tag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post8340985618347857748..comments2024-03-22T11:27:03.707+05:30Comments on साहित्यम्: भाँग चढ़ाये नाच रहे सब - प्रवीण पाण्डेयwww.navincchaturvedi.blogspot.comhttp://www.blogger.com/profile/07881796115131060758noreply@blogger.comBlogger12125tag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-40462915678605022202013-05-11T13:50:52.805+05:302013-05-11T13:50:52.805+05:30बहुत सुन्दर रचना बहुत सुन्दर रचना Onkarhttps://www.blogger.com/profile/15549012098621516316noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-87204925034669407482013-05-10T14:11:36.422+05:302013-05-10T14:11:36.422+05:30पांडे जी निज कविता लिख कर मस्त हैं|
विद्वतजन छंद ...पांडे जी निज कविता लिख कर मस्त हैं|<br /> विद्वतजन छंद ढूंढ ढूंढ कर त्रस्त हैं|<br /><br />--किसी भी छंद में फिट बैठता नहीं है ,<br /> बस ख़ास छंद की खासियत यही है |<br />---- इसीलिये ...<br /><br />न बहर से न वज्न से ग़ज़ल गुलज़ार होती है |<br />न छंद-गणों के गणन से कविता ए बहार होतीहै|<br />काव्य तो इक दिले -अंदाज़ है दोस्त ...<br />भावों में बहकर गाया जाए वही कविता होती है| <br />---तो इसे डा श्याम गुप्तhttps://www.blogger.com/profile/03850306803493942684noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-69777790296250407242013-05-09T22:43:49.575+05:302013-05-09T22:43:49.575+05:30विद्वतजन
'कवि ने एक अतिरिक्त अंत्यनुप्रास / ...विद्वतजन <br /><br />'कवि ने एक अतिरिक्त अंत्यनुप्रास / क़ाफ़िया / तुक का जादू जोड़ा है' इस बात को समझते हुये क्या एक बार हम विवेच्य काव्य प्रस्तुति को तंत्री छन्द के आलोक में देख सकते हैं?<br /><br />प्रति चरण 32 मात्रा तथा 16 मात्रा पर यति के सिवाय तंत्री छन्द के प्रति एक चरणान्त में दो गुरु वर्ण होना बताया गया है। इस प्रस्तुति का अधिकांश भाग तंत्री छन्द के निकट जान पड़ता है। कुछ चरणों के www.navincchaturvedi.blogspot.comhttps://www.blogger.com/profile/07881796115131060758noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-64812988331898543642013-05-09T18:35:19.192+05:302013-05-09T18:35:19.192+05:30(आगे..)
उपचित्रा छंद
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प्रत्येक चरण का...(आगे..)<br /><br /><br />उपचित्रा छंद <br />==========<br />प्रत्येक चरण का विन्यास 8+ऽ+4+ऽ तथा ।ऽ। यानि जगण अनिवार्य.<br />औरों का अप (ना) पन दे (खा), अपनों का आ (श्वा) सन दे (खा),<br />घर समाज के (चक्) कर नित (ही), कोल्हू पिरते (जी) वन दे (खा)<br />समाज = ।ऽ। जगण <br />इसके अलावे और कोई बंद इस उपचित्रा छंद में प्रतीत नहीं हुआ. <br /><br />पज्झटिका छंद<br />==========<br />प्रत्येक चरण का Saurabhhttps://www.blogger.com/profile/01860891071653618058noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-13836077677160672442013-05-09T18:34:51.905+05:302013-05-09T18:34:51.905+05:30वाह ! एक अच्छा व्यवहार ! यानि, काव्य रस लें तो मात...