tag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post8419387632733672496..comments2024-03-22T11:27:03.707+05:30Comments on साहित्यम्: भटकाव के प्रारूप दो ही, 'क्लिष्ट' और 'अक्लिष्ट' हैंwww.navincchaturvedi.blogspot.comhttp://www.blogger.com/profile/07881796115131060758noreply@blogger.comBlogger17125tag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-83315740896203381352011-10-08T21:48:11.850+05:302011-10-08T21:48:11.850+05:30सौरभ जी के छंदों के बारे में क्या कहें। हर छंद सधा...सौरभ जी के छंदों के बारे में क्या कहें। हर छंद सधा हुआ है और जिस तरह से सौरभ जी ने हरिगीतिका को साधा है, बधाई तो बहुत बहुत कम पड़ेगी। इसलिए मौनरहकर इन छंदों का आनंद लेना ही श्रेयस्कर हैधर्मेन्द्र कुमार सिंह ‘सज्जन’http://www.blogger.com/profile/02517720156886823390noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-4279299781844919962011-10-08T22:19:48.025+05:302011-10-08T22:19:48.025+05:30आ. सौरभ जी का परिचय, उनके छंद, उनका स्वर, पठन एवं ...आ. सौरभ जी का परिचय, उनके छंद, उनका स्वर, पठन एवं विवेचन....सभी बहुत भाये. आपका बहुत आभार इस प्रस्तुति के लिए. आनन्द आ गया.Udan Tashtarihttp://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-55671973419257860602011-10-09T06:41:31.433+05:302011-10-09T06:41:31.433+05:30बहुत भावपूर्ण रचना और विवेचना |बधाई आशाबहुत भावपूर्ण रचना और विवेचना |<br>बधाई <br>आशाआशाhttp://www.blogger.com/profile/16407569651427462917noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-57881144794736809172011-10-09T07:57:01.796+05:302011-10-09T07:57:01.796+05:30आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी की रचना इतनी गूढ़, गहन, गंभी...आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी की रचना इतनी गूढ़, गहन, गंभीर एवं प्रभावशाली है कि उसकी शान में कुछ कहना मुझ जैसी नवोदित रचनाकार के लिये कुछ उसी तरह है जैसे पहली कक्षा का बच्चा किसी पी एच डी के शोध पत्र पर कोई टिप्पणी करने की धृष्टता करे ! उनकी विवेचना ने 'क्लिष्ट' को 'अक्लिष्ट' बनाने में बहुत सहायता की है ! उनका बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार !Sadhana Vaidhttp://www.blogger.com/profile/09242428126153386601noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-4800587199461507172011-10-09T12:06:32.990+05:302011-10-09T12:06:32.990+05:30श्री सौरभ पाण्डेय जी ने हरिगीतिका में जीवन-दर्शन क...श्री सौरभ पाण्डेय जी ने हरिगीतिका में जीवन-दर्शन को बहुत सुगढ़ता के साथ प्रस्तुत किया है।<br>सौरभ जी और नवीन जी को बधाई।mahendra vermahttp://www.blogger.com/profile/03223817246093814433noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-40075874152582029712011-10-09T13:45:54.866+05:302011-10-09T13:45:54.866+05:30प्रश्न हैं हर मोड़ से -----=हर मोड पर होता है....प्रश्न हैं हर मोड़ से -----=हर मोड पर होता है....डा. श्याम गुप्तhttp://www.blogger.com/profile/03850306803493942684noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-91838305898622304632011-10-09T15:29:11.438+05:302011-10-09T15:29:11.438+05:30जीवन दर्शन दाई इस रचना के लिए आभार .जीवन दर्शन दाई इस रचना के लिए आभार .veerubhaihttp://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-35067571671733299032011-10-09T16:53:45.938+05:302011-10-09T16:53:45.938+05:30भाई नवीनजी, आपकी सदाशयता का मैं हार्दिक सम्मान करत...भाई नवीनजी, आपकी सदाशयता का मैं हार्दिक सम्मान करता हूँ कि आपके माध्यम से मेरे छंद सुधी-पाठकों तक पहुँच सके हैं. समस्त पाठकों और सदस्यों को मेरा सादर वन्दन. <br><br>भाई कपिल दत्त के स्वर छंद के अन्वर्थ की गहराई को संप्रेषित कर सकने में यथोचित सक्षम हैं. बधाई. <br><br>--सौरभ पाण्डेय, नैनी, इलाहाबाद (उप्र)Saurabhhttp://www.blogger.com/profile/01860891071653618058noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-48049546266263202102011-10-10T10:39:42.934+05:302011-10-10T10:39:42.934+05:30सौरभ जी!पठनीय ही नहीं मननीय और अनुकरणीय हरिगीतिका ...सौरभ जी!<br>पठनीय ही नहीं मननीय और अनुकरणीय हरिगीतिका छंद की प्रस्तुति हेतु आभार.आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल'http://www.blogger.com/profile/13664031006179956497noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-25578681731196198582011-10-10T13:36:47.259+05:302011-10-10T13:36:47.259+05:30ह्रदय गदगद हो गया ...सौरभ जी के छंदों को पढ़करह्रदय गदगद हो गया ...सौरभ जी के छंदों को पढ़करसुरेन्द्र सिंह " झंझट "http://www.blogger.com/profile/04294556208251978105noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-65752061090692992322011-10-12T23:18:16.525+05:302011-10-12T23:18:16.525+05:30♥ आदरणीय सौरभ जी के छंद पढ़वाने के लिए आपका आभारी...<b><a href="http://shabdswarrang.blogspot.com/" rel="nofollow">♥</a></b> <br><br><br><b>आदरणीय सौरभ जी </b> के छंद पढ़वाने के लिए <br>आपका आभारी हूं <b>नवीन जी</b> !<br> <b>आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल'जी </b> के शब्द काम में लूं तो <b> पठनीय , मननीय और अनुकरणीय छंदों की प्रस्तुति के लिए आभार !</b> <br><br> <br><b>समस्यापूर्ति परिवार को त्यौंहारों के इस सीजन सहित दीपावली की अग्रिम Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकारhttp://www.blogger.com/profile/18171190884124808971noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-34629045972977304042011-10-13T10:45:04.990+05:302011-10-13T10:45:04.990+05:30आभारी हूँ, आदरणीय सलिलजी. मेरे प्रथम पुष्प पर आपकी...आभारी हूँ, आदरणीय सलिलजी. <br>मेरे प्रथम पुष्प पर आपकी दृष्टि आनन्द का सत्विक कारण बन गयी है. <br><br>सुरेन्द्रजी का आभार.<br><br>राजेन्द्र स्वर्णकारजी की ड्यौढ़ी हो आया इस बार. आपकी प्रतिक्रिया मेरे लिये उत्साह का कारण है.<br><br>सादर.. .Saurabhhttp://www.blogger.com/profile/01860891071653618058noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-15017163633827784872011-10-13T15:46:26.847+05:302011-10-13T15:46:26.847+05:30आदरणीय भाई सौरभ जी, इस अद्भुत ज्ञान को सरल और सरस ...आदरणीय भाई सौरभ जी, इस अद्भुत ज्ञान को सरल और सरस ढंग से हरिगीतिका छंदों में आपने कुशलता पूर्वक ढाल कर वास्तव में हम सभी साहित्य प्रेमियों के साथ बड़ा ही उपकार किया है आपका आभार और बधाई...आपके इस गीत को प्रभावशाली सुन्दर और स्पष्ट स्वर देने के लिए भाई कपिल जी को भी धन्यवाद ...<br>डॉ. बृजेशDr.Brijeshhttp://www.blogger.com/profile/03857665600833546076noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-8451763771083155192011-10-13T23:20:21.216+05:302011-10-13T23:20:21.216+05:30बृजेशभाईसाहब, आपकी टिप्पणी तथा प्रशंसा से अभिभूत ह...बृजेशभाईसाहब, आपकी टिप्पणी तथा प्रशंसा से अभिभूत हूँ. <br>सादर.Saurabhhttp://www.blogger.com/profile/01860891071653618058noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-72991014879153123882011-10-17T16:49:40.330+05:302011-10-17T16:49:40.330+05:30जिनमें समर्पण ’तपस’ के प्रति, 'जन' सभी वे ...जिनमें समर्पण ’तपस’ के प्रति, 'जन' सभी वे 'शिष्ट' हैं ..<br><br>सधे हुवे ...धार दार छंद .. सौरभ जी ने तो आज समा ही बाँध दिया है ... क्या कमाल के छंद हैं ... यदि ऐसे मनीषी प्रयास करेंगे तो ये विधा दिन दूनी रात चौगनी आगे बढ़ेगी ...दिगम्बर नासवाhttp://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-11234412579624183872011-11-14T15:01:10.799+05:302011-11-14T15:01:10.799+05:30इन छंदों को पढ़ना और सुनना दोनों ही अद्भुत अनुभव रह...इन छंदों को पढ़ना और सुनना दोनों ही अद्भुत अनुभव रहे!<br>उत्तम प्रस्तुति!<br>सौरभ जी को हार्दिक शुभकामनाएं!अनुपमा पाठकhttp://www.blogger.com/profile/09963916203008376590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-40397590329936837922011-11-17T16:49:46.227+05:302011-11-17T16:49:46.227+05:30आपकी पोस्ट साक्षात गीता है यह 'सत्य', '...आपकी पोस्ट साक्षात गीता है <br>यह 'सत्य', 'निज अन्तःकरण' का - 'सत्व-भासित ज्ञान' है। <br>मन का कसा जाना, कसौटी - पर 'मनस-उत्थान' है।।<br>यथा सन्हरते चायं कूर्मंगानीव सर्वश: ....जिस प्रकार कछुआ अपने अंगो कोसमेत लेता है--यानी इन्द्रियों से विषयों का निग्रह -सम्बुद्धि के लिये आवश्यक है) <br><br>जो कुछ मिला है आज तक, क्या - है सुलभ? बस होड़ से। <br>इस जिन्दगी की राह Mayank Awasthihttp://www.blogger.com/profile/16120430247055660504noreply@blogger.com