tag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post1384009432170092244..comments2024-03-22T11:27:03.707+05:30Comments on साहित्यम्: SP/2/1/5 कोचिंग सेंटर खोल ले, सिखला भ्रष्टाचार - महेंद्र वर्माwww.navincchaturvedi.blogspot.comhttp://www.blogger.com/profile/07881796115131060758noreply@blogger.comBlogger32125tag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-79925516988323924572012-10-25T17:36:38.156+05:302012-10-25T17:36:38.156+05:30महेन्द्र वर्मा जी के दोहे सार्थक और समर्थ हैं। जिस...महेन्द्र वर्मा जी के दोहे सार्थक और समर्थ हैं। जिस भाव की सृष्टि करनी ठीक उन्होंने सफलतापूर्वक की है - अहले-नज़र पाठकों द्वारा जो सूक्ष्म विवेचनायें की गई हैं वो भी प्रभावित करती हैं लेकिन कुल मिला कर सारा संवाद साहित्य के हित में जाता दीख रहा है -- नवीन भाई आयोजन आपका ज़ोरदार है और पिछले आयोजनो से अधिक सफल है -- मयंकMayank Awasthihttps://www.blogger.com/profile/16120430247055660504noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-31756249047505108782012-10-25T17:36:35.850+05:302012-10-25T17:36:35.850+05:30महेन्द्र वर्मा जी के दोहे सार्थक और समर्थ हैं। जिस...महेन्द्र वर्मा जी के दोहे सार्थक और समर्थ हैं। जिस भाव की सृष्टि करनी ठीक उन्होंने सफलतापूर्वक की है - अहले-नज़र पाठकों द्वारा जो सूक्ष्म विवेचनायें की गई हैं वो भी प्रभावित करती हैं लेकिन कुल मिला कर सारा संवाद साहित्य के हित में जाता दीख रहा है -- नवीन भाई आयोजन आपका ज़ोरदार है और पिछले आयोजनो से अधिक सफल है -- मयंकMayank Awasthihttps://www.blogger.com/profile/16120430247055660504noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-65534168570269841572012-10-25T12:33:09.956+05:302012-10-25T12:33:09.956+05:30सीख
संगति उनकी कीजिए, जिनका हृदय पवित्र।
कभी-कभी ए...सीख<br />संगति उनकी कीजिए, जिनका हृदय पवित्र।<br />कभी-कभी एकांत ही, सबसे उत्तम मित्र।।<br />************************************************<br />झूठे मित्रों से भला, निश्चय ही एकांत <br />सुखी रहेगी आतमा,चित्त रहेगा शांत ||अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com)https://www.blogger.com/profile/11022098234559888734noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-70614072875782863812012-10-25T12:01:43.552+05:302012-10-25T12:01:43.552+05:30वक्रोक्ति / विरोधाभास
कभी अकेला ना रहूं, मेरा अपना...वक्रोक्ति / विरोधाभास<br />कभी अकेला ना रहूं, मेरा अपना ढंग।<br />घिरा हुआ एकांत से, सन्नाटों के संग।।<br />*******************************************<br />सर्वश्रेष्ठ दोहा कहा, दी अपनी पहचान <br />बियाबान खिल खिल उठा,सुन शब्दों की तान ||अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com)https://www.blogger.com/profile/11022098234559888734noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-71426315466555157492012-10-25T11:53:58.368+05:302012-10-25T11:53:58.368+05:30हास्य
हार गया तो क्या हुआ, टेंशन गोली मार।
कोचिंग ...हास्य<br />हार गया तो क्या हुआ, टेंशन गोली मार।<br />कोचिंग सेंटर खोल ले, सिखला भ्रष्टाचार।।<br />**********************************************<br />हा हा हा टेंशन नहीं , इनकम पेलम पेल <br />समाधान नायाब है, "कोचिंग सेंटर सेल " ||अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com)https://www.blogger.com/profile/11022098234559888734noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-17991801144526768282012-10-25T11:42:54.256+05:302012-10-25T11:42:54.256+05:30आश्चर्य
