tag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post156470353364358635..comments2024-03-22T11:27:03.707+05:30Comments on साहित्यम्: SP2/3/8 दिगम्बर नासवा जी और योगराज प्रभाकर जी के छन्दwww.navincchaturvedi.blogspot.comhttp://www.blogger.com/profile/07881796115131060758noreply@blogger.comBlogger24125tag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-75337230177154909342014-01-25T22:08:42.809+05:302014-01-25T22:08:42.809+05:30रविकर ...एक ही तरह का खाद्य खाते-खाते, खिलाते-खिला...रविकर ...एक ही तरह का खाद्य खाते-खाते, खिलाते-खिलाते स्वयं को भी अरुचि होने लगती है और क्वालिटी ऑफ़ वर्क...गिरने लगती है...होशियार....डा श्याम गुप्तhttps://www.blogger.com/profile/03850306803493942684noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-53547482156057989572014-01-25T22:04:36.089+05:302014-01-25T22:04:36.089+05:30हमारी हाँ भी है और ना भी .....ना ना करते मान उन्ह...हमारी हाँ भी है और ना भी .....ना ना करते मान उन्हीं को हम बैठे...वाह! क्या निराला अंदाजा है जी......धन्यवाद...डा श्याम गुप्तhttps://www.blogger.com/profile/03850306803493942684noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-57476573144347251792014-01-25T21:27:35.101+05:302014-01-25T21:27:35.101+05:30kyaa baat hai yograj jeekyaa baat hai yograj jeewww.navincchaturvedi.blogspot.comhttps://www.blogger.com/profile/07881796115131060758noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-80739651576061105342014-01-25T16:36:14.458+05:302014-01-25T16:36:14.458+05:30 इसका सारा श्रेय भाई नवीन चतुर्वेदी जी को ही जाता ... इसका सारा श्रेय भाई नवीन चतुर्वेदी जी को ही जाता है भाई प्रवीण पांडे जी.Yograj Prabhakarhttps://www.blogger.com/profile/08110021103580620658noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-29840473946409290892014-01-25T16:34:05.897+05:302014-01-25T16:34:05.897+05:30आपको खुश देखकर मेरा भी मन बेहद खुश हुआ आ० खुर्शीद ...आपको खुश देखकर मेरा भी मन बेहद खुश हुआ आ० खुर्शीद खैराड़ी जी, हार्दिक आभार। Yograj Prabhakarhttps://www.blogger.com/profile/08110021103580620658noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-52589458552713302282014-01-25T16:33:41.418+05:302014-01-25T16:33:41.418+05:30आ० ऋचा शेखर मधु जी, आपके उत्साहवर्धन का दिल से आभा...आ० ऋचा शेखर मधु जी, आपके उत्साहवर्धन का दिल से आभारी हूँ. Yograj Prabhakarhttps://www.blogger.com/profile/08110021103580620658noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-30997284359956342382014-01-25T16:33:24.195+05:302014-01-25T16:33:24.195+05:30आ० सत्यनारायण सिंह जी आपकी बधाई सर आँखों पर, रचनाय...आ० सत्यनारायण सिंह जी आपकी बधाई सर आँखों पर, रचनायों को मान देने के लिए हार्दिक आभार। <br />Yograj Prabhakarhttps://www.blogger.com/profile/08110021103580620658noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-11675621240501849792014-01-25T16:33:06.337+05:302014-01-25T16:33:06.337+05:30आ० साधना वैद जी - दिल से आभार। आ० साधना वैद जी - दिल से आभार। Yograj Prabhakarhttps://www.blogger.com/profile/08110021103580620658noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-75907923232313098482014-01-25T16:32:49.988+05:302014-01-25T16:32:49.988+05:30सिफर या सिफ्र नहीं होता
मैं अकेला ही चला था.....
