16 जनवरी 2012

बात पूरी हो न पानी थी, लिहाजा टाल दी - नवीन

बात पूरी हो न पानी थी, लिहाजा टाल दी
ज़िंदगी फिलहाल मौक़े के मुताबिक़ ढाल दी १

मेहनती लोगों से मेहनत ही कराते हैं सभी
रब ने भी तो चींटियों को रेंगने की चाल दी २

हम तुम्हें लुकमान समझे और तुम निकले रक़ीब
जो बढाये रोग – वो बूटी- दवा में डाल दी ३
लुक़मान - बहुत बड़ा वैद्य, रक़ीब - दुश्मन 

ज़िल्द ही से है क़िताबों की हिफ़ाज़त और निखार
रब ने भी कुछ सोच कर ही हड्डियों को खाल दी ४

विश्व को रफ़्तार का तुहफ़ा दिया तकनीक ने
एक धीमे ज़ह्र की पुडिया हवा में डाल दी ५

आप मानें या न मानें, लोग तो बतलायेंगे
इस तरक्क़ी ने हमें बस सूरतेबदहाल दी ६

गर मिला मौक़ा तो हम फिर से करेंगे गुफ़्तगू 
ये न समझें बात हर दम के लिये ही टाल दी   ७

हाँ तुम्हें शह-मात देने का हमें अफ़सोस है
और जो तुमने पैदलों को ऊँट वाली चाल दी ८

गिरता ही जाता है रुपया विश्व के बाज़ार में
क्या इसी .खातिर तुम्हारे हाथ में टकसाल दी ९

:- नवीन सी. चतुर्वेदी 

बहरे रमल मुसम्मन महजूफ़
फ़ाएलातुन फ़ाएलातुन फ़ाएलातुन फ़ाएलुन

2122 2122 2122 212 

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