बिना कर्म उसको मिला, धन-वैभव-ऐश्वर्य।
कर्म...आश्चर्य<br />बिना कर्म उसको मिला, धन-वैभव-ऐश्वर्य।<br />कर्मशील भूखा रहा, यही बड़ा आश्चर्य।।<br />**********************************************<br />अचरज वाले भाव की ,सुन्दर दिखी मिसाल <br />कर्मशील भूखा रहा , ठलहा है खुशहाल ||अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com)https://www.blogger.com/profile/11022098234559888734noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-77687465400068314112012-10-25T11:13:43.040+05:302012-10-25T11:13:43.040+05:30सौंदर्य - प्रकृति
विहग वेणु कलरव करें, गगन उठी गो-...सौंदर्य - प्रकृति<br />विहग वेणु कलरव करें, गगन उठी गो-धूर।<br />संध्या के माथे सजा, लाल अरुण सिंदूर।।<br />************************************************<br />संध्या के सौन्दर्य का,है मनभावन चित्र <br />नयन उसी के दीखता,जिसका ह्रदय पवित्र ||अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com)https://www.blogger.com/profile/11022098234559888734noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-60387921497173951282012-10-25T11:06:29.362+05:302012-10-25T11:06:29.362+05:30उम्मीद
क्षोभ अत्यधिक दे गया, बीत रहा यह वर्ष।
नव आ...उम्मीद<br />क्षोभ अत्यधिक दे गया, बीत रहा यह वर्ष।<br />नव आगंतुक वर्ष में, प्रमुदित होगा हर्ष।।<br />*********************************************<br />कहा खूब हे मित्रवर,आओ भूलें शूल <br />कुछ खिलते कुछ सूखते,उम्मीदों के फूल ||<br />अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com)https://www.blogger.com/profile/11022098234559888734noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-83851447065453338302012-10-25T10:53:42.590+05:302012-10-25T10:53:42.590+05:30ठेस / टीस वगैरह
दूर हुए अपने सभी, तिक्त हुए संबंध।...ठेस / टीस वगैरह<br />दूर हुए अपने सभी, तिक्त हुए संबंध।<br />नियति रूठ कर जा रही, कैसे हो अनुबंध।।<br />******************************<br /><br />समय समय का फेर है,समय समय की बात <br />आँसू बन झरने लगे , अंतस के आघात |अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com)https://www.blogger.com/profile/11022098234559888734noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-48202557673800519412012-10-25T10:40:00.207+05:302012-10-25T10:40:00.207+05:30अय हय हय मन भा गए ,महा इंद्र के ढंग
इंद्र धनुष व...अय हय हय मन भा गए ,महा इंद्र के ढंग<br />इंद्र धनुष वरमाल से , सत दोहों में रंग ||अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com)https://www.blogger.com/profile/11022098234559888734noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-27571379413331351302012-10-24T22:37:17.246+05:302012-10-24T22:37:17.246+05:30महेंद्र जी के सभी दोहे अच्छे लगे,,,,और उससे भी अच्...महेंद्र जी के सभी दोहे अच्छे लगे,,,,और उससे भी अच्छी परिचर्चा लगी,,,,बधाई,,,<br /><br />विजयादशमी की हादिक शुभकामनाये,,,<br />RECENT POST<a href="http://dheerendra11.blogspot.in/2012/10/blog-post_24.html#comment-form" rel="nofollow">...: विजयादशमी,,,</a>धीरेन्द्र सिंह भदौरिया https://www.blogger.com/profile/09047336871751054497noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-15285296803564111892012-10-24T17:47:21.836+05:302012-10-24T17:47:21.836+05:30अपना-अपना ढंग है, अपना-अपना रंग |
