4 अप्रैल 2011

भद्रजनों की रीत नहीं ये संगाकारा

हार गए जो टॉस, किसलिए उसे नकारा|
भद्रजनों की रीत, नहीं ये संगाकारा|
देखी जब ये तुच्छ, आपकी आँख मिचौनी|
चौंक हुए स्तब्ध, जेफ क्रो, शास्त्री, धोनी|1|

तेंदुलकर, सहवाग, ना चले, फर्क पड़ा ना|
गौतम और विराट, खेल खेले मर्दाना|
धोनी लंगर डाल, क्रीज़ से चिपके डट के|
समय समय पर दर्शनीय, फटकारे फटके|2|

जब सर चढ़े जुनून, ख्वाब पूरे होते हैं|
सब के सम्मुख वीर, बालकों से रोते हैं|
दिल से लें जो ठान, फिर किसी की ना मानें|
हार मिले या जीत, धुरंधर लड़ना जानें|3|

त्र्यासी वाली बात, अब न कोई बोलेगा|
सोचेगा सौ बार, शब्द अपने तोलेगा|
अफ्रीका, इंगलेंड, पाक, औसी या लंका|
सब को दे के मात, बजाया हमने डंका|4|

छन्द - रोला

21 टिप्‍पणियां:

  1. वाह भई वाह। यह तो हुई ठाले बैठे, अब कुछ बैठे ठाले भी हो जाये।

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  2. Badiya ! bahut badiya !! Rolaa chhand kaa nirwah
    aapne bkhoobee kiyaa hai . Badhaaee aur shubh kamna .

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  3. शानदार रोलों के लिए बधाई स्वीकार कीजिए।

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  4. बहुत बढिया, नवीन भाई,
    आप तो आशुकवि हैं।

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  5. तिलक भाई साब आप की टिप्पणी का स्वागत है|

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  6. आदरणीय प्राण शर्मा जी आप की शुभेच्छाओं के लिए बारम्बार धन्यवाद

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  7. आभार महेंद्र भाई| आप की बहुमूल्य टिप्पणियाँ सदैव ही उत्साह वर्धन करती हैं| आप का छोटा भाई हूँ, बस अपने काम को करने का प्रयास मात्र कर रहा हूँ| आप सभी साहित्य रसिकों का सहयोग मिल रहा है, ये मेरा सौभाग्य है|

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  8. नाक कटा ली संगाकारा ने, फिर हार भी गये।

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  9. हाँ प्रवीण भाई, सहवाग को शतक से वंचित करने वाले इन के कुकृत्य को दुनिया अभी भूली भी नहीं थी - कि एक और कारनामे को अंजाम दे गये ये लोग|

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  10. Maza aaya Navin ji .... majedaar rola pela hai ...
    Bharat ki jeet par bahut bahut badhaai ...

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  11. शेखर चतुर्वेदीमंगल अप्रैल 05, 02:30:00 pm 2011

    वाह भाईसाब बहुत खूब कहा आपने | पढ़ के अच्छा लगा | बधाई !!!

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  12. वाह नवीन जी शानदार रोला.....ये रोला हैं या बम के गोला ....मज़ा आ गया

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  13. आभार दिगंबर भाई जो आप ने हमारे द्वारा पेले हुए रोल झेल लिए

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  14. आदरणीय त्रिपाठी जी हैं तो ये रोला ही, बाकी तो आप जो पहचान दे दें इन्हें| आपके अच्छे स्वास्थ्य की कामना करता हूँ ईश्वर से|

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