...सिफर या सिफ्र नहीं होता<br />मैं अकेला ही चला था..... <br />गीता <br />कृष्ण <br />मैं<br /> <br />खैर !! आपका तो माशाअल्लाह बाबा आदम ही निराला है परम आदरणीय श्याम गुप्ता जी.<br /><br />Yograj Prabhakarhttps://www.blogger.com/profile/08110021103580620658noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-56420402158115528462014-01-25T16:32:24.269+05:302014-01-25T16:32:24.269+05:30आ० भाई धर्मेन्द्र सिंह जी, यह सब आप सब मित्रों की ...आ० भाई धर्मेन्द्र सिंह जी, यह सब आप सब मित्रों की दुयायों , पंजाबी फ़ूड और रशियन वोडका का कमाल है कि ये बंदा यमराज चाचा को भी गच्चा ( फिलहाल) देने में सफल रहा, वर्ना उसने तो ऊपर मेरे लिए फ्लैट बुक करवा के रखा था :) आप का अनुमोदन पाना मेरे लिए किसी उपलब्धि से कम नहीं, आपका दिल से शुक्रिया। Yograj Prabhakarhttps://www.blogger.com/profile/08110021103580620658noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-70349429793022847812014-01-25T16:32:00.236+05:302014-01-25T16:32:00.236+05:30आदरणीया कल्पना रामानी जी, आप जैसी विदुषी की सराहना...आदरणीया कल्पना रामानी जी, आप जैसी विदुषी की सराहना पाना मेरे लिए बहुत गौरव की बात है. आपको छंद पसंद आए यह जान कर बहुत प्रसन्नता हुई, हार्दिक आभार आदरणीय।Yograj Prabhakarhttps://www.blogger.com/profile/08110021103580620658noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-57185705102199148502014-01-25T10:28:02.651+05:302014-01-25T10:28:02.651+05:30आ.योगराज जी एवं दिगम्बर जी के छंदों को पढ़कर मन प्र...आ.योगराज जी एवं दिगम्बर जी के छंदों को पढ़कर मन प्रसन्न हो गया |आप महानुभवों को सादर बधाई ख़ुरशीद खैराड़ीhttps://www.blogger.com/profile/01886340266599269733noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-45897671812855839722014-01-24T19:02:06.869+05:302014-01-24T19:02:06.869+05:30आदरणीय योगराज सर एवं नासवा सर को सुन्दर छंद प्रस्त...आदरणीय योगराज सर एवं नासवा सर को सुन्दर छंद प्रस्तुति के लिए सादर बधाई !!<br />सफल आयोजन के लिए साधुवाद एवं उत्कृष्ट ज्ञानवर्द्धक छंद प्रस्तुतियों के लिए समस्यापूर्ति मंच का आभार !ऋता शेखर 'मधु'https://www.blogger.com/profile/00472342261746574536noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-34500631675850550732014-01-24T15:20:28.084+05:302014-01-24T15:20:28.084+05:30आदरणीय योगराज जी की प्रस्तुति पर कुछ कहूँ इतना मै...आदरणीय योगराज जी की प्रस्तुति पर कुछ कहूँ इतना मैं अपने को सक्षम नही समझता, आदरणीय योगराज जी से सदैव नया कुछ सीखने की प्रेरणा मिलती है. अतएव रचनाऑ को हमसे साझा करने हेतु आदरणीय योगराज जी को ह्रदय से आभार | <br />आ, नासवा जी को भी सुन्दर छंद प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई Satyanarayan singhhttps://www.blogger.com/profile/00790105613649162597noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-89639857763571597832014-01-24T14:22:58.760+05:302014-01-24T14:22:58.760+05:30तुम तुमड़ी तुल तुक तुमुल, सुन नागिन-मन नाँच |
बिसरा...तुम तुमड़ी तुल तुक तुमुल, सुन नागिन-मन नाँच |<br />बिसराऊँ सुध-बुध जहर, शुद्ध तत्त्व हों पाँच |<br /><br />शुद्ध तत्त्व हों पाँच, दूर हों नाग विषैले |<br />पड़े तुम्हारी आँच, कीर्ति दुनिया में फैले |<br /><br />रविकर दर्शन साँच, भीड़ भारी है उमड़ी |<br />काँचुलि काँचन कांति, बढ़ाये तुर तुम तुमड़ी ||रविकर https://www.blogger.com/profile/00288028073010827898noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-421381439017332352014-01-24T13:41:10.117+05:302014-01-24T13:41:10.117+05:30सभी छंद एक से बढ़ कर एक ! हर छंद की अलग बानगी एवं अ...