14 अक्तूबर 2010

छंद 'हरिगीतिका' - माँ सदा बच्चों के अनुकूल

माँ आप सत हो, शक्ति दात्री , सुख-समृद्धि प्रदायिनी |
माँ इस धरा पर आप विद्या-वित्त-बल वरदायिनी |
माँ आप जड़-चेतन, चराचर, शुभ-अशुभ का मूल हो |
हर हाल में माँ आप निज संतान के अनुकूल हो ||

हरिगीतिका छन्द का विधान:-
चार चरण वाला छन्द
हर पंक्ति दो भागों में विभक्त
पहले भाग में १६ मात्रा
दूसरे भाग में १२ मात्रा
हर पंक्ति [पंक्ति के दूसरे भाग] के अंत में लघु और गुरु वर्ण / अक्षर अपेक्षित

8 टिप्‍पणियां:

  1. माँ से की गई आपकी प्रार्थना ..वसुधैव -कुटुम्बकम की भाब्ना से ओत -प्रोत है

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  2. हर हाल में माँ आप बच्चों के अनुकूल हो.... वाह नवीन जी, कितनी सटीक बात कही है आपने

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  3. नवीन जी
    माँ की इस अति सुन्दर प्रार्थना के लिए आपको बहुत बहुत बधाई..यह स्तुति मन को बहुत ही भायी...

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  4. अच्छी प्रस्तुति बधाई |
    आशा

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