4 दिसंबर 2010

हरिगीतिका छन्द विधान

हरिगीतिका छन्द विधान 

सोलह गिनें मात्रा, रुकें फिर, सांस लेने के लिए|
फिर बाद उस के आप मात्रा - भार बारह लीजिए||

चरणान्त में लघु-गुरु, तुकान्तक, चार पंक्ति विधान है|
हरिगीतिका वह छन्द है जो, महफ़िलों की शान है||




उदाहरण मात्रा गणना सहित  


सोलह गिनें मात्रा, रुकें फिर, 
२११ १२ २२ १२ ११ = १६ मात्रा, यति 

सांस लेने के लिए|
२१ २२ २ १२ = १२ मात्रा, अंत में लघु गुरु 


फिर बाद उस के आप मात्रा - 
 ११ २१ ११ २ २१ २२ = १६ मात्रा, यति

भार बारह लीजिए||
२१ २११ २१२ = १२ मात्रा, अंत में लघु गुरु


चरणान्त में लघु-गुरु, तुकान्तक, 
११२१ २ ११ ११ १२११ = १६ मात्रा, यति 
 
चार पंक्ति विधान है|
 २१ २१ १२१ २ = १२ मात्रा, अंत में लघु गुरु

हरिगीतिका वह छन्द है जो, 
११२१२ ११ २१ २ २ = १६ मात्रा, यति 
 
महफ़िलों की शान है||
 १११२ २ २१ २ = १२ मात्रा, अंत में लघु गुरु


हरिगीतिका छंद १६+१२=२८ मात्रा वाला छंद होता है| अंत में लघु गुरु अनिवार्य है| इस छंद का अलिखित नियम यह है कि इस की धुन -

ला ला ल ला 
ला ला ल ला ला 
ला ल ला 
ला ला ल ला 

के अनुरूप चलती है| यहाँ धुन वाले ला का अर्थ गुरु अक्षर न समझ कर २ मात्रा भार समझना चाहिए|

ठीक इसी तरह का एक और छंद है - उसे सार या ललित छंद के नाम से जाना जाता है| इस छंद में भी १६+१२=२८ मात्रा होती हैं| अंत में गुरु गुरु आते हैं| और इस सार / ललित छंद की धुन होती है - 

ला ला ला ला 
ला ला ला ला 
ला ला ला ला 
ला ला

यहाँ भी धुन वाले ला का अभिप्राय गुरु वर्ण से न हो कर २ मात्रा भार से है|

हरिगीतिका को कभी कभी कुछ व्यक्ति गीतिका समझने की भूल कर बैठते हैं| जब कि वह एक अलग ही छंद है| गीतिका में १४+१२=१६ मात्रा होती हैं| अंत में लघु गुरु| इस छंद की धुन होती है -

ला ल ला ला 
ला ल ला ला 
ला ल ला ला
ला ल ला 

यहाँ भी धुन वाले ला का अभिप्राय गुरु अक्षर न हो कर २ मात्रा भार है| गीतिका छंद का उदाहरण - "हे प्रभो आनंद दाता ज्ञान हमको दीजिये"|

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