tag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post6502263301527787984..comments2024-03-22T11:27:03.707+05:30Comments on साहित्यम्: हो पूरब की या पश्चिमी रौशनी - नवीनwww.navincchaturvedi.blogspot.comhttp://www.blogger.com/profile/07881796115131060758noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-35565508514879851332012-11-19T14:02:07.805+05:302012-11-19T14:02:07.805+05:30सुन्दर ग़ज़ल है नवीन जी बधाई ...सुन्दर ग़ज़ल है नवीन जी बधाई ... shyam guptahttps://www.blogger.com/profile/11911265893162938566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-2337481282620986392012-11-18T22:24:07.750+05:302012-11-18T22:24:07.750+05:30आ. नवीन जी,
रौशनी हम पर मर मिटी या नहीं इसे राम...आ. नवीन जी,<br /> <br />रौशनी हम पर मर मिटी या नहीं इसे राम जाने मगर हम रसिकों का दिल इस गजल पर जरुर मर मिटने को चाह रहा है. <br /><br />धन्यवाद, Satyanarayan singhhttps://www.blogger.com/profile/00790105613649162597noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-31810497358462469672012-11-18T20:27:24.712+05:302012-11-18T20:27:24.712+05:30बहुत बढ़ियाँ रचना..
बहुत खूब...
:-)बहुत बढ़ियाँ रचना..<br />बहुत खूब...<br />:-)मेरा मन पंछी साhttps://www.blogger.com/profile/10176279210326491085noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-22169265051689904272012-11-18T11:34:43.909+05:302012-11-18T11:34:43.909+05:30बहुत गहरी और भावपूर्ण रचना..बहुत गहरी और भावपूर्ण रचना..प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-9315812577620091092012-11-18T07:21:19.972+05:302012-11-18T07:21:19.972+05:30बहुत सुन्दर रचना है नवीन जी |
आशा बहुत सुन्दर रचना है नवीन जी |<br />आशा Asha Lata Saxenahttps://www.blogger.com/profile/16407569651427462917noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-19422812440496450522012-11-18T01:22:45.332+05:302012-11-18T01:22:45.332+05:30बहुत सुन्दर प्रविष्टि वाह!
इसे भी अवश्य देखें!
च...बहुत सुन्दर प्रविष्टि वाह!<br /><br />इसे भी अवश्य देखें!<br /><br />चर्चामंच पर एक पोस्ट का लिंक देने से कुछ फ़िरकापरस्तों नें समस्त चर्चाकारों के ऊपर मूढमति और न जाने क्या क्या होने का आरोप लगाकर वह लिंक हटवा दिया तथा अतिनिम्न कोटि की टिप्पणियों से नवाज़ा आदरणीय ग़ाफ़िल जी को हम उस आलेख का लिंक तथा उन तथाकथित हिन्दूवादियों की टिप्पणयों यहां पोस्ट कर रहे हैं आप सभी से अपेक्षा है कि उस लिंक को भीचन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’https://www.blogger.com/profile/01920903528978970291noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-58019565503500559022012-11-17T19:59:34.103+05:302012-11-17T19:59:34.103+05:30बहुत जा रहे हो वहाँ आजकल
तो क्या तुम पे भी मर मिटी...बहुत जा रहे हो वहाँ आजकल<br />तो क्या तुम पे भी मर मिटी रौशनी,,,<br /><br />खूबशूरत शेर,,,बधाई स्वीकारे,,,<br /><br />recent post<a href="http://dheerendra11.blogspot.in/2012/11/blog-post_17.html#links" rel="nofollow">...: अपने साये में जीने दो.</a>धीरेन्द्र सिंह भदौरिया https://www.blogger.com/profile/09047336871751054497noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-15327905995631446022012-11-17T15:09:13.808+05:302012-11-17T15:09:13.808+05:30आज 17- 11 -12 को आपकी पोस्ट की चर्चा यहाँ भी है .....आज 17- 11 -12 को आपकी पोस्ट की चर्चा यहाँ भी है .....<br /><br /><a href="http://blog4varta.blogspot.in/" rel="nofollow"> .... आज की वार्ता में ..नमक इश्क़ का , एक पल कुन्दन कर देना ...ब्लॉग 4 वार्ता ...संगीता स्वरूप. </a><br />संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-62681597204258406172012-11-17T12:50:57.254+05:302012-11-17T12:50:57.254+05:30बेहद भावपूर्ण रचना ....आभार !बेहद भावपूर्ण रचना ....आभार !सूर्यकान्त गुप्ताhttps://www.blogger.com/profile/05578755806551691839noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-25778535785257518512012-11-17T11:45:40.468+05:302012-11-17T11:45:40.468+05:30इस ग़ज़ल पर दिल से दाद कुबूल करें, नवीनभाईजी.
इन दो...इस ग़ज़ल पर दिल से दाद कुबूल करें, नवीनभाईजी. <br />इन दो शेरों पर विशेष बधाई स्वीकारें - <br /><i>उजालों में भी सूझता कुछ नहीं<br />तू रुख़सत हुआ, छिन गई रौशनी<br />बहुत जा रहे हो वहाँ आजकल<br />तो क्या तुम पे भी मर मिटी रौशनी </i><br /><br />सादर<br />Saurabhhttps://www.blogger.com/profile/01860891071653618058noreply@blogger.com