12 जनवरी 2017

सीधे-सीधे ढाई करोड़ रुपयों की बचत

सुनार कहे वह सोना, डॅाक्टर बताये वह दवाई और मैडिकल स्टोर वाला माँगे वही दवा का दाम - यही नियति रही है हम लोगों की। मगर कुछ युग-दृष्टा ऐसी नियतियों को तोड़ते भी हैं।

जिन दिनों हिन्दुस्तान टू जी थ्री जी फोर जी एट्सेक्ट्रा से गुज़र रहा था उन्हीं दिनों एस वी सी फाउण्डेशन वृहत्तर सामाजिक लाभार्थ कुछ करने के प्रयत्नों में लगा हुआ था। इन प्रयत्नों को अमली जामा पहनाया गया तक़रीबन दो साल पहले - २०१५ की शुरुआत में। एस वी सी फाउण्डेशन के चिकित्सकीय प्रकल्प के द्वारा मथुरा में सर्व-साधारण को एमआरपी से कम मूल्य पर दवाएँ उपलब्ध करवाई गईं जो कि आज भी सर्व-साधारण को सहज उपलब्ध हैं।

फाउण्डेशन द्वारा ज़ारी किये गये आँकड़ों के अनुसार १० करोड़ रुपये मूल्य की दवाइयाँ सर्व-साधारण को लगभग साढे सात करोड़ रुपयों में उपलब्ध करवाई गईं। परिणामस्वरूप जनता-जनार्दन की गाढी कमाई के ढाई करोड़ रुपयों की सीधे-सीधे बचत हुई।

हालाँकि अग्रोद्धरित दौनों उदाहरणों में कोई साम्य नहीं है फिर भी दूरदर्शिता व व्यापक-असर के उदाहरण के मद्देनज़र कहा जा सकता है कि जिस तरह भले ही कोई व्यक्ति नोटबन्दी के पक्ष में हो या विपक्ष में परन्तु इस बात से इनकार नहीं कर सकता कि नोटबन्दी प्रक्रिया ने सवा सौ करोड़ देशवासियों को मितव्ययिता का पाठ पढाते हुए, फिजूलखर्ची का अर्थ समझाते हुए, एक लम्बे अन्तराल बाद लोगों को कम से कम जागरुक तो ज़ुरूर ही बनाया है; उसी तरह एस वी सी फाउण्डेशन ने भी सिर्फ़ एक ही मद यानि दवाई के ख़र्चे में एक अपेक्षाकृत छोटे शहर के कुल जमा दो लाख लोगों के कुछ ही महीनों के कालखण्ड में दो करोड़ अड़सठ लाख रुपये बचा कर एक बड़ी पहल की है। इस बचत को यदि आँकड़े-विशेषज्ञ राष्ट्रीय-गुणनफल के पैमाने पर परखें तो हैरत-अंगेज़ नतीज़े बरामद होंगे।

मुझे याद नहीं आ पा रहा कि मैडिकल स्टोर वालों से दवा के दाम को ले कर मोलभाव होता हो। यहाँ तक कि इस्कोन वालों के भक्ति वेदान्त अस्पताल में भी दवाएँ सम्भवत: एमआरपी पर ही बेची जाती हैं। ऐसे में एस वी सी फाउण्डेशन द्वारा १० करोड़ १० लाख मूल्य की दवाएँ ७ करोड़ ४२ लाख रुपयों में उपलब्ध करवाते हुये तक़रीबन दो लाख लोगों के २ करोड़ ६८ लाख रुपये बचाना यानि एमआरपी पर 26•53% की छूट यानि बहुत बड़ी बचत है।

इस महत्कर्म के लिये एस वी सी फाउण्डेशन के कर्ता-धर्ता आदरणीय सुरेश विठ्ठलदास पाठक जी एवम् उन की टीम के हर एक सदस्य को बारम्बार साधुवाद। जमना मैया सदैव आप कों सहाय रहें और आप लोग इसी तरह आप के माता-पिता-कुल-समाज आदि का नाम रौशन करते रहें। जय श्री कृष्ण।
सादर, 
नवीन सी• चतुर्वेदी 

१२ जनवरी २०१६


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