5 मई 2013

आदम की औलाद ग़ज़ब करती है यार - नवीन

आदम की औलाद ग़ज़ब करती है यार

ज़िन्दा मज़बूरों की ख़ातिर वक़्त नहीं
सिर्फ़ चिताओं पर करती है हाहाकार
आदम की औलाद ग़ज़ब करती है यार
... आदम की...

हासिल से हर वक़्त शिकायत है इस को
ना-हासिल की सख़्त ज़रुरत है इस को
जिस ने ढूँढ निकाला था अक्षर में ब्रह्म
समझ नहीं आता उस को शब्दों का सार
आदम की औलाद ग़ज़ब करती है यार
... आदम की...

बड़ी-बड़ी बातों को सह जाये हँस कर
मामूली बातों पर लड़ती है अक्सर
तिनके से बढ़ कर जिस की औकात नहीं
उस को अपना खेत लगे सारा संसार
आदम की औलाद ग़ज़ब करती है यार
... आदम की... 

:- नवीन सी. चतुर्वेदी

6 टिप्‍पणियां:

  1. ज़िन्दा मज़बूरों की ख़ातिर वक़्त नहीं
    सिर्फ़ चिताओं पर करती है हाहाकार
    आदम की औलाद ग़ज़ब करती है यार,,,,,

    बहुत उम्दा, बेहतरीन अभिव्यक्ति,,,

    RECENT POST: दीदार होता है,

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  2. कौमी हवाओं की हवास खरीद ली..,
    खातिरे-सल्तनत इजलास खरीद ली..,
    पेशो-दामन और पेशा ये बहोत खूब..,
    सल्लेलाह शहीदों की लाश खरीद ली.....

    इजलास= कचहरी
    पेशो-दामन = खिदमत गार
    सल्लेलाह = सुभान अल्लाह

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  3. आदम की औलाद ग़ज़ब करती है यार

    वाकई बहुत ग़ज़ब करती है...

    कमाल के गीत के लिए बधाई नवीन भाई !

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  4. एक अच्छे गीत को साझा करने के लिए बहुत-बहुत बधाई, भाई जी.
    सादर

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  5. क्या बात है नवीन जी ...सुन्दर ग़ज़ल...

    तत्वमसि,सोsहंमस्मि,जो तू है सो मैं हूँ यार,
    जो सबकौ वो मेरौ ही तौ,क्यों न कहै ये आदमी|

    औलाद है आदम की जब, काहे न गज़ब करे ,
    श्याम काहे आजु लों समुझौ नहीं ये आदमी |

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