वाह ! एक अच्छा व्यवहार ! यानि, काव्य रस लें तो मात्र वाह-वाह न कर रस-छंद-गति-यति को समझते हुए आनन्द लीजिये का साग्रह प्रयास !! <br />प्रवीण जी के इन बंदों को बलात् उठा ले आने के लिए आपके साथ भाई प्रवीण जी भी सादर धन्यवाद के भागी हैं. .. :-))<br /><br /><br />प्रस्तुत सभी बंद को देखा जाय तो मुक्तक शैली में प्रथम दो पद तुकांत हैं तो तीसरा स्वतंत्र है. पुनः चौथा पद प्रथम दो पदों का अनुसरण करता हुआ Saurabhhttps://www.blogger.com/profile/01860891071653618058noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-37526203143410936892013-05-09T16:32:56.157+05:302013-05-09T16:32:56.157+05:30---मेरे विचार में यह मराल छंद ही है जिसमें ३२ मात्...---मेरे विचार में यह मराल छंद ही है जिसमें ३२ मात्राएँ होती हैं ...और तीसरा पद अतुकांत ..<br /><br />-----यह ३२ मात्राओं का लाक्षणिक जाति का .. दंडकला छंद होगा -जिसमें तीसरी यति में में तुकांत नहीं होता है...यद्यपि यति १० ८ ८ पर होनी चाहिए |<br /><br /><br />----यह मत्त सवैया होगा ...३२ .मात्राएँ ..१६-१६ यति ..... यदि चार पंक्तियों में लिखें तो ..यथा ...<br /><br />औरोंका अपनापन देखा,अपनोंका डा श्याम गुप्तhttps://www.blogger.com/profile/03850306803493942684noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-44821511629593423712013-05-09T16:27:30.782+05:302013-05-09T16:27:30.782+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.डा श्याम गुप्तhttps://www.blogger.com/profile/03850306803493942684noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-69495922179636717002013-05-09T12:22:20.641+05:302013-05-09T12:22:20.641+05:30राहुल साहब, यह एक प्रोपर छंद ही है। चर्चा होने के ...राहुल साहब, यह एक प्रोपर छंद ही है। चर्चा होने के लिहाज़ से नाम नहीं लिखा है। 16-16 की यति के साथ तंत्री तथा श्रंगार हार / मराल छंद भी होते हैं। साथ ही सब में थोड़ा-थोड़ा अंतर भी है। मुझे अपने साथियों की राय की प्रतीक्षा है।www.navincchaturvedi.blogspot.comhttps://www.blogger.com/profile/07881796115131060758noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-36339436196719552262013-05-09T11:08:52.599+05:302013-05-09T11:08:52.599+05:30आपने लिखा....
हमने पढ़ा....
और लोग भी पढ़ें;
इसलिए ...<i><b> आपने लिखा....<br />हमने पढ़ा....<br />और लोग भी पढ़ें; <br />इसलिए शनिवार 11/05/2013 को <br /><a href="http://nayi-purani-halchal.blogspot.in" rel="nofollow"> http://nayi-purani-halchal.blogspot.in </a><br />पर लिंक की जाएगी. <br />आप भी देख लीजिएगा एक नज़र ....<br />लिंक में आपका स्वागत है .<br />धन्यवाद! </b></i>yashoda Agrawalhttps://www.blogger.com/profile/05666708970692248682noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-78302753405526416962013-05-09T09:55:44.297+05:302013-05-09T09:55:44.297+05:30काव्य, स्वाभाविक प्रवाहमयी हो तो छंद सूची में नय...काव्य, स्वाभाविक प्रवाहमयी हो तो छंद सूची में नया नाम जुड़ सकता है.Rahul Singhhttps://www.blogger.com/profile/16364670995288781667noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-52446476948564902232013-05-08T23:18:33.848+05:302013-05-08T23:18:33.848+05:30भावों में बह कर कविता लिखें तो छंद तो स्वयं ही बन ...भावों में बह कर कविता लिखें तो छंद तो स्वयं ही बन जाता है..डा श्याम गुप्तhttps://www.blogger.com/profile/03850306803493942684noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-39017033246411048542013-05-08T22:05:46.140+05:302013-05-08T22:05:46.140+05:30बिना छन्द का ध्यान किये कविता बह जाती है।बिना छन्द का ध्यान किये कविता बह जाती है।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.com