सभी छंद एक से बढ़ कर एक ! हर छंद की अलग बानगी एवं अलग प्रभाव ! माननीय योगीराज जी व नासवा जी को बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनायें ! एवं आपको इस सफल आयोजन के लिए ढेर सारा साधुवाद ! Sadhana Vaidhttps://www.blogger.com/profile/09242428126153386601noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-69260701597807919702014-01-24T12:30:48.984+05:302014-01-24T12:30:48.984+05:30अच्छे छंद हैं.....हाँ.. मैं ..सिफर या सिफ्र नहीं ह...अच्छे छंद हैं.....हाँ.. मैं ..सिफर या सिफ्र नहीं होता ....अन्यथा कवि क्यों कहता ....<br />.."मैं अकेला ही चला था.....लोग आते गए कारवां बनता गया |."..यदि मैं में कुछ तथ्य नहीं होगा तो कोइ साथ या पीछे नहीं चलेगा ..तभी तो कृष्ण गीता में..मैं का प्रयोग करते हैं... डा श्याम गुप्तhttps://www.blogger.com/profile/03850306803493942684noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-27103669073310960372014-01-24T12:25:36.806+05:302014-01-24T12:25:36.806+05:30सज्जन जी का बहुत बहुत आभार ... सज्जन जी का बहुत बहुत आभार ... दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-61533130678044293182014-01-24T12:18:09.526+05:302014-01-24T12:18:09.526+05:30आभार आपके निराले अदा़ंज का ...आभार आपके निराले अदा़ंज का ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-47924683912107395992014-01-24T12:14:24.575+05:302014-01-24T12:14:24.575+05:30आभार बहुत बहुत ....आभार बहुत बहुत ....दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-58266202748755579902014-01-24T11:59:33.551+05:302014-01-24T11:59:33.551+05:30कलम की धार देखकर लगता नहीं कि योगराज जी इतनी लम्बी...कलम की धार देखकर लगता नहीं कि योगराज जी इतनी लम्बी बीमारी से उबरकर आये हैं। ये धार यूँ ही बनी रहे और हमें यूँ ही शानदार छंदों की सौगात देती रहे। बहुत बहुत बधाई योगराज जी को।<br /><br />दिगंबर जी ने हास्य रस का छंद लिखकर शेखर जी के बाद फिर से रस परिवर्तन का कार्य किया है। इसके लिए उन्हें बहुत बहुत बधाई।‘सज्जन’ धर्मेन्द्रhttps://www.blogger.com/profile/02517720156886823390noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-72733425909575619272014-01-24T11:58:09.477+05:302014-01-24T11:58:09.477+05:30सतत अनुशरण कर रहा हूँ-
आपकी प्रेरणा से-
सादर
मै ...सतत अनुशरण कर रहा हूँ-<br />आपकी प्रेरणा से-<br />सादर <br /><br />मै मैगल अंकुश-रहित, *गलगाजन जलकेलि |<br />पग जकड़े गलग्राह जब, होय बंद अठखेलि |<br />*आनंद से गरजना<br /><br />होय बंद अठखेलि, ताल में ताल ठोंकते |<br />लड़ें युद्ध गज-ग्राह, समूची शक्ति झोंकते |<br /><br />शिथिल होंय पद-चार, शुण्ड ऊपर कर विह्वल |<br />त्राहिमाम उच्चार, हुआ प्रभुमै मै मैगल ॥ <br /> रविकर https://www.blogger.com/profile/00288028073010827898noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-77435928031723074802014-01-24T08:56:08.876+05:302014-01-24T08:56:08.876+05:30छंदों और संबंधों के बारे में कितना कुछ जानने को मि...छंदों और संबंधों के बारे में कितना कुछ जानने को मिला।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-31988175919516536952014-01-23T19:23:21.124+05:302014-01-23T19:23:21.124+05:30अलग अलग छंदों के रस से तन मन सराबोर हो गया। आदरणी...अलग अलग छंदों के रस से तन मन सराबोर हो गया। आदरणीय योगराज जी के बेमिसाल छंद 'सिर्फ प्रशंसा' से बहुत ऊपर हैं। सब कुछ नवीन जी ने कह दिया है बाकी कुछ नहीं बचता। आदरणीय दिगंबर जी ने हास्य रस से आनंदित किया। सभी विद्वानों का हार्दिक आभार और नवीन जी को इस मंच के माध्यम से सबको जोड़ने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। कल्पना रामानीhttps://www.blogger.com/profile/17587173871439989311noreply@blogger.com