tag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post1813229021670165976..comments2024-03-22T11:27:03.707+05:30Comments on साहित्यम्: विज्ञान के आगे चले ये हो कसौटी काव्य कीwww.navincchaturvedi.blogspot.comhttp://www.blogger.com/profile/07881796115131060758noreply@blogger.comBlogger13125tag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-19307854938257299942011-10-31T21:48:20.002+05:302011-10-31T21:48:20.002+05:30बहुत ही सुन्दर और सार्थक छंद हैं सज्जन जी के ! उनक...बहुत ही सुन्दर और सार्थक छंद हैं सज्जन जी के ! उनकी लेखनी अद्भुत रूप से तेजस्वी एवं ओजपूर्ण है ! उन्हें बहुत-बहुत बधाई एवं शुभकामनायें !Sadhana Vaidhttp://www.blogger.com/profile/09242428126153386601noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-31198377015599607982011-11-01T08:19:15.955+05:302011-11-01T08:19:15.955+05:30bahut badhiya chhand .....sundar prastutikaranbahut badhiya chhand .....sundar prastutikarananahttp://dhwanita.blogspot.com/2011/10/mahishasura-mardhini.htmlnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-38565653470053535122011-11-01T12:11:12.164+05:302011-11-01T12:11:12.164+05:30बहुत-बहुत सुन्दर , भावपूर्ण , मनोहारी छंद रचे हैं ...बहुत-बहुत सुन्दर , भावपूर्ण , मनोहारी छंद रचे हैं भाई धर्मेन्द्र जी ने ...बधाई स्वीकारें <br><br>नवीन जी ! आपका तो बार-बार आभार इतने सुन्दर साहित्यिक अनुष्ठान के लिए ..सुरेन्द्र सिंह " झंझट "http://www.blogger.com/profile/04294556208251978105noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-28311516543429978672011-11-02T06:36:37.134+05:302011-11-02T06:36:37.134+05:30अदभुद लेखन |बहुत बहुत बधाई |आशाअदभुद लेखन |बहुत बहुत बधाई |<br>आशाआशाhttp://www.blogger.com/profile/16407569651427462917noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-73529480861094529702011-11-02T12:29:44.301+05:302011-11-02T12:29:44.301+05:30Bahut hi sunder - बहुत बहुत बधाई |MadhuramBahut hi sunder - बहुत बहुत बधाई |<br>MadhuramAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-37607462801110399212011-11-02T12:36:43.014+05:302011-11-02T12:36:43.014+05:30आ सामने तेरे, कसौटी स्वर्ण भी चढ़ता नहीं| चाँदी कर...आ सामने तेरे, कसौटी स्वर्ण भी चढ़ता नहीं| <br>चाँदी करे अनुरोध, मुझको, सामने जाना नहीं|| <br><br>हिमखण्ड, हर हीरा हुआ, हत-प्राण, हीरक-हार है| <br>जब राह भूले तू, वही दिन, हाट का त्यौहार है|१| <br>Wah ! Wah ! Dharmendra Bhai !!<br><br>Bahut khoob chhand likhe hain aapne !!शेखर चतुर्वेदीhttp://www.blogger.com/profile/03570068972021024352noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-24885918727548337542011-11-03T01:14:15.013+05:302011-11-03T01:14:15.013+05:30धर्मेन्द्र भाई बहुत ख़ूब ! यह स्वर्ण चांदी हीरे … ...धर्मेन्द्र भाई <br><br><br>बहुत ख़ूब ! यह स्वर्ण चांदी हीरे … ये कहां सारा हमारा सामान ले'कर बैठ गए ;)<br><br>अच्छे छंद हैं … लेकिन आपसे इनसे भी बेहतर की उम्मीद रहती है …Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकारhttp://www.blogger.com/profile/18171190884124808971noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-63246160644750773362011-11-03T11:07:14.194+05:302011-11-03T11:07:14.194+05:30साधना जी, अना जी, आशा जी, सुरेंद्र जी, मधुरम जी, श...