अपना अपनी दृष्टि...अपना-अपना ढंग है, अपना-अपना रंग |<br />अपना अपनी दृष्टि है,शिल्प,भाव अनु-संग | <br />शिल्प-भाव अनुसंग, भाव है अपना-अपना, <br />शैली-भाषा-विषय, कथ्य है अपना अपना | <br />सम्प्रेषित शुचि अर्थ, श्याम' हो सुन्दर रचना, <br />विषय,तथ्य का ज्ञान,सभी का अपना-अपना || <br /><br /> <br /><br /><br /><br /><br /><br />डा श्याम गुप्तhttps://www.blogger.com/profile/03850306803493942684noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-35617289209226304052012-10-24T17:35:26.560+05:302012-10-24T17:35:26.560+05:30अति सुंदर व सटीक दोहों की प्रस्तुति,बहुत बहुत बधाई...अति सुंदर व सटीक दोहों की प्रस्तुति,बहुत बहुत बधाईSatyanarayan singhhttps://www.blogger.com/profile/00790105613649162597noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-7595082318237057702012-10-24T10:16:20.538+05:302012-10-24T10:16:20.538+05:30@महेंद्र जी
आभार नहीं, दादा आप के दोहे स्तरीय हैं...@महेंद्र जी<br /><br />आभार नहीं, दादा आप के दोहे स्तरीय हैं, मैंने इन्हें आप के कल्पना-आलोक के निकट जा कर पढ़ा और मुझे बहुत आनंद मिला। <br /><br />आभार आप का कि आप ने मुझे इन दोहों को प्रस्तुत करने का अवसर प्रदान किया, और मंच की मर्यादा की रक्षा में निरंतर भरपूर सहयोग दे रहे हैं।www.navincchaturvedi.blogspot.comhttps://www.blogger.com/profile/07881796115131060758noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-65010291471867482232012-10-24T09:24:28.441+05:302012-10-24T09:24:28.441+05:30मेरी प्रविष्टि को मंच में स्थान प्रदान करने के लिए...मेरी प्रविष्टि को मंच में स्थान प्रदान करने के लिए आभार, नवीन जी।<br />सभी पाठक साथियों को उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद।महेन्द्र वर्माhttps://www.blogger.com/profile/03223817246093814433noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-56576723142870314572012-10-24T08:56:50.487+05:302012-10-24T08:56:50.487+05:30बहुत ही सशक्त एवँ सारगर्भित दोहे ! महेंद्र जी को ब...बहुत ही सशक्त एवँ सारगर्भित दोहे ! महेंद्र जी को बहुत सी बधाई एवँ शुभकामनायें ! Sadhana Vaidhttps://www.blogger.com/profile/09242428126153386601noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-50621214196998407692012-10-24T08:10:21.552+05:302012-10-24T08:10:21.552+05:30दोहे की लघु देह में ,भरे नये ही रंग ,
हास्य-व्यंग्...दोहे की लघु देह में ,भरे नये ही रंग ,<br />हास्य-व्यंग्य रस-रीति का ,बड़ा निराला ढंग!<br />प्रतिभा सक्सेनाhttps://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-18118615843260690642012-10-23T21:48:35.738+05:302012-10-23T21:48:35.738+05:30सृजन एक अनवरत प्रक्रिया है. प्रतिभागिता और रचना-प्...सृजन एक अनवरत प्रक्रिया है. प्रतिभागिता और रचना-प्रक्रिया को सम्मान देना मुख्य पाठक-धर्म है. हमसभी इस धर्म के प्रति मात्र संवेदनशील ही नहीं, आग्रही बनें. <br />इस मंच का उद्येश्य और प्रवाह दोनों स्पष्ट है. हमारा निर्वहन और बहाव संयत और संपुष्टकारी हो ताकि हम नव-हस्ताक्षरों के लिये सकारात्मक प्रेरणा का कारण बन सकें. <br />सादर<br />Saurabhhttps://www.blogger.com/profile/01860891071653618058noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-44572210699214136882012-10-23T19:47:31.636+05:302012-10-23T19:47:31.636+05:30बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
