14 अक्तूबर 2011

ज़रा तो पास आओ ना ज़रा तो मुस्कुराओ ना


ज़रा तो पास आओ ना, ज़रा तो मुस्कुराओ ना
किसी के प्यार के मारे सितारों से लजाना क्या।
जिसे चाहो उसी से हाल साँसों का छुपाना क्या।।

ज़माने के उसूलों को दिवानों को बताना क्या।
किसी की आशिक़ी-दीवानगी का आज़माना क्या।१।


सुहानी चाँदनी रातें बहानों में बिताओ ना।
मिलाई हैं निगाहें तो निगाहों को चुराओ ना।।

अदा ये मार डालेगी, हमारा जी जलाओ ना।
ज़रा तो पास आओ ना,
ज़रा तो मुस्कुराओ ना।२।


=================


विधाता छंद

विशुद्ध रूप से वर्णिक छंद
चार चरण
यगण+गुरु x 4 = 16 अक्षर प्रति चरण
य मा ता गा / य मा ता गा / य मा ता गा / य मा ता गा 
ल ला ला ला /   ल ला ला ला / ल ला ला ला / ल ला ला ला 
यहाँ मात्राएँ नहीं गिनी जातीं, सिर्फ अक्षर गिने जाते हैं 
यहाँ पर लिखे गए 'ला' का अर्थ सिर्फ गुरु / दीर्घ वर्ण / अक्षर ही है 
पिंगल के अनुसार हर्फ़ / अक्षर गिराना स्वीकार्य नहीं है। हालांकि कभी-कभी कुछ कवियों ने शरमाना को शर्माना और नरमी को नर्मी की तरह लिया है ज़रूर।

चित्र गूगल से साभार

2 टिप्‍पणियां: