tag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post6607697353471581068..comments2024-03-22T11:27:03.707+05:30Comments on साहित्यम्: हर पल कसौटी तुल्य था, पर, पर्व से कमतर न थाwww.navincchaturvedi.blogspot.comhttp://www.blogger.com/profile/07881796115131060758noreply@blogger.comBlogger16125tag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-56337942003343211962012-03-02T06:47:16.241+05:302012-03-02T06:47:16.241+05:30नई पुराणी हलचल में फिर से अपनी रचना पढ़ी और उस पर आ...नई पुराणी हलचल में फिर से अपनी रचना पढ़ी और उस पर आप सब की टिप्पणियाँ मन उत्साह से भर गया |इसी तरह प्रोत्साहन देते रहिये |एक बार फिर आभार आप सब का मेरी पोस्ट पट टिप्पणी के लिए |<br />आशाAsha Lata Saxenahttps://www.blogger.com/profile/16407569651427462917noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-44906172965903616282012-03-01T15:37:53.651+05:302012-03-01T15:37:53.651+05:30कल 02/03/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल प...<i><b> कल 02/03/2012 को आपकी यह पोस्ट <a href="http://nayi-purani-halchal.blogspot.in" rel="nofollow"> नयी पुरानी हलचल </a> पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .<br />धन्यवाद! </b></i>Yashwant R. B. Mathurhttps://www.blogger.com/profile/06997216769306922306noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-13350841114030897992011-11-03T00:54:20.385+05:302011-11-03T00:54:20.385+05:30* आदरणीया आशा अम्मा * सादर प्रणाम !आपके इतने सुं...*<b><i> आदरणीया आशा अम्मा </i></b>* <br>सादर प्रणाम !<br><br>आपके इतने सुंदर छंद पढ़ कर मन आनंदित हो गया …<br><b>तब तोड़ कर बंधन जगत से, प्रभु भजन में खो गयी।<br>अनुरोध मन का मान कर, वह, कृष्ण प्यारी हो गयी।।<br>हर श्वास में प्रभु थे बसे, वश, लेश, तन-मन पर न था।<br>हर पल कसौटी तुल्य था, पर, पर्व से कमतर न था </b><br>मन मुग्ध हो गया मेरा… इन पंक्तियों को पढ़ कर … <br>वाह वाऽऽह !<br><br><br>Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकारhttp://www.blogger.com/profile/18171190884124808971noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-68428390211909959232011-11-03T01:06:52.067+05:302011-11-03T01:06:52.067+05:30. नवीन जीनिराश न हों … अभी गूगल की बहुत सारी समस्य....<br><br><br><b> नवीन जी</b><br>निराश न हों … <br><br>अभी गूगल की बहुत सारी समस्याओं के चलते जो जहां पहुंचना चाह रहे हैं , मार्ग अवरुद्ध मिल रहे हैं :)<br><br>बहुत सारे ब्लॉग खुल नहीं रहे , कई जगह कमेंट नहीं हो पा रहे , ब्लॉग्स की अपडेट नहीं आ रही , कुछ मेल आई डीs निष्क्रिय चल रही हैं …<br><br>आपने जहां जहां फाइनल टच दिया है … निखार स्वयं बोल रहा है … :)))Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकारhttp://www.blogger.com/profile/18171190884124808971noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-56323422318198076212011-11-03T08:37:34.474+05:302011-11-03T08:37:34.474+05:30आशा दीदी की इतनी सुन्दर प्रस्तुति ने तो मुझे भी भक...आशा दीदी की इतनी सुन्दर प्रस्तुति ने तो मुझे भी भक्ति रस में डुबो दिया है आज ! बहुत ही रसपूर्ण प्रस्तुति ! आपको व उन्हें भी बहुत बहुत बधाई !Sadhana Vaidhttp://www.blogger.com/profile/09242428126153386601noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-63175679974082418342011-11-03T10:57:14.303+05:302011-11-03T10:57:14.303+05:30भक्ति भाव में साराबोर करने वाले इन छंदों के लिए आश...भक्ति भाव में साराबोर करने वाले इन छंदों के लिए आशा जी को बहुत बहुत बधाई। इस आयोजन में कोई रस बाकी नहीं रह जायगा इसका मुझे विश्वास है। नवीन भाई को बहुत बहुत साधुवाद ऐसा आयोजन करने के लिए।<br><br>धर्मेन्द्र कुमार सिंहAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-55716251766849835172011-11-03T11:54:37.853+05:302011-11-03T11:54:37.853+05:30आशा जी सादर प्रणाम !! बहुत सुन्दर छंद सृजन किया है...आशा जी सादर प्रणाम !! बहुत सुन्दर छंद सृजन किया है आपने . मेरे पास कोई शब्द नहीं तारीफ़ के लिए | बस इतना कह सकता हूँ की मन मंत्र मुग्ध हो गया |<br>वाह! वाह !!वाह!!!शेखर चतुर्वेदीhttp://www.blogger.com/profile/03570068972021024352noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-71193257639439270772011-11-03T12:32:09.838+05:302011-11-03T12:32:09.838+05:30दीदी बहुत सुंदर - अदभुद - हमें इतना तकनीकी ज्ञान त...दीदी बहुत सुंदर - अदभुद - हमें इतना तकनीकी ज्ञान तो नही हैं पर पढ़ने के बाद जब अच्छा लगता है तो तारीफ कर देते हैं - वाकई मैं बहुत सुंदर | मधुरम चतुर्वेदीAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-57797297794425137882011-11-03T16:26:28.551+05:302011-11-03T16:26:28.551+05:30bahut sundar ..pravahmayi chhand-rachna.bahut sundar ..<br>pravahmayi chhand-rachna.सुरेन्द्र सिंह " झंझट "http://www.blogger.com/profile/04294556208251978105noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-63185132814670483392011-11-03T17:24:28.405+05:302011-11-03T17:24:28.405+05:30SUNDAR RACHNA HAI . BAHUT BADHAAEE .SUNDAR RACHNA HAI . BAHUT BADHAAEE .PRAN SHARMAnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-65925459398727784222011-11-04T15:42:18.780+05:302011-11-04T15:42:18.780+05:30aasha ji pahle bhi padha hai aapko.aaj bhi padhkar...aasha ji pahle bhi padha hai aapko.aaj bhi padhkar bahut accha laga.aabharkanu.....http://www.blogger.com/profile/16556686104218337506noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-44350416447623139502011-11-04T18:30:53.168+05:302011-11-04T18:30:53.168+05:30आप सब की टिप्पणियों के लिए बहुत बहुत धन्यवाद |इसी...आप सब की टिप्पणियों के लिए बहुत बहुत धन्यवाद |इसी प्रकार उत्साह वर्धन करते रहें |नवीन जी का आभार इस कठिन कार्य को करने की प्रेरणा देने के लिए |<br>आशाआशाhttp://www.blogger.com/profile/16407569651427462917noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-2413877965247481032011-11-12T14:54:33.870+05:302011-11-12T14:54:33.870+05:30भक्ति रस की चाशनी में सराबोर सभी छंद बहुत मनमोहक ब...भक्ति रस की चाशनी में सराबोर सभी छंद बहुत मनमोहक बने हैं, और आत्मा को ठंडक प्रदान करते हैं ! मेरी दिली बधाई स्वीकार करें आदरणीया आशा सक्सेना जी !Yograj Prabhakarhttp://www.blogger.com/profile/08110021103580620658noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-72347312597251766222011-11-14T14:50:57.204+05:302011-11-14T14:50:57.204+05:30भक्तिमय छंदों की सुषमा खूब सजी है!आशा जी को बधाई!भक्तिमय छंदों की सुषमा खूब सजी है!<br>आशा जी को बधाई!अनुपमा पाठकhttp://www.blogger.com/profile/09963916203008376590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-5410586028328651592011-11-17T17:35:50.529+05:302011-11-17T17:35:50.529+05:30हर पल कसौटी तुल्य था, पर, पर्व से कमतर न था-- सूली...हर पल कसौटी तुल्य था, पर, पर्व से कमतर न था-- सूली ऊपर सेज पिया की और कसौटी प्रेम की यही है कि प्रेम गली अति साँकरी --जा में दोऊ न समायें ---<br>पूज्या !! आशा जी !!आपने मीरा की व्यथा और अनुभूति दोनो को मुखर किया लेकिन यह कह कर --हर पल कसौटी तुल्य था, पर, पर्व से कमतर न था--इस व्यथा और अनुभूति को एक शाश्वत उपलब्धि भी बना दिया जोकि एक सच है -- मीरा की विरह वेदना ने इस आध्यत्मिक जीवन-मूल्य को Mayank Awasthihttp://www.blogger.com/profile/16120430247055660504noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-80552064732313432952011-11-21T12:47:11.765+05:302011-11-21T12:47:11.765+05:30आशा जी के इन छंदों ने भक्तिरस की जो धारा प्रवाहित ...आशा जी के इन छंदों ने भक्तिरस की जो धारा प्रवाहित की है उससे वाकई मीराबाई के छंदों की याद आ गई। हृदय से बधाई इन छंदों के लिएधर्मेन्द्र कुमार सिंह ‘सज्जन’http://www.blogger.com/profile/02517720156886823390noreply@blogger.com