22 मई 2011

घनाक्षरी छन्द - षडऋतु वर्णन - गरमी की लू जमाती 'लप्पड़' करारा सा

पावस में नाचता है, तन-मन तक-धिन,
शरद का चंद्र लगे, सबको दुलारा सा|

हेमन्त खिलाये गुड - संग बाजरे की रोटी,
शिशिर में पानी लगे, हिमनद धारा सा|

वसंत की ऋतु है जो, कहें उसे ऋतुराज,
धरती की माँग बीच, लगे ये सितारा सा|

हापुस खिलाने हमें, गरमी आती है पर,
गरमी की लू जमाती - 'लप्पड़' करारा सा||




ऋतु क्रम इस प्रकार होता है:-
वसंत
ग्रीष्म
वर्षा
शरद
शिशिर
हेमन्
छन्द की अंतिम पंक्ति के मद्देनजर, उपरोक्त छन्द में, ऋतु क्रम निर्वाह को प्राथमिकता नहीं दी गई है|

इस छन्द को आप १६+१५ = ३१ या ८+८+८+७=३१ अक्षर गणना के अनुसार ले सकते हैं|

5 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही अच्छा लगा और सीखने को मिला।

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  2. रितुओं पर अधारित ख़ूबसुरत कविता के लिये बहुत बहुत बधाई
    नवीन भाई।

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  3. सभी ऋतुओं की विशेषताओं और आकर्षण का बहुत सुन्दर चित्रण..

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  4. आद. नवीन जी,
    ऋतुओं का जीवंत चित्रण करता हुआ घनाक्षरी छन्द पढ़ कर अच्छा लगा !
    आभार !

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  5. प्रवीण भाई, संजय दानी भाई, कैलाश भाई और ज्ञान चंद्र भाई - आप सभी का बहुत बहुत आभार

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