बिंबों से युक्त सरस छंदों के साथ आयोजन का समापन सुखद है ,आ. सज्जन सा. को हार्दिक बधाई तथा नवीन भाईसाहब को इतने अच्छे आयोजन के लिए आभार <br />सादर ख़ुरशीद खैराड़ीhttps://www.blogger.com/profile/01886340266599269733noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-30523139338198763392014-01-28T23:28:15.199+05:302014-01-28T23:28:15.199+05:30-------असत्य पढ़ा है धर्मेन्द्र जी ब्रह्मा की उत्पत...-------असत्य पढ़ा है धर्मेन्द्र जी ब्रह्मा की उत्पत्ति शून्य से नहीं ...विष्णु से हुई ..और ब्रह्मास्मि में वह ब्रह्मा के लिए नहीं ..ब्रह्म के लिए कहा गया है ....आपके मानने से 'अहं शून्यास्मि' .वैदिक या .ब्रह्म वाक्य थोड़े ही हो जाएगा.........दर्शन एक तरह का ही होता है...दो तरह का नहीं ..कहाँ से पढ़ते हो यह सब....कुछ तो लाज रखें अपने शास्त्रों की.डा श्याम गुप्तhttps://www.blogger.com/profile/03850306803493942684noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-46870475286740852962014-01-27T22:44:58.357+05:302014-01-27T22:44:58.357+05:30हृदय से आभारी हूं साधना जीहृदय से आभारी हूं साधना जी‘सज्जन’ धर्मेन्द्रhttps://www.blogger.com/profile/02517720156886823390noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-8197227187765127242014-01-27T22:43:06.882+05:302014-01-27T22:43:06.882+05:30तह-ए-दिल से शुक्रगुजार हू कल्पना जी। स्नेह बना रहे...तह-ए-दिल से शुक्रगुजार हू कल्पना जी। स्नेह बना रहे।‘सज्जन’ धर्मेन्द्रhttps://www.blogger.com/profile/02517720156886823390noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-3950650966687485302014-01-27T22:41:48.240+05:302014-01-27T22:41:48.240+05:30बहुत बहुत शुक्रिया कैलाश जीबहुत बहुत शुक्रिया कैलाश जी‘सज्जन’ धर्मेन्द्रhttps://www.blogger.com/profile/02517720156886823390noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-16470434427121384732014-01-27T22:40:24.326+05:302014-01-27T22:40:24.326+05:30तहेदिल से शुक्रगुजार हूं सत्यनारायण जीतहेदिल से शुक्रगुजार हूं सत्यनारायण जी‘सज्जन’ धर्मेन्द्रhttps://www.blogger.com/profile/02517720156886823390noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-82144846199660057362014-01-27T22:38:56.953+05:302014-01-27T22:38:56.953+05:30शुक्रिया प्रवीण जीशुक्रिया प्रवीण जी‘सज्जन’ धर्मेन्द्रhttps://www.blogger.com/profile/02517720156886823390noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-85123655194532331782014-01-27T22:37:39.761+05:302014-01-27T22:37:39.761+05:30शुक्रिया श्याम जी। और हाँ दर्शन दोनों तरह का होता ...शुक्रिया श्याम जी। और हाँ दर्शन दोनों तरह का होता है। मैं 'अहं शून्यास्मि' में यकीन करता हूँ और ब्रह्मा की उत्पत्ति शुन्य से ही हुई है।‘सज्जन’ धर्मेन्द्रhttps://www.blogger.com/profile/02517720156886823390noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-33541220893027523632014-01-27T22:21:48.639+05:302014-01-27T22:21:48.639+05:30बहुत बहुत शुक्रिया ऋता जीबहुत बहुत शुक्रिया ऋता जी‘सज्जन’ धर्मेन्द्रhttps://www.blogger.com/profile/02517720156886823390noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-18074684685952667142014-01-27T22:17:26.068+05:302014-01-27T22:17:26.068+05:30शुक्रिया रविकर जीशुक्रिया रविकर जी‘सज्जन’ धर्मेन्द्रhttps://www.blogger.com/profile/02517720156886823390noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-28133864569211598012014-01-27T22:00:08.184+05:302014-01-27T22:00:08.184+05:30बहुत बहुत धन्यवाद दिगंबर जीबहुत बहुत धन्यवाद दिगंबर जी‘सज्जन’ धर्मेन्द्रhttps://www.blogger.com/profile/02517720156886823390noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-8484467909254800592014-01-27T19:56:58.391+05:302014-01-27T19:56:58.391+05:30समापन के साथ धर्मेन्द्र जी के छंद आनंदित कर गए। प्...समापन के साथ धर्मेन्द्र जी के छंद आनंदित कर गए। प्रवाह, बिम्ब और सरल सहज भाषा मन को छू गई। हार्दिक बधाई...कल्पना रामानीhttps://www.blogger.com/profile/17587173871439989311noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-9519339922196484842014-01-27T15:41:18.845+05:302014-01-27T15:41:18.845+05:30अंतस को छूती बहुत प्रभावी और सार्थक प्रस्तुति....अंतस को छूती बहुत प्रभावी और सार्थक प्रस्तुति....Kailash Sharmahttps://www.blogger.com/profile/12461785093868952476noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-70446299216075683892014-01-27T10:47:53.218+05:302014-01-27T10:47:53.218+05:30समस्त सुधी पाठको को सर्व प्रथम गणतंत्र दिवस की शुभ...समस्त सुधी पाठको को सर्व प्रथम गणतंत्र दिवस की शुभकामना. ..... <br />अति सुन्दर, भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु आ. धर्मेन्द्र जी को हार्दिक बधाई . परम आ. नवीन जी को भी सफल मंच संचालन हेतु हार्दिक बधाई मंच से जुड़े सभी साहित्य रसिको एवं मंच संचालक जी का ह्रदय से आभार व्यक्त करता हूँ धन्यवाद Satyanarayan singhhttps://www.blogger.com/profile/00790105613649162597noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-33626275991365682262014-01-27T08:31:06.655+05:302014-01-27T08:31:06.655+05:30वाह, बहुत ही सुन्दरवाह, बहुत ही सुन्दरप्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-49229867025811627622014-01-26T21:45:18.671+05:302014-01-26T21:45:18.671+05:30---सुन्दर ...
--पर मेरे विचार से मैं को मरना नहीं ...---सुन्दर ...<br />--पर मेरे विचार से मैं को मरना नहीं चाहिए ...नहीं तो 'अहं ब्रह्मास्मि'...कौन कहेगा.... डा श्याम गुप्तhttps://www.blogger.com/profile/03850306803493942684noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-41960587290261815292014-01-26T20:51:05.010+05:302014-01-26T20:51:05.010+05:30दार्शनिक अन्दाज से अलग हटकर लिखी गई कुण्डलिया बहुत...दार्शनिक अन्दाज से अलग हटकर लिखी गई कुण्डलिया बहुत अच्छी लगी...धर्मेन्द्र जी को बधाई और सफल मंच संचालन के लिए आयोजक महोदय को भी बधाई !!ऋता शेखर 'मधु'https://www.blogger.com/profile/00472342261746574536noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-84168891270910128652014-01-26T15:08:53.220+05:302014-01-26T15:08:53.220+05:30समापन कड़ी में धर्मेन्द्र जी के अत्यंत सरस एवँ सुंद...समापन कड़ी में धर्मेन्द्र जी के अत्यंत सरस एवँ सुंदर छंदों ने केक पर आइसिंग का कार्य किया है ! बहुत आनंद आया ! आयोजन के सफल संचालन के लिये आपको बहुत-बहुत बधाई एवँ साधुवाद ! Sadhana Vaidhttps://www.blogger.com/profile/09242428126153386601noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-13683588244057591032014-01-26T14:05:49.975+05:302014-01-26T14:05:49.975+05:30धर्मेन्द्र जी के उत्तम छंदों से समापन ... सरल और स...धर्मेन्द्र जी के उत्तम छंदों से समापन ... सरल और सीधे दिल में उतर जाने वाले छंद हैं सभी ... <br />आपको भी बधाई इस सफल संचालन की ... और सभी पढ़ने वालों को गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाई और मंगल कामनाएं ....दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-54208434877268488992014-01-26T14:03:43.576+05:302014-01-26T14:03:43.576+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.com