कृपया आप इसे अवश्य देखें औ...बहुत सुन्दर प्रस्तुति!<br /><br />कृपया आप इसे अवश्य देखें और अपनी अनमोल टिप्पणी दें<br /><br /><a href="http://shalinikikalamse.blogspot.in/2012/10/blog-post.html" rel="nofollow"><b>यात्रा-वृत्तान्त विधा को केन्द्र में रखकर प्रसिद्ध कवि, यात्री और ब्लॉग-यात्रा-वृत्तान्त लेखक डॉ. विजय कुमार शुक्ल ‘विजय’ से लिया गया एक साक्षात्कार</b></a>Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/14167053354313199541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-40576118649197189512012-10-23T19:43:25.137+05:302012-10-23T19:43:25.137+05:30aap log naye seekhne valon ko encourage karna chat...aap log naye seekhne valon ko encourage karna chate hain ya un ke man men fear paida kar rahe hain.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-87924037827159415832012-10-23T18:55:15.450+05:302012-10-23T18:55:15.450+05:30हास्य
हार गया तो क्या हुआ, टेंशन गोली मार।
कोचिंग ...हास्य<br />हार गया तो क्या हुआ, टेंशन गोली मार।<br />कोचिंग सेंटर खोल ले, सिखला भ्रष्टाचार।।<br />......महेंद्र वर्मा जी .<br /><br />कभी अकेला ना रहूं, मेरा अपना ढंग।<br />घिरा हुआ एकांत से, सन्नाटों के संग।।<br />सीख<br />संगति उनकी कीजिए, जिनका हृदय पवित्र।<br />कभी-कभी एकांत ही, सबसे उत्तम मित्र।।<br />बहुत बढ़िया नीति और सीख पढ़ाते दोहे .दोहों में गद्य की तरह विस्तार की गुंजाइश नहीं रहती ,कमvirendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-28089373825405172402012-10-23T18:28:42.178+05:302012-10-23T18:28:42.178+05:30@ हास्य, आश्चर्य, सौंदर्य, सीख और वक्रोक्ति के दोह...@ हास्य, आश्चर्य, सौंदर्य, सीख और वक्रोक्ति के दोहे काफी अच्छे हैं। प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00211742823973842751noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-50866512991521023902012-10-23T18:25:27.580+05:302012-10-23T18:25:27.580+05:30- टीस -
दूर हुए अपने सभी, तिक्त हुए संबंध।
नियति र...- टीस -<br />दूर हुए अपने सभी, तिक्त हुए संबंध।<br />नियति रूठ कर जा रही, कैसे हो अनुबंध।।<br />@ खालिस 'टीस'. यह टीस सर्वअनुभूत होगी।<br /><br />- उम्मीद -<br />क्षोभ अत्यधिक दे गया, बीत रहा यह वर्ष।<br />नव आगंतुक वर्ष में, प्रमुदित होगा हर्ष।।<br />@ पहली पंक्ति में व्याकरणिक गड़बड़ी है। यदि इस प्रकार हो तो कैसा रहे ...<br /><br />@ क्षोभ अत्यधिक दे रहा, जाने वाला वर्ष।<br />नव आगंतुक प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00211742823973842751noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-4274970602318153592012-10-23T18:02:01.679+05:302012-10-23T18:02:01.679+05:30उम्मीद वाले दोहे में "बीच" के स्थान पर &...उम्मीद वाले दोहे में "बीच" के स्थान पर "बीज" पढ़ें‘सज्जन’ धर्मेन्द्रhttps://www.blogger.com/profile/02517720156886823390noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-69516101259115921312012-10-23T18:00:21.280+05:302012-10-23T18:00:21.280+05:30महेन्द्र जी (मेरे लिए वरिष्ठ कवि) से अग्रिम क्षमा ...महेन्द्र जी (मेरे लिए वरिष्ठ कवि) से अग्रिम क्षमा याचना सहित....<br /> <br />ठेस:<br />इस दोहे में ठेस तो है मगर "कैसे हो अनुबंध"? इसक मतलब रिश्तों में आप अनुबंध चाहते हैं। रिश्तों में प्रेम होता है अनुबंध नहीं।<br />कुछ गड़बड़ लग रही है।<br />यों करें तो<br /><br />प्रेम बिना रिश्ते हुए, अब केवल अनुबंध<br />दूर हुए अपने सभी, तिक्त हुए संबंध<br /><br />उम्मीद:<br />उम्मीद बेहद स्पष्ट है ‘सज्जन’ धर्मेन्द्रhttps://www.blogger.com/profile/02517720156886823390noreply@blogger.com