20 सितंबर 2013

उसूल अपनी जगह कामकाज अपनी जगह - नवीन

उसूल अपनी जगह कामकाज अपनी जगह
यक़ीन अपनी जगह है रिवाज अपनी जगह

मैं तब ज़हीन था और अब पढ़ा-लिखा इन्सान
अज़ल है अपनी जगह और आज अपनी जगह
ज़हीन – कुशल / दक्ष, अज़ल – सृष्टि का पहला दिन

किसी दीवानी की उलफ़त ने हम को सिखलाया
लगन है अपनी जगह लोकलाज अपनी जगह

शकेब को भी तो हमजिंस की कमी खटकी
मक़ाम अपनी जगह है मिज़ाज अपनी जगह
हमजिंस – अपने जैसा

:- नवीन सी. चतुर्वेदी


बहरे मुजतस मुसमन मखबून महजूफ
मुफ़ाएलुन फ़एलातुन मुफ़ाएलुन फालुन

1212 1122 1212 2

5 टिप्‍पणियां:

  1. आपने लिखा....हमने पढ़ा....
    और लोग भी पढ़ें; ...इसलिए आपकी पोस्ट हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल में शामिल की गयी और आप की इस प्रविष्टि की चर्चा {रविवार} 22/09/2013 को जिंदगी की नई शुरूवात..... - हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल – अंकः008 पर लिंक की गयी है। कृपया आप भी पधारें, आपके विचार मेरे लिए "अमोल" होंगें। सादर ....ललित चाहार

    जवाब देंहटाएं
  2. वाह क्या बात है ...

    सब कुछ अपनी जगह,
    सबकी अपनी जगह |

    जवाब देंहटाएं