tag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post7187824411104140199..comments2024-03-22T11:27:03.707+05:30Comments on साहित्यम्: रचना वही जो फालोवर मन भाये - कमलेश पाण्डेयwww.navincchaturvedi.blogspot.comhttp://www.blogger.com/profile/07881796115131060758noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-19944768643439430032014-05-12T11:39:51.636+05:302014-05-12T11:39:51.636+05:30कमलेश भाई !! इस व्यंग्य का जो निष्कर्ष है वो अद्भु...कमलेश भाई !! इस व्यंग्य का जो निष्कर्ष है वो अद्भुत है !! मुझे शरद जोशी जी का एक व्यंग्य आलेख याद आ रहा है !! " नदी मे खड़ा कवि " यह अज्ञेय के काव्याडम्बर पर ज़बर्दस्त तंज़ था !! कुछ पंक्तियाँ – उसने प्रेम किये भाषा का स्तर उठा , प्रेम नहीं किया वैराग्य का स्तर उठा , वो बोला भाषा का स्तर उठा व नही बोला मौन का स्तर उठा –मुझे आश्चर्य है कि पयस्विनी यह नदी ऊपर क्यों नहीं उठ रही है !! फेसबुक Mayank Awasthihttps://www.blogger.com/profile/16120430247055660504noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-35082567401705528692014-05-05T00:00:25.651+05:302014-05-05T00:00:25.651+05:30फेसबुक पर सभी तरह के साहित्यकार हैं...
जो साहित्य ...फेसबुक पर सभी तरह के साहित्यकार हैं...<br />जो साहित्य के प्रति गंभीर हैं उनकी रचनाएँ खुले दिल से सराही जाती हैं|<br />ऋता शेखर 'मधु'https://www.blogger.com/profile/00472342261746574536noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-12930685193506909872014-05-02T13:19:13.026+05:302014-05-02T13:19:13.026+05:30I agree to writerI agree to writerAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-86125465271026900392014-05-02T12:09:52.825+05:302014-05-02T12:09:52.825+05:30माफ कीजिएगा। पाठकों की बुद्धिमत्ता पर सवाल उठाने क...माफ कीजिएगा। पाठकों की बुद्धिमत्ता पर सवाल उठाने की जुर्रत कोई नहीं कर सकता। लोग-बाग जाने क्या-क्या लिख कर पोस्ट कर रहे हैं और उसे साहित्य का दर्जा भी मिल रहा है। वजह वो भी नहीं जो अंतिम पंक्तियों मे लिखा है। व्यंग्य में थोड़ी अतिशयोक्ति चलती है। पर ऐसा लेखन और प्रतिक्रियायेँ पाठक ही नहीं नए रचनाकरों को भी भ्रमित कर रही हैं। ...प्रतिक्रिया के लिए आपका <br />आभार! kamalbhaihttps://www.blogger.com/profile/11943559416788092655noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-63606266015794919342014-04-30T11:41:50.535+05:302014-04-30T11:41:50.535+05:30आज का पाठक अब इतना भी दिग्भ्रमित नहीं है जैसा चि...आज का पाठक अब इतना भी दिग्भ्रमित नहीं है जैसा चित्रण किया गया है ।संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.com