साधना जी, अना जी, आशा जी, सुरेंद्र जी, मधुरम जी, शेखर जी और राजेन्द्र भाई आप सबका बहुत बहुत शुक्रिया। @राजेन्द्र भाई, सही कहा आपने अभी हरिगीतिका छंद ढंग से हत्थे चढ़ा नहीं है। छंद निभाने के चक्कर में भाव हाथ से निकल जाते हैं। खैर आगे और बेहतर करने की कोशिश जारी रहेगी, नवीन भाई के मार्गदर्शन में।<br><br>धर्मेन्द्र कुमार सिंहAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-3396058421033358372011-11-09T19:25:11.139+05:302011-11-09T19:25:11.139+05:30"अंधा हुआ जो ज्ञान, सब मिट जायगा, संसार से| य..."अंधा हुआ जो ज्ञान, सब मिट जायगा, संसार से| <br>यदि नाव खेना ज्ञान की, तो, भाव की पतवार से|| <br><br>हम ज्ञान को कर दें सजग,कर-कल्पना,सम्भाव्य की| <br>विज्ञान के आगे चले, ये हो कसौटी - काव्य की|४|"<br><br>अत्यंत अर्थपूर्ण एवं सुंदर सृजन । बधाई ।sushilahttp://www.blogger.com/profile/05803418860654276532noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-21404575128781098952011-11-12T14:58:21.314+05:302011-11-12T14:58:21.314+05:30चारों हरिगीतिका छंद कहाँ और शिल्प की दृष्टि से बेह...चारों हरिगीतिका छंद कहाँ और शिल्प की दृष्टि से बेहतरीन कहे हैं धर्मेन्द्र भाई ! आपकी लेखनी पर सच में माँ शारदा की भरपूर कृपा है, आपको कोटिश: साधुवाद !Yograj Prabhakarhttp://www.blogger.com/profile/08110021103580620658noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-16693509310832888452011-11-14T14:53:54.952+05:302011-11-14T14:53:54.952+05:30यदि नाव खेना ज्ञान की, तो, भाव की पतवार से|| अमूल्...यदि नाव खेना ज्ञान की, तो, भाव की पतवार से|| <br>अमूल्य बात!<br>सभी छंद बेहद सुन्दर हैं!<br>धर्मेन्द्र जी को हार्दिक बधाई!अनुपमा पाठकhttp://www.blogger.com/profile/09963916203008376590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-48127510818090733152011-11-17T16:08:47.628+05:302011-11-17T16:08:47.628+05:30हर कल्पना की भावना बन, तू सदा सजती रहे| संगीत गर त...हर कल्पना की भावना बन, तू सदा सजती रहे| <br>संगीत गर तू ही हमारे - गीत का बनती रहे||<br>( तारीफ क्या हो कामते दिलदार की शिकेब <br>तजसीम कर दिया है किसी ने अलाप को -शिकेब जलाली <br><br>अनुरोध मेरा मानकर, सँग - सँग सदा चलती रहे| <br>तो ज़िंदगी भर, गीत तेरे, लेखनी लिखती रहे|२|<br>तुम अगर साथ देने का वादा करो --मैं यूँ ही मस्त नगमें सुनाता रहूँ <br>मुस्कान तेरी, इक कठिन सप्ताह का - रविवार है| Mayank Awasthihttp://www.blogger.com/profile/16120430247055660504noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-33568622110145895902011-11-21T12:51:44.407+05:302011-11-21T12:51:44.407+05:30सुशीला जी, योगराज जी, अनुपमा जी और मयंक जी आप सभी ...सुशीला जी, योगराज जी, अनुपमा जी और मयंक जी आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद।धर्मेन्द्र कुमार सिंह ‘सज्जन’http://www.blogger.com/profile/02517720156886823390noreply@blogger.com