tag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post1687242657903230387..comments2024-03-22T11:27:03.707+05:30Comments on साहित्यम्: व्यंग्य - आम आदमी और मसीहा - कमलेश पाण्डेयwww.navincchaturvedi.blogspot.comhttp://www.blogger.com/profile/07881796115131060758noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-7835232307165004452015-07-31T16:06:59.735+05:302015-07-31T16:06:59.735+05:30आपकी ये लिंक चर्चा के लिए चुनी हूँआपकी ये लिंक चर्चा के लिए चुनी हूँविभा रानी श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/01333560127111489111noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-18539849179069617972014-06-27T17:01:47.043+05:302014-06-27T17:01:47.043+05:30यही कथा है इस द्श के 12.5 करोड लोगों के जो उच्च और...यही कथा है इस द्श के 12.5 करोड लोगों के जो उच्च और उच्च मध्यम वर्ग बनाते हैं !!! हम कुछ देर के लिये अरस्तू बनते हैं –कल्पना मे सुकरात बनते हैं लेकिन हकीकत मे मुंगेरी लाल बनते हैं !! किसी भी प्र्त्याशा किसी भी अभीप्सा मे उमीद की किरन ढूण्ढ लेते हैं और अपनी ही अन्ध्भक्ति का शिकार होते हैं—कमलेश साहब !! हमेशा की भाँति अपूर्व वय्ंग्य –व्यापक क्षितिज तक स्रजन करता है आपका कलम !! –सादर मयंक Mayank Awasthihttps://www.blogger.com/profile/16120430247055660504noreply@blogger.com